ईडी ने पैराबोलिक ड्रग्स नाम की एक निजी कंपनी के प्रमोटरों विनीत गुप्ता, प्रणव गुप्ता और सीए एसके बंसल को गिरफ़्तार किया है. विनीत और प्रवण ने प्रसिद्ध अशोका यूनिवर्सिटी की सह-स्थापना की थी. दोनों ने 2022 में इसके निदेशक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. इन पर 1626.74 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते शनिवार (28 अक्टूबर) को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अशोका यूनिवर्सिटी के दो सह-संस्थापकों को गिरफ्तार किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े वित्तीय अपराधों की जांच करने वाली ईडी ने पैराबोलिक ड्रग्स नाम की कंपनी के प्रमोटरों विनीत गुप्ता, प्रणव गुप्ता और सीए एसके बंसल को गिरफ्तार किया है. तीनों को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है.
विनीत गुप्ता और प्रवण गुप्ता ने प्रसिद्ध अशोका यूनिवर्सिटी की सह-स्थापना की थी. 2021 में सीबीआई द्वारा उनके और उनकी फार्मा कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उन्होंने 2022 में अपने संबंधित पदों से इस्तीफा दे दिया था.
सीबीआई ने प्रमोटरों और फार्मा कंपनी पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह से 1626.74 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था.
बीते शुक्रवार (27 अक्टूबर) को ईडी ने कंपनी से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. उन्होंने दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, पंचकुला और अंबाला में 17 स्थानों पर तलाशी ली थी.
शुक्रवार को विश्वविद्यालय ने कहा था कि ईडी ने निदेशक पद छोड़ने वाले विनीत गुप्ता और प्रणव गुप्ता से जुड़ी जानकारी मांगी थी.
यूनिवर्सिटी की ओर से आगे कहा था, ‘अशोका यूनिवर्सिटी ने दोहराया है कि पैराबोलिक ड्रग्स किसी भी तरह से यूनिवर्सिटी से जुड़ा नहीं है. यूनिवर्सिटी का पैराबोलिक ड्रग्स के साथ कोई अतीत या वर्तमान संबंध नहीं है और उससे लिंक बनाने का कोई भी प्रयास बिना किसी आधार के और भ्रामक है.’
बयान में कहा गया था, ‘विनीत और प्रणव गुप्ता अशोका यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक संस्थापकों और दानदाताओं में से दो हैं, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत परोपकारी क्षमता में अशोका के निर्माण और विकास में योगदान दिया है और जिनके व्यक्तिगत व्यवसायों का विश्वविद्यालय पर कोई प्रभाव नहीं है.’
सीबीआई ने निजी कंपनी पर जालसाजी के माध्यम से आपराधिक साजिश के तहत ऋण हासिल करने और अन्य उपयोगों के लिए धन का उपयोग करने का आरोप लगाया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि गुप्ता ने विश्वविद्यालय को 7 करोड़ रुपये का बैंक ऋण दिया. उसे संदेह है कि ऋण निधि से एक राशि कथित तौर पर 2013 में एक बुनियादी ढांचा फर्म को हस्तांतरित की गई थी. यह पैसा कथित तौर पर विनीत गुप्ता के खातों में स्थानांतरित किया गया था. एजेंसी ने बताया कि बाद में उन्होंने विश्वविद्यालय को 1 करोड़ रुपये भेज दिए थे.