कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र को एक्स पर साझा करते हुए कहा कि अगर जयशंकर या विदेश मंत्रालय गंभीर होते तो हालात कभी ऐसे नहीं बनते कि 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मचारियों को एक ऐसे कथित अपराध के लिए मौत की सज़ा दी जाती, जिसका विवरण अभी भी अज्ञात है.
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि अगर भारत सरकार ने कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को दी गई मौत की सजा के मुद्दे को गंभीरता से लिया होता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती.
बीते शुक्रवार (27 अक्टूबर) को तिवारी ने सोशल साइट एक्स (ट्विटर) पर वह पत्र साझा किया, जो विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में उनके भाषण (7 दिसंबर, 2022) के जवाब में उन्हें लिखा था. भाषण में कतर में पूर्व नौसेना अधिकारियों की कैद पर प्रकाश डाला गया था.
उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए लिखा, ‘अगर डॉ. जयशंकर या विदेश मंत्रालय गंभीर होते तो हालात कभी ऐसे नहीं बनते कि 8 नौसेना कर्मचारियों को एक ऐसे कथित अपराध के लिए मौत की सजा दी गई होती, जिसका विवरण अभी भी अज्ञात है. एनडीए/भाजपा सरकार अपने सशक्त राष्ट्रवाद के बावजूद हमारे पूर्व सैनिकों की गरिमा, सम्मान और जीवन की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही है.’
This is the letter👇🏾 that @DrSJaishankar wrote to me in response to my raising the illegal incarceration of our 08 retired Naval Personnel in Doha – Qatar on December 7 th 2022 in the Lok Sabha.
Had @DrSJaishankar or @MEAIndia been serious then things would never have come to… pic.twitter.com/C2fUNlSKDo
— Manish Tewari (@ManishTewari) October 27, 2023
उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में हालात सुधारने के लिए कानूनी हस्तक्षेप से अधिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उच्चतम स्तर पर राजनयिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस घटना के चारों ओर अपारदर्शिता का कोहरा छाया हुआ है. भारत सरकार को सभी तथ्यों को सार्वजनिक डोमेन में रखना चाहिए.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने घटनाक्रम पर दुख जताया और कूटनीतिक कदम उठाने का आह्वान किया. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, खुर्शीद ने कहा, ‘जब तक सब कुछ सामने नहीं आ जाता, हम कुछ नहीं कह सकते. जो कुछ हुआ है, उस पर मैं बस दुख व्यक्त कर सकता हूं. हमारे लिए यह स्वीकार करना संभव नहीं है कि सैन्यकर्मियों ने ऐसा कुछ किया है, जिसकी वजह से उन्हें सजा मिल रही है. जब दो देशों के बीच संबंध होते हैं तो राजनयिक तरीके निकाले जा सकते हैं. यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि इससे पूरी दुनिया को संदेश जाता है.’
मालूम हो कि कतर में एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रखे गए आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को बीते गुरुवार (26 अक्टूबर) को मौत की सजा दी गई थी.
ये लोग एक निजी फर्म, दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं प्रदान करती है. उन्हें अगस्त 2022 में बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया था. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था. उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की गईं.
इन 8 लोगों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमोडोर अमित नागपाल, कमोडोर पूर्णेंदु तिवारी, कमोडोर सुगुनाकर पकाला, कमोडोर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश शामिल हैं. पूर्णेंदु तिवारी को 2019 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया था.
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया था, ‘मृत्युदंड के फैसले से हम बेहद हैरान हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. हमारे लिए यह मसला बेहद जरूरी है और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम सभी राजनयिक और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे.’
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