उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का प्रवासी मज़दूर मुकेश कुमार पुलवामा के एक ईंट भट्ठे पर काम करते थे. बीते सोमवार को पैसा घर भेजने के लिए बैंक जा रहे थे जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुकेश पहले ग़ैर-स्थानीय व्यक्ति हैं, जिनकी इस साल कश्मीर में लक्षित हत्या की गई है.
तुमची, नौपोरा (पुलवामा, जम्मू-कश्मीर): हिंदू त्योहार करवाचौथ से दो दिन पहले मुकेश कुमार (45 वर्ष) ने अपनी मेहनत की कमाई से कुछ पैसे अपनी पत्नी को उपहार में देने की योजना बनाई थी, जो अपने चार छोटे बच्चों के साथ उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहती हैं.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले मुकेश सोमवार (30 अक्टूबर) को बैंक जा रहे थे, जब एक लक्षित हमले (Targeted Attack) में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. कश्मीर में 24 घंटे के भीतर यह इस तरह की दूसरी घटना थी.
उनकी हत्या की परिस्थितियां रहस्यमयी हैं, लेकिन द वायर से बात करने वाले स्थानीय लोगों ने कहा कि कुमार का शव पुलवामा के तुमची नौपोरा गांव में एक मंदिर के खंडहर के पास बरामद किया गया. ऐसा प्रतीत होता है कि हाल ही में परिसर के चारों ओर एक पेंट की हुई बाड़ लगाई गई है.
तुमची नौपोरा में ईंट-भट्ठे पर जहां मुकेश कुमार फायरमैन के रूप में काम करते थे. सोमवार सुबह जब काफी समय तक वह वापस नहीं लौटे तो उनके एक सहकर्मी ने उन्हें फोन किया, तो उनके हत्या की जानकारी मिली.
सूत्रों के मुताबिक, मुकेश सोमवार सुबह जब बैंक जाने के लिए ईंट-भट्ठे से निकले तो उनके साथ उत्तर प्रदेश के ही एक अन्य मजदूर राम बिखारी भी थे. एक सूत्र ने बिखारी से जुड़े किसी भी संदेह से इनकार करते हुए कहा, ‘घटना के बारे में पूछताछ के लिए पुलिस बिखारी को अपने साथ ले गई थी.’
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के प्रवासी कामगार मुकेश पहले गैर-स्थानीय हैं, जिनकी इस साल कश्मीर में लक्षित हत्याओं के तहत जान ले ली गई.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि मुकेश कुमार को आतंकवादियों ने गोली मार दी. हमले के बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गई है.
हालांकि, कोई और विवरण साझा नहीं किया गया है.
मुकेश की हत्या से तीन दर्जन से अधिक प्रवासी श्रमिकों में शोक और सदमे की लहर दौड़ गई है, जो ईंट-भट्टा कारखाना परिसर के अंदर कच्ची ईंटों से बनी कई झुग्गियों में अपने परिवारों के साथ रहते हैं.
यहां काम करने वाले उत्तर प्रदेश के निवासी प्रेम शंकर ने कहा, ‘मुकेश की हत्या से कौन सा उद्देश्य पूरा होगा? हम गरीब मजदूर हैं. हम यहां इसलिए आए हैं, ताकि हमारे परिवार भूख से न मरें. वह अपने छोटे बच्चों का पेट भरने के लिए कमा रहा था. वह कोई अपराध नहीं कर रहा था.’
स्वतंत्र अनुमान के अनुसार, लगभग 10 लाख मजदूर हर साल रियल एस्टेट, कृषि और अन्य सेवा-संचालित क्षेत्रों में काम करने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आते हैं.
ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले राम कुमार ने कहा, ‘घर पर कोई नौकरी नहीं है, इसलिए हम कमाई के लिए यहां आते हैं. भले ही स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन हमें यहां अच्छी मजदूरी मिलती है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त है. लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा.’
ठेकेदार राजेश कुमार, जिन्होंने मुकेश को फायरमैन की नौकरी दिलवाई थी, ने कहा कि उनके चाचा भी पास के गांव में एक ईंट भट्ठे पर काम करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम उनके परिवार के संपर्क में हैं. पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले लिया है, जिसके बाद उसे उनेके घर भेजने की तैयारी की जाएगी.’
ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि इस हत्या से भट्ठे पर काम करने वाले अन्य प्रवासी श्रमिकों की भावनाएं हतोत्साहित हुई हैं. मुकेश की जगह एक नया फायरमैन नियुक्त किया जा चुका है.
इस फायरमैन ने नाम न बताते की शर्त पर कहा ‘काम तो चलते रहना है. अगर हम उत्पादन में पीछे रह जाते हैं, तो इसका हमारी कमाई पर असर पड़ेगा.’
24 घंटे के भीतर कश्मीर में लक्षित हमले की यह दूसरी घटना थी. बीते रविवार 29 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस इंस्पेक्टर मसरूर अली वानी को राजधानी श्रीनगर में एक लक्षित हमले में कई बार गोली मारी गई. इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. जब उन पर हमला किया गया तो वह कथित तौर पर क्रिकेट खेल रहे थे.
द रेजिस्टेंस फ्रंट, जिसे अधिकारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा मानते हैं, ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. अधिकारियों ने बताया कि वानी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल संदिग्ध आतंकवादी हमलों में लगभग दो दर्जन सुरक्षाकर्मी और 10 नागरिक मारे गए हैं.
सुरक्षा बलों ने इस साल केंद्र शासित प्रदेश में 70 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है. आधिकारिक अनुमान से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में 100 से अधिक आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से कई विदेशी माने जाते हैं.
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रवासी श्रमिक की हत्या की निंदा करते हुए कहा, ‘इसे बख्शा नहीं जाएगा.’
उन्होंने एक संदेश में कहा, ‘मैं पुलवामा में हुए घृणित और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता हूं. मुकेश कुमार के परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना. हम आतंकवादी खतरे को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, जिसे सीमा पार से लगातार प्रोत्साहन और मजबूती मिल रही है.’
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