प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति से संबंधित मामले में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी और नेताओं को ज़मानत देने से इनकार करना सरकार के लिए एक ‘राजनीतिक हथियार’ बन गया है.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाए जाने के कुछ दिनों बाद राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने बुधवार (1 नवंबर) को कहा कि अब समय आ गया है कि अदालतें मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के घोर दुरुपयोग के प्रति जाग जाएं.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी लगभग सभी विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बना रही है. उन्होंने कहा कि ईडी और नेताओं को जमानत देने से इनकार करना सरकार के हाथों में एक ‘राजनीतिक हथियार’ बन गया है.
मुख्यमंत्री केजरीवाल को पीएमएलए के तहत समन जारी किया गया है. सूत्रों के अनुसार, शराब नीति से संबंधित मामले में बयान दर्ज कराने के लिए ईडी ने केजरीवाल को 2 नवंबर को सुबह 11 बजे अपने दिल्ली कार्यालय में पहुंचने का नोटिस जारी किया है.
वरिष्ठ वकील सिब्बल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘केजरीवाल को ईडी ने तलब किया है. ईडी विपक्ष के लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को निशाना बना रही है.’
उन्होंने कहा, ‘ईडी और नेताओं को जमानत देने से इनकार करना सरकार के हाथ में एक राजनीतिक हथियार बन गया है. अदालतों के लिए पीएमएलए के घोर दुरुपयोग के प्रति जागने का समय आ गया है.’
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करने के बाद मंगलवार को एक अन्य पोस्ट में सिब्बल ने कहा था कि इंडिया गठबंधन को एक स्वर में बोलना चाहिए क्योंकि सभी विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. सभी विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. उन्हें जेल भेजो, सबूत बाद में आ सकते हैं. इंडिया गठबंधन को एक स्वर में बोलना चाहिए.’
शराब नीति मामले में ईडी ने अब तक मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया है. यह पहली बार है जब ईडी ने केजरीवाल को समन किया है. इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अप्रैल में उनसे पूछताछ की थी.
कपिल सिब्बल यूपीए-I और II के दौरान केंद्रीय मंत्री थे. उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने ‘इंसाफ’ नाम से एक गैर-चुनावी मंच भी बनाया है, जिसका लक्ष्य अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ना है.