पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले वे सभी विपक्षी दलों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है. केंद्र ने अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेजा है. पांच-छह सांसदों ने कहा है कि उनके फोन हैक हो गए हैं.
नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के एक मामले में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा अपने मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक की गिरफ्तारी पर आलोचना का सामना कर रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार (1 नवंबर) को उनका बचाव किया और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सभी विपक्ष नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले जेल भेजने की योजना बना रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी ने राज्य सचिवालय में मौजूद मीडियाकर्मियों से कहा, ‘अगले साल (लोकसभा) चुनाव से पहले वे (भाजपा) सभी विपक्षी दलों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं. वे सभी विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करने की योजना बना रहे हैं, ताकि एक ‘खाली देश’ में वे अपने लिए वोट कर सकें. वे एक साजिश रच रहे हैं.’
बनर्जी ने कहा, ‘उन्होंने (केंद्र) ने अरविंद (केजरीवाल) को नोटिस भेजा है. पांच-छह सांसदों ने कहा है कि उनके फोन हैक हो गए हैं. उन्हें ऐसा करते रहने दीजिए. हम अपनी मातृभूमि को अपमानित नहीं कर सकते.’
शराब नीति से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब करने और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा सहित विपक्षी सांसदों द्वारा हाल ही में दिए गए बयानों का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया गया कि उन्हें एप्पल से चेतावनी संदेश मिला है कि ‘सरकार-प्रायोजित हमलावर’ उनके फोन को हैक करने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक की गिरफ्तारी के बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा, ‘यह एक राजनीतिक सवाल है. इसका जवाब देने के लिए यह उचित मंच नहीं है. मेरी पार्टी इसका जवाब देगी. बेशक, वह (मलिक) हमारे मंत्री हैं.’
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में कथित अनियमितताओं के संबंध में ईडी अधिकारियों द्वारा लंबी तलाशी और पूछताछ के बाद 66 वर्षीय टीएमसी नेता मलिक को पिछले शुक्रवार (27 अक्टूबर) तड़के उनके कोलकाता आवास से गिरफ्तार किया गया था.
ईडी ने दावा किया है कि राशन घोटाले से रिश्वत के रूप में प्राप्त धन को मंत्री द्वारा कथित तौर पर तीन फर्जी कंपनियों (Shell Companies) के माध्यम से सफेद किया गया था.
मलिक, जिनके पास अब वन विभाग का प्रभार है, 2011 से 2021 तक खाद्य और आपूर्ति मंत्री थे.
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में मलिक के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि कथित राशन घोटाला वाम मोर्चा शासन के दौरान हुआ था. उन्होंने कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि हमने डिजिटल राशन कार्ड के लिए कैसे काम किया? हमने एक करोड़ झूठे राशन कार्ड कैसे रद्द किए? जब मैं (2011 में) सत्ता में आई तो सच कहा जाए, 1 करोड़ फर्जी राशन कार्ड थे.’
उन्होंने कहा, ‘जो लोग ऊंची-ऊंची बातें कर रहे हैं. वे वाम मोर्चा काल के दौरान उस राशन को (फर्जी राशन कार्ड का उपयोग करके) इकट्ठा करते थे. इस काम को करने में हमें सात से आठ साल लग गए. मैंने 1 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए. कई दलाल लोगों का राशन लेकर बाहर बेच देते थे. मैंने उनके खिलाफ मामले दर्ज किए हैं, उन्हें गिरफ्तार किया है और आरोप-पत्र दाखिल किए हैं.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमें भारतीय खाद्य निगम से चावल खरीदने के लिए मजबूर किया गया. लेकिन एक दिन अचानक उन्होंने हमें इसे बेचना बंद कर दिया. राशन व्यवस्था लगभग बंद थी. तब हमारी सरकार ने निर्णय लिया कि हम किसानों से चावल खरीदेंगे. मैं पिछले 4-5 वर्षों से अपने किसान से चावल खरीद रही हूं. मैं मुफ्त राशन दे रही हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने कई राशन दुकानों को रद्द करने की कोशिश की. मैं नहीं कर सकी. हमें कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा. जब भी हमने किसी दलाल को पकड़ा, जब भी हमने राशन की दुकानें रद्द करने की बात की, हमें अदालत जाना पड़ा. (वे) एक भी परिवार नहीं दिखा सकते, जिसने राशन मांगा हो और उसे नहीं मिला हो. केंद्र सरकार ने भी 100 प्रतिशत कार्ड को डिजिटल बनाने के हमारे प्रयासों की सराहना की. ऐसा करने में समय लगा. अब सब स्पष्ट है.’
विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘क्या किसी को पता है कि मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हल्दिया विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कितनी जमीन कितने पैसे में बेची?’
2021 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से जीतने वाले शुभेंदु अधिकारी को 2020 में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में राज्य परिवहन मंत्री के रूप में कार्य करते हुए हल्दिया विकास प्राधिकरण में नियुक्त किया गया था. दिसंबर 2020 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे.
मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें सभी दस्तावेज प्रकाशित करने चाहिए. मैंने उन्हें पहले (नंदीग्राम में) हराया था और फिर भी हराऊंगा.’