आईआईटी बीएचयू की छात्रा से छेड़खानी, निर्वस्त्र करने के ख़िलाफ़ छात्रों के प्रदर्शन समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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वाराणसी में आईआईटी-बीएचयू की एक छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ के खिलाफ परिसर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, छात्रा का आरोप है कि बुधवार देर रात परिसर में तीन अज्ञात बाइक सवार लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की, उन्हें जबरन चूमा, निर्वस्त्र किया और उनके फोटो और वीडियो रिकॉर्ड किए. छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है. उधर, घटना की खबर सामने आने के बाद हजारों छात्र गुरुवार सुबह बेहतर सुरक्षा व्यवस्था की मांग करते हुए संस्थान के निदेशक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने लगे. इसके बाद आईआईटी-बीएचयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर कहा कि ‘संस्थान में सभी बैरिकेड्स अब से रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक बंद रहेंगे. चौकियों पर मौजूद गार्ड्स बीएचयू के स्टिकर या पहचान पत्र देखने के बाद प्रवेश की अनुमति दे सकते हैं.’

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. द हिंदू के अनुसार, मामले को सुन रही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने तीन दिनों तक मतदाताओं के सूचना के अधिकार और दानदाताओं की गोपनीयता के अधिकार से संबंधित दलीलें सुनी थीं. पीठ ने निर्वाचन आयोग को 12 अप्रैल 2019 से 30 सितंबर 2023 तक सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त चुनावी बांड की जानकारी दो हफ़्तों के अंदर सीलबंद कवर में जमा करने का भी निर्देश दिया है. सीजेआई ने कहा कि वे इस स्तर पर एसबीआई से दानदाताओं की पहचान उजागर करने के लिए नहीं कहेंगे, लेकिन वे इसकी हिस्सेदारी (पैमाना) जानना चाहेंगे.

‘कैश फॉर क्वेरी’ संबंधित आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि समिति ने उनसे अभद्र और निजी सवाल पूछे. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दूसरी तरफ इस समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद विनोद सोनकर का कहना है कि बैठक छोड़कर निकलने के पहले उन्हें और समिति के सदस्यों के लिए ‘असंसदीय’ भाषा का इस्तेमाल किया. इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट करते हुए समिति के अध्यक्ष पर महुआ मोइत्रा से ‘अनैतिक सवाल’ पूछने का आरोप लगाया था. समिति के सदस्य और कांग्रेस सांसद एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि वे (समिति अध्यक्ष) किसी और के इशारे पर काम कर रहे हैं. यह बहुत, बहुत ख़राब है. दो दिनों से हम उनसे कुछ पूछ रहे हैं…वे उनसे (महुआ मोइत्रा) पूछ रहे हैं कि आप कहां गई थीं, कहां मिल रही थीं, क्या हमें अपने फोन रिकॉर्ड दे सकती हैं? .. किसी कैश ट्रांसफर का कोई सबूत नहीं है.’ जनता दल (यू) सांसद गिरिधारी यादव ने जोड़ा कि उन्होंने महुआ मोइत्रा से निजी सवाल पूछे, जो पूछने का अधिकार नहीं है, इसलिए वे बैठक से बाहर निकल गए.

केरल सरकार ने लंबित विधेयकों को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. द हिंदू के अनुसार, शुक्रवार को एक स्पेशल लीव पिटिशन दायर करते हुए केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह घोषणा करने की मांग की है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को लंबे और अनिश्चितकाल तक रोककर रखने में अपनी संवैधानिक शक्तियों और कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं. विधायक टीपी रामकृष्णन ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की है. केरल सरकार ने कहा है कि राज्यपाल ने संविधान को ध्वस्त कर दिया और विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चितकाल के लिए रोककर स्पष्ट रूप से मनमाने तरीके से काम किया. सरकार ने यह भी कहा है कि राज्यपाल को बिना किसी देरी के लंबित विधेयकों का निपटान करने का भी निर्देश दिया जाए.

बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर कहा है कि इसका काम ठप पड़ा हुआ है क्योंकि कांग्रेस का ध्यान पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर ही लगा है. नवभारत टाइम्स के अनुसार, पटना में हुए भाकपा के एक कार्यक्रम में नीतीश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विपक्षी एकता से कोई दिलचस्पी नहीं है. आजकल ‘इंडिया’ को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है. हम सबको एक साथ लेकर चलते हैं. कांग्रेस 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में व्यस्त है. कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन पर कतई ध्यान नहीं दे रही है.’ नीतीश कुमार से पहले ‘इंडिया’ गठबंधन में शमिल सपा के प्रमुख अखिलेश यादव भी कांग्रेस को लेकर सवाल उठा चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट में राज्यों द्वारा पेश डेटा दिखाता है कि अवैध हथियारों की ‘खतरनाक’ वृद्धि दर्ज की गई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह रिपोर्ट राज्यों से प्राप्त आंकड़ों का संकलन है, जो वरिष्ठ अधिवक्ता एस. नागामुथु द्वारा दायर की गई थी, जो बिना लाइसेंस वाले और देसी हथियारों से जुड़े बढ़ते अपराधों की समस्या पर शीर्ष अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान लिए गए मामले में एमिकस क्यूरी हैं.अप्रैल में अदालत ने राज्यों को हाल में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अवैध हथियारों से जुड़े मामलों की संख्या के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था और इस मुद्दे के समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी. रिपोर्ट में यह कहते हुए कि स्थिति चिंताजनक है, जोड़ा गया है कि यह समस्या उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में गंभीर है, जहां हर साल अवैध हथियारों की जब्ती बढ़ रही है. उन्होंने इसका कारण उपद्रवीपन (rowdyism) के चलन को बताया है.