भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि संसद में अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को रिश्वत के रूप में ‘नकद’ और ‘उपहार’ दिए गए थे. इस संबंध में वह संसद की एथिक्स कमेटी के समक्ष उपस्थित हुई थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे अपमानजनक और पूर्वाग्रह से ग्रसित व्यवहार किया गया.
नई दिल्ली: संसद की आचार समिति (एथिक्स कमेटी) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर ने बीते गुरुवार (2 नवंबर) को सभी सदस्यों को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ दायर शिकायत पर दो केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की एक प्रति दी.
हालांकि, समिति के एक सदस्य ने द वायर को बताया कि भले ही अध्यक्ष ने उन्हें रिपोर्ट को ‘गोपनीय’ बताते हुए दिया था, लेकिन इसके कुछ विवरण शिकायतकर्ता निशिकांत दुबे द्वारा एक दिन पहले ही सोशल साइट एक्स पर डाल दिए गए थे.
उन्होंने कहा, ‘रिपोर्ट में शिकायत से संबंधित कुछ विशिष्ट डेटा हैं, जिनके बारे में सदस्य के रूप में हमें आज हमारे साथ साझा किए जाने तक जानकारी नहीं थी. उदाहरण के लिए इसमें कहा गया है कि मोइत्रा के सांसद एकाउंट (MP Account) को दुबई से 47 बार एक्सेस किया गया, जहां व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी रहते हैं. हालांकि, दुबे ने यह जानकारी कल ही ट्वीट कर दी थी, जिससे हमें आश्चर्य हुआ कि अध्यक्ष द्वारा हमें गोपनीय बताई गई रिपोर्ट से उन्हें ऐसे विशिष्ट इनपुट कैसे पता चल गए?’
महुआ जी (आरोपी सांसद) की खबर जो मीडिया में चल रही है,उसके अनुसार 47 बार दुबई में हीरानंदानी के यहाँ से mail id, सांसद portal से लोकसभा में प्रश्न पूछे गए ।यदि यह खबर सही है तो देश के सभी सांसदों को महुआ जी के भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना चाहिए । हीरानंदानी के लिए हीरानंदानी ने…
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) November 1, 2023
बीते 26 अक्टूबर को समिति की पिछली बैठक में इसके अध्यक्ष सोनकर ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने मोइत्रा के खिलाफ आरोप की जांच में गृह और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सहायता मांगी है.
दुबे ने एक वकील जय अनंत देहाद्राई के साथ आचार समिति में शिकायत दर्ज कराई थी कि टीएमसी सांसद मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी.
मोइत्रा और जय अनंत करीबी दोस्त हुआ करते थे.
शिकायत में कहा गया है कि मोइत्रा ने अपने सांसद एकाउंट के आधिकारिक ईमेल का पासवर्ड हीरानंदानी के साथ साझा किया था और दावा किया था कि इससे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से समझौता हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखर आलोचक मोइत्रा ने दुबे पर पलटवार करते हुए कहा था कि उनकी शिकायत इसलिए की गई है, क्योंकि उन्होंने संसद में उनसे (दुबे) एक फर्जी डिग्री के बारे में सवाल किया था, जो उन्होंने कथित तौर पर भारत के चुनाव आयोग को अपने चुनावी हलफनामे के साथ सौंपी थी.
गुरुवार की बैठक लगभग तीन घंटे तक चली, जिसके अंत में न केवल मोइत्रा, बल्कि विपक्षी दलों के पांच सदस्य भी वॉकआउट कर गए.
एक सदस्य ने द वायर को बताया, ‘ऐसा इसलिए था, क्योंकि उनसे अप्रासंगिक, अशोभनीय और अनैतिक प्रश्न पूछे गए थे. हमने आपत्ति जताई कि एथिक्स कमेटी द्वारा ऐसे प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए.’
यह पूछे जाने पर कि वे प्रश्न क्या थे, सदस्य ने कहा, ‘उनसे (मोइत्रा) पूछा गया था कि वह अपनी यात्राओं के दौरान दुबई के किस होटल में रुकी थीं और किसके साथ रुकी थीं, आदि. विपक्षी सदस्यों को आधिकारिक मंच पर संसद की एक महिला सदस्य से पूछे गए सवाल बेहद आपत्तिजनक लगे इसलिए वे सदन से बाहर चले गए.’
एक अन्य सदस्य ने द वायर को बताया, ‘जब बैठक शुरू हुई, तो अध्यक्ष ने कागज पर लिखे सवाल पूछना शुरू किया. आश्चर्य की बात यह थी कि प्राथमिक प्रश्न के लिए उनके (मोइत्रा) द्वारा ‘नहीं’ कहने के बाद भी, उस कागज पर पहले से लिखे गए प्रश्नों के कुछ हिस्से भी उससे पूछे गए थे, जैसे कि यह उन्हें (अध्यक्ष को) दिया गया कोई टास्क था, जिसे उन्हें अनिवार्य रूप से पूरा करना था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘फिर कुछ सदस्यों ने अध्यक्ष के सवाल उठाने से शुरू हुई बैठक पर आपत्ति जताई, क्योंकि पिछली बैठक में जब दुबे और देहाद्राई को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था, तो उन्हें अपना प्रारंभिक वक्तव्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था. आखिरकार, उन्हें (महुआ) अपना बयान पढ़ने की इजाजत दी गई.’
एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘अपने पूरे बयान में उन्होंने (महुआ) इस बात पर प्रकाश डाला था कि शिकायत एक व्यक्तिगत लड़ाई (उनके और देहाद्राई के बीच) से उत्पन्न हुई है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने हीरानंदानी के साथ अपने एकाउंट का पासवर्ड साझा किया था, मोइत्रा ने संसद में प्रश्न दर्ज करने के लिए अपने निजी कर्मचारियों की मदद लेने की बात स्वीकार की.
एक सदस्य ने कहा, ‘इस पर कुछ सदस्यों ने अध्यक्ष को बताया कि अधिकांश सांसद ऑनलाइन प्रश्न दर्ज करने के लिए दूसरों की मदद लेते हैं.’
सदस्य ने कहा कि महुआ मोइत्रा से पूछे गए सभी प्रश्न केवल अध्यक्ष द्वारा थे और किसी अन्य सदस्य को प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं थी.
इस बीच अध्यक्ष ने बहिर्गमन से पहले विपक्षी सदस्यों पर ‘अनैतिक व्यवहार’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि मोइत्रा गुस्से में आ गईं और उन्होंने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया.
चूंकि बैठक पांच विपक्षी सांसदों के वॉकआउट के साथ समाप्त हुई, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि आगे की कार्रवाई क्या होगी. आज की बैठक में अध्यक्ष के अलावा 11 सदस्य उपस्थित थे.
अपमानजनक और पूर्वाग्रह से ग्रसित व्यवहार किया गया: मोइत्रा
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी की जांच को ‘गंदी, अनैतिक, स्त्रियों के प्रति द्वेषपूर्ण’ बताया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को संबोधित एक पत्र में उन्होंने कहा कि अध्यक्ष द्वारा एथिक्स कमेटी की सुनवाई में उनके साथ ‘अनैतिक, घिनौना और पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार’ किया गया.
पत्र में उन्होंने कहा, ‘प्रासंगिक विषय पर प्रश्न पूछने के बजाय अध्यक्ष ने दुर्भावनापूर्ण और स्पष्ट रूप से अपमानजनक तरीके से मुझसे सवाल करके पूर्वकल्पित पूर्वाग्रह का प्रदर्शन किया. इतना कि उपस्थित 11 सदस्यों में से पांच ने उनके शर्मनाक आचरण के विरोध में बहिर्गमन करते हुए कार्यवाही का बहिष्कार किया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं लोकसभा सचिवालय से अनुरोध करती हूं कि कृपया केवल प्रश्न टाइप करने के लिए पोर्टल के पासवर्ड को साझा करने संबंधी नियमों का खुलासा करें (जहां मेरे मोबाइल फोन पर आए ओटीपी के बिना कुछ भी सबमिट नहीं किया जा सकता है?) ये नियम सांसदों को कभी क्यों नहीं बताए गए और अगर ये नियम थे तो हर एक सांसद इस आईडी को कई लोगों के साथ क्यों साझा कर रहा है? जब सरकार ने न्यायपालिका, स्वतंत्र पत्रकारों और विपक्ष के सदस्यों की जासूसी करने के लिए इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया तो इस आचार समिति की अंतरात्मा कहां थी? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन नहीं था?’
मोइत्रा ने कहा कि उनसे उनकी निजी जिंदगी के बारे में बेहद निजी सवाल पूछे गए. समिति के अन्य सदस्यों द्वारा अध्यक्ष को ऐसे प्रश्न पूछने से परहेज करने की चेतावनी दिए जाने के बाद भी यह जारी रहा. दो घंटे की पूछताछ के बाद समिति के पांच सदस्यों ने यह कहते हुए कार्यवाही का बहिष्कार किया कि वे इस ‘चीरहरण’ या ‘किसी महिला को निर्वस्त्र करने’ में पक्षकार नहीं बनेंगे.
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