वित्त मंत्रालय ने कहा है कि देशभर में भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाएं 6 नवंबर से 20 नवंबर के बीच चुनावी बॉन्ड जारी कर सकती हैं. यह घोषणा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से कुछ हफ्ते पहले आई है.
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की है कि देशभर में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाएं सोमवार (6 नवंबर) से 20 नवंबर के बीच चुनावी बॉन्ड जारी कर सकती हैं.
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 2018 में योजना शुरू करने के बाद से यह चुनावी बॉन्ड बिक्री का 29वां बैच होगा.
वित्त मंत्रालय की घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखने के दो दिन बाद और पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले आई है.
चुनावी बॉन्ड ब्याज मुक्त वित्तीय साधन हैं जिनका उपयोग व्यक्ति या समूह राजनीतिक दलों को गुमनाम दान देने के लिए कर सकते हैं.
इन्हें चेक या डिजिटल माध्यम से भुगतान के बाद अधिकृत एसबीआई शाखाओं द्वारा 1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच अलग-अलग राशि में जारी किया जाता है. कैश के जरिये भुगतान की अनुमति नहीं है.
चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने के लिए पार्टियों को पंजीकृत होना चाहिए और पिछले संसदीय या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट प्राप्त किया होना चाहिए.
केंद्र सरकार ने 2017 में इस योजना का प्रस्ताव देते हुए कहा था कि यह भारत में राजनीतिक दलों की फंडिंग के तरीके में जरूरी पारदर्शिता लाएगी.
लेकिन आलोचकों ने तर्क दिया है कि योजना के माध्यम से दान की गुमनाम प्रकृति राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी के जनता के अधिकार का उल्लंघन करती है. उन्होंने यह भी चिंता जताई है कि केंद्र सरकार चुनावी बॉन्ड दाताओं की पहचान के बारे में एसबीआई डेटा तक पहुंच सकती है.
उल्लेखनीय है कि बीते हफ्ते ही अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा था कि नागरिकों को चुनावी बॉन्ड फंड के स्रोतों को जानने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.
लाइव लॉ के अनुसार, उनका कहना था, ‘सबसे पहले तो उचित प्रतिबंधों के बगैर किसी भी चीज़ और हर चीज़ को जानने का कोई सामान्य अधिकार नहीं हो सकता है. दूसरे, अभिव्यक्ति के लिए जरूरी जानने का अधिकार विशिष्ट उद्देश्य या इरादे के लिए हो सकता है, अन्यथा नहीं.’
इसके दो दिन बाद शीर्ष अदालत ने इस योजना की वैधता को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने के लिए उन्हें सार्वजनिक कार्यालय घोषित किया जाए और उन्हें उनके आय और व्यय का खुलासा करने के लिए बाध्य किया जाए.
हालांकि, मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गुमनाम दान के लिए योजना के प्रावधान का उद्देश्य किन्हीं दलों द्वारा उन लोगों को नुकसान न पहुंचने देना हो सकता है, जिन्हें उस व्यक्ति या संस्था ने दान नहीं दिया है.
सीजेआई ने कहा, ‘मान लीजिए कि आप किसी ऐसी पार्टी को चंदा दे रहे हैं जो सत्ता में नहीं है… मान लीजिए कि दान देने वाला राज्य में कारोबार कर रहा है और उसका नाम सभी को पता है… इसमें तर्क है; यह वैध है या नहीं, यह हमें तय करना है.’
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा था कि इस योजना में ऐसा कोई विनियमन नहीं है जो विशेष रूप से चुनावी उद्देश्यों के लिए बॉन्ड द्वारा प्राप्त धन के इस्तेमाल को जोड़ता हो.
द लीफलेट के अनुसार, उनका कहना था, ‘मैं चुनावी बॉन्ड के जरिये किसी राजनीतिक दल को 10 करोड़ रुपये का चंदा देता हूं… पार्टी इसे मुख्यधारा के किसी मीडिया चैनल को दे सकती है और मेरी विचारधारा का प्रचार कर सकती है या किसी को तोहफा दे सकती है. मेरा इस पर कोई नियंत्रण नहीं है.’
याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर 30 सितंबर 2023 तक सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से मिले चंदे का ब्योरा देने का निर्देश दिया है.
इसी बीच, द हिंदू ने राजनीतिक फंडिंग के स्रोत पर उपलब्ध डेटा के विश्लेषण में पाया कि वित्त वर्ष 2015- 2017 में राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से धन का स्रोत वित्त वर्ष 2019- 2022 की अवधि में 66% से बढ़कर 72% (लगभग तीन-चौथाई) हो गया.
2018 में चुनावी बॉन्ड आने के बाद 2019-2022 की अवधि में भाजपा की कुल आय में अज्ञात स्रोतों की हिस्सेदारी 58% से बढ़कर 68% हो गई.
इसी अवधि में कांग्रेस की हिस्सेदारी (कुल आय के एक अंश के रूप में अज्ञात स्रोतों की) लगभग 80% रही.
चुनावी बॉन्ड की शुरुआत के बाद की अवधि में राष्ट्रीय दलों को मिली अज्ञात फंडिंग का 81% हिस्सा ऐसे बॉन्ड्स का रहा था.
इसी विश्लेषण में इस्तेमाल एडीआर डेटा के अनुसार, भाजपा ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2022 के बीच 5,721 करोड़ रुपये हासिल किए. यह तब तक जारी किए गए कुल चुनावी बॉन्ड का 57% था.