कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री के बेटे को निशाना बनाने के लिए सरकार द्वारा ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है. पार्टी ने आरोप लगाया कि ईडी उसके नेताओं की छवि ख़राब करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने बीते बुधवार (8 नवंबर) को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को निशाना बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग को दिए ज्ञापन में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ईडी उसके नेताओं की छवि खराब करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.
ज्ञापन में मंगलवार (7 नवंबर) को छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले चरण के मतदान से कुछ दिन पहले ईडी की 3 नवंबर की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया गया, जिसमें महादेव ऐप मामले में गलत तरीके से अर्जित धन से बघेल को जोड़ा गया था.
ज्ञापन में कहा गया है, ‘02/11/2023 को एक व्यक्ति की तलाश की गई और 03/11/2023 को प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई. बुनियादी जांच-पड़ताल किए बिना ही जिस जल्दबाजी में प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई और इसमें मौजूदा मुख्यमंत्री का नाम शामिल किया गया, यह स्पष्ट रूप से ईडी की दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित प्रकृति और भाजपा द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है, जो केंद्र में सत्ता में होने के कारण अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इन एजेंसियों को रिमोट-कंट्रोल से नियंत्रित करती है.’
ज्ञापन में कांग्रेस ने 2022 के पेपर लीक मामले में कांग्रेस के राजस्थान प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा और उनके परिवार के सदस्यों के परिसरों पर 26 अक्टूबर को ईडी द्वारा की गई छापेमारी का भी हवाला दिया.
कांग्रेस ने कहा कि जिस मामले में राजस्थान पुलिस पहले ही 60 से अधिक गिरफ्तारियों के साथ आरोप-पत्र दायर कर चुकी है और जिस पर अदालत में मुकदमा चल रहा है, उसमें ईडी की कार्रवाई ‘राजनीति से प्रेरित और बिना किसी कानूनी आधार के’ है.
इसमें कहा गया है कि उसी दिन (26 अक्टूबर) ईडी ने वैभव गहलोत को एक अलग मामले में तलब किया, पार्टी ने इसे ‘सरासर राजनीतिक प्रतिशोध’ बताया.
चुनाव आयोग के हस्तक्षेप की मांग करते हुए कांग्रेस ने आयोग की 7 अप्रैल, 2019 की प्रवर्तन एजेंसियों को दिए गए परामर्श का हवाला दिया, जिसमें उन्हें चुनाव अवधि के दौरान तटस्थ रहने के लिए कहा गया था.
चुनाव आयोग की सलाह में कहा गया है, ‘यह चुनाव आयोग दृढ़ता से सलाह देता है कि चुनाव अवधि के दौरान सभी प्रवर्तन कार्रवाइयां, भले ही उस घोर चुनावी कदाचार (मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए धनबल का प्रयोग) को रोकने के लिए की जाएं, बिल्कुल तटस्थ, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण हों.’
कांग्रेस ने कहा कि चुनाव अवधि के दौरान सरकार द्वारा ईडी का ‘घोर और दुस्साहसिक दुरुपयोग’ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और अनुचित प्रभाव से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं का उल्लंघन है.
कांग्रेस ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को चुनाव आयोग के 2019 के निर्देशों का पालन करना चाहिए, अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने वाले ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और ईडी की 3 नवंबर की प्रेस विज्ञप्ति को वापस ली जाए, जिसमें बघेल का उल्लेख था.
ज्ञापन पर कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी, जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी, रंजीत रंजन, वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और कांग्रेस संचार प्रभारी विनीत पुनिया ने हस्ताक्षर किए हैं.