बिहार विधानसभा में आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक के सर्वसम्मति से पास होने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर दिया, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नए प्रस्ताव के मुताबिक, ओबीसी को 18 फीसदी, ईबीसी को 25 फीसदी, अनुसूचित जाति को 20 फीसदी और अनुसूचित जनजाति को 2 फीसदी कोटा मिलेगा. सरकार ने यह भी बताया कि चूंकि अन्य 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा अलग अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रभावी है और वर्तमान बिल का हिस्सा नहीं है, ऐसे में कुल कोटा सीमा अब 75 प्रतिशत तक होगी. ज्ञात हो कि बिहार जाति सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट पेश होने के कुछ घंटों बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संशोधन का प्रस्ताव रखा था. सर्वे में सामने आया था कि बिहार के 13.1 करोड़ लोगों में से 36 फीसदी लोग ईबीसी से हैं और 27.1 फीसदी लोग ओबीसी से हैं. 9.7 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति जनसंख्या का 1.7 प्रतिशत है. सामान्य वर्ग की आबादी 15.5 प्रतिशत है.

‘कैश फॉर क्वेरी’ संबंधित आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को अयोग्य ठहराने का सुझाव दिया है. द हिंदू के अनुसार, समिति ने गुरुवार को महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट पेश की, जिसे 6-4 वोट से पारित किया गया. कांग्रेस सांसद प्रनीत कौर ने पक्ष में मतदान दिया, वहीं अन्य चार विपक्षी सांसदों ने असहमति जाहिर की. कौर को इस साल की शुरुआत में उनकी पार्टी द्वारा निलंबित किया जा चुका है. समिति ने मोइत्रा के अनधिकृत कर्मियों के साथ उनकी लोकसभा लॉग-इन क्रेडेंशियल साझा करने के ‘अनैतिक आचरण’ और ‘सदन की अवमानना’ के लिए दोषी ठहराया है. पैनल ने इसे ‘गंभीर कदाचार’ बताया और ‘कड़ी सजा’ की सिफारिश की. अख़बार के अनुसार, समिति ने इस ‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक और आपराधिक आचरण के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से गहन, कानूनी, संस्थागत जांच’ की भी सिफारिश की है. समिति ने धन के लेन-देन (मनी ट्रेल) की जांच का काम केंद्र सरकार पर छोड़ दिया है.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कतर में भारत के आठ पूर्व नौसेना कर्मियों को मिली मौत की सजा के खिलाफ अपील दायरकी गई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘कतर में एक निचली अदालत ने फैसला सुनाया, जो गोपनीय है और इसे कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है. इस संबंध में एक अपील दायर की गई है. हम कतरी अधिकारियों के भी संपर्क में हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि 7 नवंबर को दोहा में भारतीय दूतावास को बंदियों तक एक और कांसुलर पहुंच मिली है और इस बारे में भी अधिकारियों से बातचीत की जाएगी. अगस्त 2022 में बिना किसी आरोप के हिरासत में लिए गए आठ पूर्व नौसेना अधिकारी एक निजी फर्म- दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और उससे संबंधित सर्विस दिया करती थीं. ख़बरों के अनुसार, उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था. सालभर की अवधि में उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की गईं.

फिल्मकार सुधन्वा देशपांडे ने ‘टाइम्स नाउ’ चैनल पर  उनके खिलाफ ‘गलत ख़बरें’ फैलाने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट के अनुसार, मामला 6 नवंबर को आईआईटी-बॉम्बे में आयोजित एक लेक्चर से जुड़ा है, जहां प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा ने देशपांडे को एक इजरायली यहूदी फिल्मकार द्वारा निर्देशित 2004 की डॉक्यूमेंट्री फिल्म को पेश करने के लिए आमंत्रित किया था. कार्यक्रम की शुरुआत में देशपांडेने एक छोटा लेक्चर दिया, जिसके बारे में कुछ छात्रों का मानना था कि यह ‘हमास और हिंसा समर्थक’ था. उन्हें बुलाने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए प्रोफेसर साहा के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है. इस घटनाक्रम को लेकर टाइम्स नाउ ने 8 नवंबर को ‘आईआईटियंस ने प्रोफेसर साहा पर फिलीस्तीनी आतंकवादियों का महिमामंडन करने वाले फिल्मकार को आमंत्रित करने का आरोप लगाया’ शीर्षक से एक प्रोग्राम किया था, जिसमें देशपांडे और प्रोफेसर साहा को हमास समर्थक बताया गया था. बताया गया है कि चैनल की रिपोर्ट किन्ही दो छात्रों के बयान पर आधारित थी और इसमें कथित महिमामंडन’ को साबित करने के लिए ज़्यादा नहीं बताया गया था.’ देशपांडे ने गुरुवार को जारी एक बयान में ‘चैनल के उनके खिलाफ दुष्प्रचार अभियान’ की निंदा की है.

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सामने आया है कि आधार से लिंक करने की समयसीमा ख़त्म होने के बाद 11.5 करोड़ पैन कार्ड निष्क्रिय हो गए. द हिंदू के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बताया कि भारत में 70.24 करोड़ पैन कार्ड धारक हैं और उनमें से 57.25 करोड़ ने अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक कर लिया है. 12 करोड़ से अधिक पैन कार्डों को आधार से नहीं जोड़ा गया है, जिनमें से 11.5 करोड़ कार्ड निष्क्रिय कर दिए गए हैं. पैन को आधार से जोड़ने की समयसीमा 30 जून 2023 थी. पैन कार्ड के नए आवेदकों के लिए आवेदन चरण के दौरान आधार-पैन लिंकिंग ऑटोमैटिक होती है, वहीं मौजूदा पैनधारकों, जिन्हें 1 जुलाई, 2017 या उससे पहले पैन आवंटित किया गया था, के लिए पैन और आधार को लिंक करना अनिवार्य है.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच कांग्रेस ने इसके नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आयोग को दिए ज्ञापन में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ईडी उसके नेताओं की छवि खराब करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम कर रही है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री के बेटे को निशाना बनाने के लिए सरकार द्वारा ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कांग्रेस ने आयोग की 7 अप्रैल, 2019 की प्रवर्तन एजेंसियों को दिए गए परामर्श का हवाला दिया, जिसमें उन्हें चुनाव अवधि के दौरान तटस्थ रहने के लिए कहा गया था. पार्टी ने यह भी जोड़ा कि चुनाव अवधि के दौरान सरकार द्वारा ईडी का ‘घोर और दुस्साहसिक दुरुपयोग’ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और अनुचित प्रभाव से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं का उल्लंघन है.