महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर विपक्ष ने असंतोष जताया

कैश फॉर क्वेरी के आरोपों से घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफ़ारिश पर एथिक्स कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों ने कहा है कि इसने अपनी जांच ‘अनुचित जल्दबाज़ी’ और ‘संपूर्ण औचित्य की कमी’ के साथ की है. यह सिफ़ारिश ‘पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से की गई है और एक ख़तरनाक मिसाल पैदा करेगी’.

महुआ मोइत्रा. (फाइल फोटो: द वायर)

कैश फॉर क्वेरी के आरोपों से घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफ़ारिश पर एथिक्स कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों ने कहा है कि इसने अपनी जांच ‘अनुचित जल्दबाज़ी’ और ‘संपूर्ण औचित्य की कमी’ के साथ की है. यह सिफ़ारिश ‘पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से की गई है और एक ख़तरनाक मिसाल पैदा करेगी’.

महुआ मोइत्रा. (फाइल फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने बीते गुरुवार (9 नवंबर) को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की. हालांकि कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों ने अपने असहमति नोट में कहा कि इसने अपनी जांच ‘अनुचित जल्दबाजी’ और ‘संपूर्ण औचित्य की कमी’ के साथ की है.

कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों की जांच को ‘कंगारू कोर्ट’ द्वारा ‘फिक्स्ड मैच’ बताते हुए विपक्षी नेताओं ने एथिक्स कमेटी के फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश ‘पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से की गई है और यह एक खतरनाक मिसाल पैदा करेगी’.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के बाद कमेटी की रिपोर्ट को इसके पक्ष में छह सांसदों और विपक्ष के चार सांसदों के मतदान के बाद अपनाया गया.

अपने असहमति नोट में बसपा के दानिश अली, कांग्रेस के वी. वैथीलिंगम और उत्तम कुमार रेड्डी, माकपा के पीआर नटराजन और जदयू के गिरिधारी यादव ने कहा कि मोइत्रा को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया, जिनके साथ उन पर अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड साझा करने का आरोप है.

उत्तम कुमार रेड्डी गुरुवार की बैठक में उपस्थित नहीं थे. उन्होंने अपना असहमति नोट ईमेल द्वारा भेजा.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में मोइत्रा ने स्वीकार किया था कि उन्होंने हीरानंदानी को अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था, लेकिन उनसे नकद लेने से इनकार किया था, जैसा कि वकील जय अनंत देहाद्राई ने सीबीआई को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है.

असहमति नोट में कहा गया है, ‘कथित रिश्वत देने वाले हीरानंदानी इस मामले में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जिसने बिना किसी विवरण के एक अस्पष्ट ‘स्वत: संज्ञान’ हलफनामा दिया है. उनसे मौखिक साक्ष्य और जिरह के बिना, जैसा कि मोइत्रा ने लिखित रूप में मांग की थी और वास्तव में निष्पक्ष सुनवाई के कानून की मांग के अनुसार, यह जांच प्रक्रिया एक दिखावा और ‘कंगारू कोर्ट’ है.’

एक असहमति नोट में कहा गया है कि मोइत्रा के निष्कासन की कमेटी की सिफारिश गलत है और इसे ‘पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से’ तैयार किया गया है. हालांकि विपक्षी नेताओं ने अलग-अलग असहमति नोटों में टिप्पणियां कीं, लेकिन उनके तर्क काफी हद तक समान थे.

विपक्षी सांसदों ने कहा, ‘शिकायतकर्ता (देहाद्राई) का मोइत्रा के साथ कड़वे व्यक्तिगत संबंधों का इतिहास था और शिकायत में इस तथ्य का कहीं भी खुलासा नहीं किया गया था, जिससे इस मामले की शुरुआत में ही दुर्भावनापूर्ण इरादे का प्रदर्शन होता है.’

असहमति नोट ने कहा गया, ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध का हिसाब-किताब तय करने का मंच बनना एथिक्स कमेटी का काम नहीं है. यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और भविष्य में इच्छुक पार्टियों द्वारा सांसदों के हर तरह के उत्पीड़न का मौका मिलेगा.’

उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा कोई दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया.

उन्होंने कहा कि मोइत्रा ने पहले ही प्राप्त वस्तुओं की एक सटीक सूची दे दी थी, जिसमें ‘एक स्कार्फ, मेकअप के कुछ छोटे सामान, कुछ बाहरी यात्राओं पर कार और ड्राइवर का लाभ और उनके सरकारी आधिकारिक निवास के लिए वास्तुशिल्प चित्रों का एक सेट’ शामिल था. उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी वस्तु ने सांसदों के लिए किसी भी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया.

मोइत्रा द्वारा हीरानंदानी के साथ अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड साझा करने पर विपक्षी सांसदों ने इसके संबंध में नियमों की अनुपस्थिति की ओर इशारा किया.

उन्होंने कहा, ‘हम सभी संसदीय कार्यों में मदद के लिए सहायकों, प्रशिक्षुओं, रिश्तेदारों और दोस्तों का उपयोग करते हैं. किसी भी समय संसद के दोनों सदनों के कुल 800 सांसदों के लिए लगभग 3000 या उससे अधिक व्यक्ति पोर्टल लॉगिन कर रहे हैं.’

असहमति नोट में कहा गया, ‘मोइत्रा ने पहले ही कहा है कि उन्होंने हीरानंदानी के कार्यालय से अपने प्रश्नों के लिए केवल टाइपिंग सेवाओं का उपयोग किया था और ओटीपी उनके आईपैड/लैपटॉप/फोन पर आया था, इस प्रकार किसी भी अनुचित एक्ससे की कोई गुंजाइश नहीं है. राष्ट्रीय सुरक्षा का आरोप बिल्कुल बेतुका है. अगर एनआईसी पोर्टल इतना गुप्त है तो नियम बनाए जाने चाहिए थे और विदेशी आईपी पते से एक्सेस को अवरुद्ध किया जाना चाहिए था.’

विपक्षी सदस्यों ने दानिश अली को सलाह देने की कमेटी की सिफारिश पर भी सवाल उठाए. एक नोट में कहा गया, ‘(अली) को नियम 275(2) के उल्लंघन के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि आपने खुद प्रेस से बार-बार बात करके इस नियम का उल्लंघन किया है.’