पंजाब के राज्यपाल को विधेयक पास करने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर/pixabay)

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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी न देने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि वे आग से खेल रहे हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को पंजाब सरकार की राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के खिलाफ याचिका की सुनवाई में विधायी प्रक्रिया का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया. सीजेआई ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप आग से खेल रहे हैं. राज्यपाल ऐसा कैसे कह सकते हैं… ये निर्वाचित सदस्यों द्वारा पारित विधेयक हैं… क्या हम संसदीय लोकतंत्र बने रहेंगे? यह बहुत गंभीर मामला है.’ शीर्ष अदालत ने पुरोहित की इस दलील को खारिज कर दिया कि 19 और 20 जून को हुई विधानसभा बैठक संवैधानिक रूप से वैध नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि विधानसभा के सत्र पर संदेह करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरा होगा. पीठ ने जोड़ा कि सदन के सत्र की वैधता पर संदेह करना राज्यपाल के लिए कोई संवैधानिक विकल्प नहीं है.’

यूपी के मुज़फ्फरनगर में एक निजी स्कूल के मुस्लिम छात्र को सहपाठियों से थप्पड़ लगवाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की है. लाइव लॉ के अनुसार, शुक्रवार को कड़े शब्दों वाले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित छात्र के लिए काउंसलिंग और प्रवेश के संबंध में पारित आदेशों का पालन न करने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग को फटकार लगाई. कोर्ट ने बच्चे और अन्य छात्रों को उचित परामर्श न दिए जाने पर रोष व्यक्त किया और इस विफलता को सुधारने के लिए काउंसलिंग में मदद का जिम्मा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) को दिया. कोर्ट ने दिसंबर में होने वाली अगली सुनवाई के लिए शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को वर्चुअली मौजूद का निर्देश भी दिया है.

दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता और प्रदूषण के मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड-इवेन योजना लागू करने का बोझ अदालत पर डालने को लेकर इसकी खिंचाई की. द टेलीग्राफ के अनुसार, शीर्ष अदालत शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजधानी में इस योजना को शुरू करने का निर्णय सरकार को लेना है. जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत का ऑड-इवेन योजना से कोई लेना-देना नहीं है और उसने कभी नहीं कहा कि इसे आसपास के राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाली टैक्सियों पर भी लागू किया जाना चाहिए. 7 नवंबर की सुनवाई में अदालत ने योजना के प्रभाव पर सवाल उठाया था, जिसके बाद पर्यावरण मंत्री ने कहा था कि इसे तभी लागू किया जाएगा जब शीर्ष अदालत शुक्रवार की सुनवाई कर लेगी और कोई आदेश जारी करेगी. दिल्ली सरकार ने पहले घोषणा की थी कि वह दिवाली के एक दिन बाद 13 से 20 नवंबर तक ऑड-इवेन योजना लागू करेगी, हालांकि अब कहा गया है कि इसे सुधरी वायु गुणवत्ता देखते हुए फ़िलहाल स्थगित कर दिया है और अगले हफ्ते इस बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा.

तमिलनाडु सरकार के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है. बार एंड बेंच के अनुसार, अदालत ने इसे लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, साथ ही मामले को लेकर देश के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से भी मदद मांगी है. वकील सबरीश सुब्रमण्यन के जरिये दायर याचिका में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह राज्यपाल को निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों का निपटान करने का निर्देश दे.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक ‘स्वतंत्र निकाय’ है और केंद्र का ‘इस पर कोई नियंत्रण नहीं है’. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्र ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका का विरोध करते हुए की, जिसमें सीबीआई पर राज्य की सहमति के बिना जांच शुरू करने का आरोप लगाया गया है. नवंबर 2018 में राज्य सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम के तहत मामलों की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी को दी गई अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी. अब बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ शीर्ष अदालत में मुकदमा दायर किया है, जो किसी राज्य को केंद्र या किसी अन्य राज्य के साथ विवाद के मामले में सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार देता है. इसने अदालत से 12 मामलों में सीबीआई जांच रोकने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया है.

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