ख़ुद को सहारा इंडिया परिवार का मुख्य संरक्षक कहने वाले सुब्रत रॉय का लंबी बीमारी के बाद मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे 75 वर्ष के थे.
नई दिल्ली: सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे 75 वर्ष के थे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कंपनी के एक बयान में कहा गया है कि कई बीमारियों से उपजी जटिलताओं के साथ एक लंबी लड़ाई के बाद उनका निधन हो गया.
खुद को सहारा इंडिया परिवार का मुख्य संरक्षक कहने वाले रॉय अपने राजनीतिक संबंधों के साथ कारोबार और फाइनेंस की दुनिया में विवादास्पद उपक्रमों के लिए जाने जाते थे.
1978 में केवल 2000 रुपये की पूंजी के साथ एक मामूली शुरुआत करते हुए उन्होंने कई दशकों में सहारा इंडिया समूह खड़ा किया था. समूह ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि उसके पास 9 करोड़ निवेशक और ग्राहक हैं, उसकी कुल संपत्ति 2,59,900 करोड़ रुपये है, इसके पास 5,000 प्रतिष्ठान और 30,970 एकड़ भूमि है.
अख़बार के अनुसार, रॉय ने पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक सीमित या कोई पहुंच न रखने वाले लाखों गरीबों और ग्रामीण भारतीयों से जमा राशि एकत्र करके अपना साम्राज्य खड़ा किया . हालांकि, बाजार नियामक सेबी के उनके खिलाफ कदम उठाने के बाद यह साम्राज्य टूटना शुरू हुआ. यह केस तीन करोड़ लोगों से 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली से जुड़ा था.
एक समय में रॉय एक एयरलाइन, एक फॉर्मूला वन टीम, एक आईपीएल क्रिकेट टीम, लंदन और न्यूयॉर्क में आलीशान होटल और फाइनेंशियल कंपनियों के मालिक थे. उन्होंने अपनी एयरलाइन ‘एयर सहारा’ को जेट एयरवेज को बेच दिया, जो बाद में खुद ही बंद हो गई.
रॉय को 10,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि न चुकाने पर 4 मार्च 2014 को जेल भेज दिया गया था. अदालत ने कहा था कि जब तक वे 5,000 करोड़ रुपये नकद और 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नहीं लाते, तब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा. 2013 में सहारा ने सेबी कार्यालय को 127 ट्रक भेजे, जिनमें तीन करोड़ से अधिक आवेदन फॉर्म के 31,669 कार्टन और दो करोड़ रिडेम्पशन वाउचर थे.
वे दो साल से अधिक समय तक जेल में रहे और 2016 में पैरोल पर बाहर आए. हालांकि, संपत्ति संबंधित मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वापस जेल भेज दिया था. नीलामी सूची में शामिल उनकी अधिकांश संपत्तियों को आयकर विभाग ने कुर्क कर ली गईं. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर रॉय ने नवंबर 2020 में 62,600 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया तो उनकी पैरोल रद्द कर दी जाए.
सहारा इंडिया की दो कंपनियों द्वारा जारी वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के मुद्दे पर रॉय की बाजार नियामक के साथ मामला चल रहा था. सेबी ने सहारा को निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया था और 2010 में सहारा की दो कंपनियों और रॉय पर जनता से पैसा जुटाने पर प्रतिबंध लगा दिया. 2014 में यह बताया गया कि केवल 4,600 निवेशक रिफंड लेने के लिए आगे आए. नियामक निवेशकों का पता लगाने में भी असमर्थ रहा.
रॉय ने अपने कार्यक्रमों में फिल्मी सितारों की मेजबानी किया करते थे और लगभग एक दशक तक भारतीय क्रिकेट टीम के स्पांसर रहे. वे सभी राजनीतिक दलों में उनके ‘दोस्त’ हुआ करते थे, लेकिन बाद में मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी के साथ अधिक करीब दिखे. दिसंबर 1993 में जब मुलायम सिंह दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बने तो रॉय के रिश्ते और गहरे हो गए. मुलायम सिंह के करीबी सहयोगी अमर सिंह भी रॉय के घनिष्ठ थे.