बठिंडा नगर निगम की महापौर रमन गोयल को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस साल फरवरी में चार अन्य पार्षदों के साथ पार्टी से निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद 17 अक्टूबर को 26 कांग्रेस पार्षदों ने महापौर के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था.
नई दिल्ली: पंजाब में रमन गोयल को बुधवार (15 नवंबर) को बठिंडा नगर निगम के महापौर पद से हटा दिया गया, क्योंकि वह नगर निकाय में उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव हार गईं. बठिंडा की पहली महिला मेयर को उस समय हार का सामना करना पड़ा, जब 50 में से 30 पार्षदों ने उनके खिलाफ मतदान किया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) के बठिंडा शहरी विधायक जगरूप सिंह गिल सदन में मौजूद थे, लेकिन मतदान से अनुपस्थित रहे. गिल ने 2022 का विधानसभा चुनाव आप के टिकट पर जीता था, जिसके आधार पर स्थानीय विधायक सदन का पदेन सदस्य होता है.
गोयल, जो बुधवार को अनुपस्थित थीं, को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस साल फरवरी में चार अन्य पार्षदों के साथ कांग्रेस से निष्कासित कर दिया था.
यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया था, जब चारों पार्षदों और मेयर के पति को वारिंग के पुराने प्रतिद्वंद्वी और भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल के साथ दोस्ती की पेशकश करते देखा गया, जो कांग्रेस पार्टी को अच्छा नहीं लगा.
सदन में कुल 32 सदस्य (31 पार्षद और एक विधायक) उपस्थित थे, जो मतदान कर सकते थे. गोयल के अनुपस्थित रहने पर वरिष्ठ उप-महापौर अशोक परधान ने महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का एजेंडा सदन के समक्ष रखा. जिसके बाद 32 में से 30 पार्षद ने महापौर के खिलाफ हाथ उठाए.
आम आदमी पार्टी के पार्षद सुखदीप सिंह ढिल्लों, जो विधायक गिल के भतीजे हैं, ने भी मतदान में भाग नहीं लिया. इनमें से 26 कांग्रेस पार्षदों ने गोयल के खिलाफ वोट किया और चार शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के सदस्यों ने भी कांग्रेस पार्षदों से हाथ मिला लिया.
बठिंडा नगर निगम के पास सदन में कांग्रेस का बहुमत है, जहां शुरुआत में 50 में से 43 पार्षद कांग्रेस से थे. कांग्रेस ने फरवरी 2021 में स्थानीय निकाय चुनाव जीते थे. सात पार्षद अकाली दल के जीते थे. हालांकि, अगस्त 2021 में जगरूप सिंह गिल सहित तीन कांग्रेस पार्षद आप में शामिल हो गए. गिल ने बाद में विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार मनप्रीत सिंह बादल को हराया और बठिंडा शहरी सीट से विधायक बने.
इस प्रकार, कांग्रेस पार्षदों की संख्या घटकर 40 रह गई. बाद में अकाली दल का एक पार्षद कांग्रेस में शामिल हो गया, जिससे संख्या 41 हो गई. इस साल फरवरी में कांग्रेस पार्षदों की संख्या फिर से घटकर 36 हो गई, जब महापौर सहित पांच सदस्यों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. अप्रैल के अंत में यह संख्या फिर से घटकर 30 हो गई, जब छह और सदस्यों ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की.
इस साल जनवरी में मनप्रीत सिंह बादल भाजपा में शामिल हो गए और उनके भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद 19 लोग (12 पार्षद और सात महिला पार्षदों के पति) उन्हें बधाई देने के लिए उनके बादल गांव स्थित घर गए थे. बादल गांव स्थित घर पर महापौर के पति संदीप गोयल भी मौजूद थे. तब से मनप्रीत खेमे और वारिंग खेमे के बीच स्पष्ट विभाजन पैदा हो गया था.
अब रमन गोयल के हटने से मनप्रीत सिंह बादल के खेमे में करीब 14 पार्षद बचे हैं. चूंकि 26 कांग्रेस पार्षदों ने मेयर के खिलाफ मतदान किया है, इसलिए अब अगला मेयर चुनने में वारिंग समूह का पलड़ा भारी है.
बठिंडा नगर निगम का कार्यकाल फरवरी 2026 तक जारी रहने वाला है.
इस साल 17 अक्टूबर को, 26 पार्षदों ने मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था और पंजाब नगर निगम अधिनियम के अनुसार प्रस्ताव पारित होने के एक महीने के भीतर प्रस्ताव लाना होता है.
मीडिया से बात करते हुए रमन गोयल ने कहा, ‘मैं इस प्रस्ताव को अवैध करार देती हूं, क्योंकि अधिनियम के मुताबिक मुझे हटाने के लिए 34 पार्षदों की जरूरत है. मैं नगर निगम आयुक्त-सह-उपायुक्त के समक्ष अपील दायर करूंगी और अगर कुछ नहीं हुआ, तो मैं इस फैसले को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख करूंगी.’
नगर विधायक (पदेन सदस्य) समेत सदन की कुल संख्या 51 है.