डब्ल्यूएचओ और यूएस सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कोविड महामारी के दौरान खसरा टीकाकरण 2008 के बाद से सबसे निचले स्तर पर गिर गया, जिससे 2022 में मामलों में 18% और मौतों में 43% की वृद्धि हुई. 2022 में भारत में खसरे के 40,967 मामले दर्ज हुए थे.
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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में भारत में अनुमानत: 11 लाख बच्चे खसरे (मीज़ल्स) के टीके की ज़रूरी पहली खुराक लेने से चूक गए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रिपोर्ट में भारत को उन 10 देशों में शामिल किया गया है, जहां ऐसे बच्चों की संख्या सबसे अधिक है जिन्हें पहला टीका नहीं मिला.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन 37 देशों में भी शामिल है, जहां इस बीमारी का बड़ा प्रकोप देखा गया है. साल 2022 में देशभर में खसरे के 40,967 मामले दर्ज हुए थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर कोविड महामारी के दौरान खसरा टीकाकरण 2008 के बाद से सबसे निचले स्तर पर गिर गया, जिससे 2022 में मामलों में 18% और मौतों में 43% की वृद्धि हुई.
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है, ‘महामारी के कारण 2020 और 2021 के दौरान नियमित टीकाकरण में गिरावट आई थी. खसरे के साथ चुनौती यह है कि यदि एक भी समूह टीकाकरण से चूक जाता है, तो वे संक्रमण के प्रति बेहद संवेदनशील हो जाते हैं. महामारी के दौरान टीकाकरण में अंतराल कमी मुख्य रूप से उपनगरीय क्षेत्रों और समूहों में था, जहां बाद में बीमारी के प्रकोप की सूचना मिली थी.’
उल्लेखनीय है कि खसरे के टीके की दो खुराकें जीवनभर के लिए 97% सुरक्षा प्रदान करती हैं. एक खुराक से सुरक्षा कमजोर होने की संभावना है. इस बीमारी में अमूमन तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और लाल चकत्ते होते हैं, हालांकि गंभीर लक्षण जैसे दिमाग पर सूजन, निमोनिया और सांस लेने में समस्या और गंभीर दस्त जैसी जटिलताएं जानलेवा साबित हो सकती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 33 मिलियन बच्चे या तो दोनों खुराक या दूसरी खुराक लेने से चूक गए.
डॉ. अरोड़ा ने बताते हैं कि टीकाकरण में कमियों को अक्टूबर में पूरे हुए मिशन इंद्रधनुष के तीन दौरों के दौरान कवर किया गया है. यह मिशन यह सुनिश्चित करता है कि टीकाकरण उन बच्चों तक पहुंचे, जो किसी कारणवश टीका लेने से चूक गए.
उन्होंने बताया, ‘इस साल अभियान का दायरा बढ़ाकर इसमें दो वर्ष की बजाय पांच साल की आयु के बच्चों को शामिल किया गया. ऐसा मुख्य रूप से उन्मूलन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए खसरा-रूबेला टीके की उच्च कवरेज सुनिश्चित करने के लिए किया गया.’
भारत में खसरे की निगरानी की संवेदनशीलता- जो रिपोर्ट में शामिल एक संकेतक है, जिसमें कहा गया है कि केवल आधे देश ही लक्ष्य तक पहुंचे हैं- के बारे में डॉ. अरोड़ा ने कहा कि भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.
ज्ञात हो कि बीते तीन सालों में देश की अधिकांश स्वास्थ्य मशीनरी के कोविड-19 से निपटने में लगे होने के कारण टीकाकरण कवरेज में गिरावट आई है. इसके कारण मुख्य रूप से पांच राज्यों- बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में खसरे के मामलों में वृद्धि हुई.2022 में महाराष्ट्र में कम से कम 13 मौतें हुई थीं. इसके चलते सरकार ने नवंबर 2022 और मई 2023 के बीच प्रभावित राज्यों और उनके पड़ोसी प्रदेशों में नौ महीने से 15 साल की उम्र के बीच के 13 लाख बच्चों का टीकाकरण करते हुए टीकाकरण अभियान शुरू किया था.
भारत सरकार ने रिपोर्ट को गलत बताया
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि भारत में अनुमानित 11 लाख बच्चों के खसरे का पहला टीका लेने से चुकने की रिपोर्ट गलत है.’
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सच्ची तस्वीर नहीं दर्शाती.
इसमें आगे कहा गया, ‘ये रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ यूनिसेफ एस्टीमेट्स नेशनल इम्यूनाइजेशन कवरेज- 2022 रिपोर्ट के तहत रिपोर्ट की गई अनुमानित संख्या पर आधारित हैं, जो 1 जनवरी, 2022 से 31 दिसंबर, 2022 तक की समयावधि को कवर करती है. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एचएमआईएस (स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली) के अनुसार, पात्र 2,63,84,580 बच्चों में से कुल 2,63,63,270 बच्चों को खसरे युक्त वैक्सीन (एमसीवी) की पहली खुराक मिली. वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में और 2022-23 में केवल 21,310 बच्चे खसरा युक्त वैक्सीन (एमसीवी) की पहली खुराक लेने से चूके.’