जम्मू कश्मीर: श्रीनगर की जामिया मस्जिद में लगातार छठे शुक्रवार नमाज़ की अनुमति नहीं दी गई

मस्जिद की देखभाल करने वाली संस्था अंजुमन औक़ाफ़ ने एक बयान के कहा कि शुक्रवार की सामूहिक नमाज़ की अनुमति नहीं देने के अलावा मस्जिद के मुख्य मौलवी को लगातार नज़रबंद रखने का प्रशासन का फैसला परेशान करने वाला है. यह स्थिति प्रशासन द्वारा यहां के लिए किए गए सामान्य स्थिति के दावों को ख़ारिज करता है.

श्रीनगर​ स्थित जामिया मस्जिद. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

मस्जिद की देखभाल करने वाली संस्था अंजुमन औक़ाफ़ ने एक बयान के कहा कि शुक्रवार की सामूहिक नमाज़ की अनुमति नहीं देने के अलावा मस्जिद के मुख्य मौलवी को लगातार नज़रबंद रखने का प्रशासन का फैसला परेशान करने वाला है. यह स्थिति प्रशासन द्वारा यहां के लिए किए गए सामान्य स्थिति के दावों को ख़ारिज करता है.

श्रीनगर​ स्थित जामिया मस्जिद. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: गाजा की स्थिति की प्रतिक्रिया में विरोध प्रदर्शन की आशंकाओं के कारण श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में लगातार छह शुक्रवार से सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी गई है. साथ ही मस्जिद के मुख्य मौलवी मुहम्मद उमर फारूक को घर में नजरबंद कर दिया गया है.

द कश्मीर ​रीडर के अनुसार, मस्जिद की देखभाल करने वाली संस्था अंजुमन औकाफ एक बयान में कहा, ‘घाटी के सबसे बड़े प्रार्थना स्थल ऐतिहासिक जामिया मस्जिद श्रीनगर में लगातार छठे शुक्रवार को जुमे की नमाज की अनुमति न देने और मीरवाइज-ए-कश्मीर डॉ. मौलवी मुहम्मद उमर फारूक को लगातार नजरबंद रखने का प्रशासन का फैसला समझ से परे और बहुत परेशान करने वाला है.’

इसमें कहा गया कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के बहाने इस मस्जिद को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. इसने मुख्य मौलवी को हिरासत में लेने के लिए अधिकारियों की भी आलोचना की.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अंजुमन औकाफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि मस्जिद को निशाना बनाया जा रहा है और इसके लिए गाजा में संघर्ष एक सुविधाजनक बहाना है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन कश्मीर में जामिया मस्जिद पर ताला लगाना यहां प्रशासन द्वारा किए गए सामान्य स्थिति के दावों को खारिज करता है.’

उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पर प्रतिबंध और मीरवाइज-ए-कश्मीर पर अनुचित प्रतिबंध ने ‘कश्मीर के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है’.

प्रवक्ता ने कहा, ‘अधिकारियों को अपने फैसले में संशोधन करना चाहिए और मस्जिद में नमाज की अनुमति देनी चाहिए और मुख्य मौलवी को अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने देना चाहिए.’