मध्य प्रदेश में ग्रामीण श्रमिकों को मिलती है सबसे कम दिहाड़ी, राष्ट्रीय औसत से भी कम

भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से संकलित आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पुरुष कृषि श्रमिकों को सिर्फ़ 229.2 रुपये की दैनिक मज़दूरी मिली, जबकि मार्च 2023 को समाप्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय औसत 345.7 रुपये था. इसके बाद गुजरात था, जहां ऐसे श्रमिकों को 241.9 रुपये की दैनिक मज़दूरी मिलती है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Gaganjit Singh/Flickr CC BY-NC-ND 2.0)

भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से संकलित आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पुरुष कृषि श्रमिकों को सिर्फ़ 229.2 रुपये की दैनिक मज़दूरी मिली, जबकि मार्च 2023 को समाप्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय औसत 345.7 रुपये था. इसके बाद गुजरात था, जहां ऐसे श्रमिकों को 241.9 रुपये की दैनिक मज़दूरी मिलती है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Gaganjit Singh/Flickr CC BY-NC-ND 2.0)

नई दिल्ली: हाल ही में (17 नवंबर को) मतदान से गुजरे मध्य प्रदेश को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा संकलित आंकड़े बताते हैं कि यहां ग्रामीण कृषि श्रमिकों को देश में सबसे कम दैनिक वेतन मिलता है, जो राष्ट्रीय औसत से भी कम है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जहां मार्च 2023 को समाप्त वर्ष में राष्ट्रीय औसत 345.7 रुपये था, वहीं मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष कृषि श्रमिकों को केवल 229.2 रुपये की दैनिक मजदूरी मिली.

दूसरा राज्य जहां सबसे कम दैनिक मजदूरी दर्ज की गई, वह गुजरात था. गुजरात में पुरुष कृषि श्रमिकों को 241.9 रुपये की दैनिक मजदूरी मिलती है.

कम भुगतान करने वाले अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश और ओडिशा हैं, जहां ग्रामीण कृषि श्रमिकों को 2021-22 में औसत दैनिक वेतन क्रमश: 309.3 रुपये और 285.1 रुपये मिला, जबकि औद्योगिक राज्य कहे जाने वाले महाराष्ट्र में पुरुष कृषि श्रमिकों को प्रतिदिन 303.5 रुपये मिले.

केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में एक ग्रामीण कृषि श्रमिक अगर 25 दिन काम करता है तो उसे प्रति माह लगभग 5,730 रुपये की मासिक आय होगी. गुजरात में एक खेतिहार मजदूर की वार्षिक आय लगभग 6,047 रुपये रही होगी.

इसकी तुलना में केरल में एक ग्रामीण कृषि मजदूर को सबसे अधिक भुगतान होता है, जो 764.3 रुपये प्रति दिन प्रति व्यक्ति है. इस तरह एक महीने में 25 दिनों के काम के लिए औसतन केरल में 19,107 रुपये मिलते हैं.

आंकड़ों में कहा गया है कि पुरुष गैर-कृषि श्रमिकों के मामले में भी सबसे कम मजदूरी मध्य प्रदेश में ही देखी गई, जिसका औसत 246.3 रुपये है. वहीं, गुजरात में श्रमिकों को 273.1 रुपये और त्रिपुरा में 280.6 रुपये की दैनिक मजदूरी मिली.

हालांकि, राष्ट्रीय औसत 348 रुपये था.

गैर-कृषि श्रमिकों की दैनिक मजदूरी के मामले में केरल 696.6 रुपये प्रति व्यक्ति के साथ सबसे आगे है. इसके बाद मार्च 2023 को समाप्त वर्ष के लिए जम्मू कश्मीर (517.9 रुपये), तमिलनाडु (481.5 रुपये) और हरियाणा (451 रुपये) का नंबर आता है.

ग्रामीण पुरुष निर्माण श्रमिकों के मामले में गुजरात और मध्य प्रदेश एक बार फिर सबसे निचले और राष्ट्रीय औसत 393.3 रुपये से नीचे हैं.

मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान गुजरात में ग्रामीण निर्माण श्रमिकों को औसत वेतन 323.2 रुपये, मध्य प्रदेश में 278.7 रुपये और त्रिपुरा में 286.1 रुपये प्रति दिन मिला.

आंकड़ों में कहा गया है कि इसकी तुलना में केरल में ग्रामीण निर्माण श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 852.5 रुपये, जम्मू कश्मीर में 534.5 रुपये, तमिलनाडु में 500.9 रुपये और हिमाचल प्रदेश में 498.3 रुपये थी.

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि चरम मौसम की घटनाएं एक प्रमुख कारक बनी हुई हैं, क्योंकि ग्रामीण नौकरियां कृषि पर निर्भर हैं, जो मानसून और रबी तथा खरीफ उत्पादन पर निर्भर है.

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि और गैर-कृषि श्रमिकों की वेतन वृद्धि की गति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह वर्ष के बीच में अपने चरम क्रमश: जनवरी 2023 में 7.7 फीसदी और नवंबर 2022 में 5.6 फीसदी के शिखर पर पहुंच गई थी. जबकि मार्च 2023 में नरम पड़ गई थी.

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