26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन के दस सदस्य मुंबई शहर में घुस गए थे और अगले चार दिनों के दौरान उनकी आतंकी कार्रवाई में 166 लोगों की जान गई थी और 300 से अधिक घायल हुए थे. हमले में चार इज़रायली नागरिक भी मारे गए थे.
नई दिल्ली: इज़रायल ने मंगलवार (21 नवंबर) को घोषणा की कि उसने मुंबई आतंकवादी हमले के 15 साल बाद लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया है. इस हमले के दौरान आतंकवादियों ने विशेष रूप से भारत की वाणिज्यिक राजधानी में एक यहूदी केंद्र को भी निशाना बनाया था.
रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायली दूतावास द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि तेल अवीव ने ‘मुंबई आतंकवादी हमलों की स्मृति के 15वें वर्ष’ पर लश्कर-ए-तैयबा को ‘आतंकवादी संगठन’ के रूप में सूचीबद्ध किया है.
26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन के दस सदस्य मुंबई शहर में घुस गए थे. चार दिनों के दौरान उनकी आतंकी कार्रवाई में 166 लोगोंकी जान गई थी और 300 लोग घायल हुए थे. आतंकवादियों द्वारा नरीमन हाउस स्थित छाबड सेंटर को भी निशाना बनाया गया था. हमलों में चार इज़रायली नागरिक मारे गए.
प्रेस नोट में कहा गया है, ‘ऐसा करने के लिए भारत सरकार द्वारा अनुरोध न किए जाने के बावजूद इजरायल सरकार ने औपचारिक रूप से सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं और लश्कर-ए-तैयबा को अवैध आतंकवादी संगठनों की इज़रायली सूची में शामिल करने के लिए सभी आवश्यक जांच और नियमों को पूरा कर लिया है.’
दूतावास ने कहा कि इजरायल ‘केवल उन आतंकी संगठनों को सूचीबद्ध करता है जो इसकी सीमाओं के भीतर या इसके आसपास सक्रिय रूप से देश के खिलाफ काम कर रहे हैं, या भारत की ही तरह- उन्हें जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद या अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा विश्व स्तर पर आतंकी संगठन माने गए हैं.’
2005 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति द्वारा लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग ने भी 2001 में इसे आतंकवादी संगठन माना था.
प्रेस रीडआउट में कहा गया है कि इजरायली रक्षा और विदेशी मामलों के मंत्रालयों ने पिछले कुछ महीनों में ‘संयुक्त रूप से काम करते हुए इस तारीख को लश्कर-ए-तैयबा संगठन को इस सूची में डालने के लिए काम किया है, ताकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक मोर्चे का महत्व बतलाया जा सके.’
इज़रायल ने लश्कर-ए-तैयबा को ‘घातक और निंदनीय आतंकवादी संगठन’ बताया, जो सैकड़ों भारतीय नागरिकों के साथ-साथ अन्य लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार है.
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद इजरायली राजदूत नाओर गिलोन ने भारत से फिलिस्तीनी समूह को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए कहा था.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर को तुरंत इजरायल के साथ ‘एकजुटता’ व्यक्त की थी. उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन किया था. भारत को एक सप्ताह बाद फिलिस्तीन को अपने पारंपरिक समर्थन के बारे में बोलकर अपनी स्थिति में बदलाव करना पड़ा था.
हालांकि, भारत उन कुछ देशों में भी शामिल रहा, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर अनुपस्थित रहे जिसमें गाजा पट्टी में भोजन, ईंधन और पानी की आपूर्ति की अनुमति देने के लिए युद्ध पर मानवीय रोक का आह्वान किया गया था.