मुस्लिम छात्रा को स्कूल का फरमान : स्कार्फ पहनकर मत आओ

छात्रा का आरोप है कि फ़रमान में कहा गया है या तो वह स्कार्फ न पहने या फिर किसी मुस्लिम संस्थान में दाख़िला ले ले.

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(फोटो: रॉयटर्स)

छात्रा का आरोप है कि फ़रमान में कहा गया है या तो वह स्कार्फ न पहने या फिर किसी मुस्लिम संस्थान में दाख़िला ले ले.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में एक मिशनरी स्कूल की प्रिंसिपल ने एक मुस्लिम छात्रा को कथित रूप से एक फरमान जारी किया जिसके अनुसार वह या तो स्कार्फ न पहने या फिर किसी मुस्लिम संस्थान में दाखिला ले ले.

घटना कोतवाली क्षेत्र के आनंद भवन मिशनरी स्कूल की है. स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी पीएन सिंह ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें ऐसी शिकायत मिली है.

खंड शिक्षा अधिकारी नगर से जांच करने को कहा गया था, जिन्होंने स्कूल को नोटिस भेजा लेकिन अभी तक जवाब नहीं आया है.

सिंह ने बताया कि अब खंड शिक्षा अधिकारी से स्कूल पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच करने को कहा गया है. जिलाधिकारी अखिलेश कुमार तिवारी ने बताया कि वह एसडीएम से शिकायत की जांच कराएंगे.

प्राप्त शिकायत के अनुसार, छात्रा के पिता ने प्रिसिंपल अर्चना थामस से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि अगर वह स्कूल के नियम का पालन नहीं कर सकते तो अपनी बेटी को किसी अन्य स्कूल में भर्ती करा दें. प्रिंसिपल ने कहा कि यह मिशनरी स्कूल है और स्कूल ड्रेस कोड को लेकर कोई छूट नहीं दे सकता.

छात्रा के पिता मोहम्मद आर रिज़वी ने स्कूल के फरमान को लेकर जिलाधिकारी से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बचपन से ही इसी स्कूल में पढ़ रही है और इस्लामिक परंपरा के अनुसार उनकी बेटी को नौ साल की उम्र में पहुंचने पर अपना सिर ढंकना चाहिए.

रिज़वी ने कहा कि उनकी बेटी से स्कूल में स्कार्फ नहीं पहनने को कहा गया है. एक अन्य छात्रा से भी स्कार्फ निकालने को कहा गया. मैंने तर्क दिया कि हमारे सिख भाई भी पगड़ी पहनते हैं, हालांकि यह स्कूल के ड्रेस कोड के तहत नहीं है. प्रिंसिपल ने हालांकि बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने छात्रा से स्कूल छोड़कर जाने को नहीं कहा है.