राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में 16 छात्र संगठनों ने संयुक्त मंच बनाया

विपक्षी इंडिया गठबंधन दलों से जुड़े 16 छात्र संगठनों ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के लिए ‘यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ के गठन की घोषणा की. नेताओं ने कहा कि आरएसएस समर्थित सरकार का लक्ष्य न केवल शिक्षा प्रणाली को कमज़ोर और नष्ट करना है, बल्कि वह इसे एक सांप्रदायिक और विनाशकारी योजना में बदलना भी चाहती है.

16 छात्र संगठनों ने एक संयुक्त मंच के रूप में मंगलवार को 'यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया' के गठन की घोषणा की. (फोटो साभार: X/@MayukhDuke)

विपक्षी इंडिया गठबंधन दलों से जुड़े 16 छात्र संगठनों ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के लिए ‘यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ के गठन की घोषणा की. नेताओं ने कहा कि आरएसएस समर्थित सरकार का लक्ष्य न केवल शिक्षा प्रणाली को कमज़ोर और नष्ट करना है, बल्कि वह इसे एक सांप्रदायिक और विनाशकारी योजना में बदलना भी चाहती है.

16 छात्र संगठनों ने एक संयुक्त मंच के रूप में मंगलवार को ‘यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ के गठन की घोषणा की. (फोटो साभार: X/@MayukhDuke)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए 16 छात्र संगठनों ने एक संयुक्त मंच के रूप में मंगलवार (21 नवंबर ) को ‘यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ के गठन की घोषणा की.

यह कदम इंडिया गठबंधन में विपक्षी दलों के मंच की गतिविधियों के अनुरूप है. संयुक्त मोर्चे में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दल, डीएमके और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के छात्र संगठन शामिल हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में छात्र संघों के प्रतिनिधियों ने कहा कि लगभग पांच करोड़ छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 16 संगठन एनईपी का विरोध करने के लिए एक साथ आए हैं.

लोकसभा चुनाव से पहले छात्रों को एकजुट करेंगे

यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया के नेता, जिसमें सीवीएमपी एज़िलारासन, मयूख विश्वास, अनुराग निगम और प्रसेनजीत कुमार हैं, ने कहा कि मंच ‘शिक्षा बचाओ, एनईपी को अस्वीकार करो’ और ‘भारत बचाओ, भाजपा को अस्वीकार करो’ के नारे के साथ काम करेगा.

नेताओं ने कहा कि वे 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले छात्रों को भाजपा के खिलाफ लामबंद करेंगे. उन्होंने कहा, ‘एनईपी लागू करके भाजपा छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) जैसी सामान्य प्रवेश परीक्षाएं बड़े कोचिंग सेंटरों की मदद के लिए हैं और एनईपी की अवधारणा शिक्षा के व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण के लिए की गई है.

नेताओं ने कहा, ‘वर्तमान भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तहत भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर हमला खतरनाक ऊंचाइयों को छू रहा है. आरएसएस समर्थित सरकार का लक्ष्य न केवल सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को कमजोर और नष्ट करना है, बल्कि इसे एक सांप्रदायिक और विनाशकारी योजना से बदलना भी है, जो मूल रूप से शिक्षा की संवैधानिक दृष्टि के विपरीत है.’

उन्होंने कहा कि नया मंच भारत में शिक्षा और रोजगार क्षेत्र की रक्षा की लड़ाई को मजबूत करेगा. नेताओं ने कहा, ‘हमने देश भर में अभियान चलाने के लिए 12 जनवरी 2024 को दिल्ली में संयुक्त संसद मार्च और 1 फरवरी 2024 को चेन्नई में यूनाइटेड स्टूडेंट रैली आयोजित करने का फैसला किया है.’

आप की छात्र इकाई के नेता अनुराग निगम ने आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया की रिमांड का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा सरकारी स्कूलों का कायाकल्प करने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री को दंडित कर रही है.

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, जो संगठन समूह का हिस्सा हैं उनमें ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स ब्लॉक (एआईएसबी), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), छात्र राष्ट्रीय जनता दल (सीआरजेडी), छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस), डीएमके स्टूडेंट विंग, द्रविड़ स्टूडेंट्स फेडरेशन, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई), प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (पीएसएफ), प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स यूनियन (पीएसयू), आरएलडी छात्र सभा, समाजवादी छात्र सभा, सत्रो मुक्ति संग्राम समिति, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और आदिवासी छात्र संघ शामिल हैं.

छात्रों के समूहों ने एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य हाशिये पर रहने वाले समूहों के लिए अधिकारों और अवसरों के निर्माण और परिसरों में छात्र संघों के चुनाव आयोजित करने की भी मांग की है.

उन्होंने अन्य समान विचारधारा वाले छात्र संगठनों को भी ‘यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.