सहारा समूह के पांच लाख निवेशक रिफंड के लिए दिल्ली में केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे

केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए सहारा समूह द्वारा संचालित चार सहकारी समितियों में निवेश करने वाले लगभग पांच लाख लोगों के दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की योजना है. बीते 14 नवंबर को समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के साथ देश भर के 27 राज्यों में फैले निवेशकों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है.

सहारा समूह का लोगो. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए सहारा समूह द्वारा संचालित चार सहकारी समितियों में निवेश करने वाले लगभग पांच लाख लोगों के दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की योजना है. बीते 14 नवंबर को समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के साथ देश भर के 27 राज्यों में फैले निवेशकों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है.

सहारा समूह का लोगो. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: सहारा समूह द्वारा संचालित चार सहकारी समितियों में निवेश करने वाले लगभग 5 लाख लोग दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, ताकि केंद्र सरकार पर वर्षों से निवेश किए गए पैसे की वापसी की मांग करने के लिए दबाव डाला जा सके.

बीते 14 नवंबर को समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय की मृत्यु के साथ देश भर के 27 राज्यों में फैले निवेशकों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है.

रिफंड की सुविधा के लिए केंद्र सरकार द्वारा जुलाई में लॉन्च किया गया पोर्टल अभी भी शुरू होना बाकी है. अधिकारियों के खिलाफ आरोप है कि लोगों के दावों को ‘तुच्छ आधारों’ पर खारिज कर दिया जा रहा है. लाखों निवेशकों में घबराहट है, जिन्हें डर है कि उनका पैसा लावारिस धन के नाम पर भारत के समेकित कोष में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा निवेशकों का पैसा वापस करने के लिए लॉन्च किया गया एक पोर्टल, जिनमें से अधिकांश 26 राज्यों के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं, अस्वीकृति की कई शिकायतों के साथ, आगे बढ़ने में विफल रहा है.

सहारा निवेशकों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक पंजीकृत संस्था के अध्यक्ष अभय देव शुक्ला ने 22 नवंबर को कहा कि सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय की मृत्यु के बाद लोगों में यह डर है कि दावा न किया गया धन भारत की संचित कोष में वापस आ जाएगा.

रॉय का लंबी बीमारी के बाद 14 नवंबर को मुंबई में निधन हो गया. वह और उनकी कंपनी एजेंसियों द्वारा कई जांच का सामना कर रहे हैं.

शुक्ला ने कहा कि अगर सरकार ने सहारा चेयरपर्सन की संपत्ति जब्त की तो करोड़ों निवेशकों का पैसा डूब जाएगा, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

शुक्ला ने कहा, ‘दिसंबर में देश भर से निवेशक दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचेंगे और सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री कार्यालय के कार्यालयों का घेराव करेंगे.’

निवेशकों ने रॉय के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शोक संदेश पर भी सवाल उठाया.

जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा के उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष संसार सिंह ने कहा कि रॉय के खिलाफ उत्तर प्रदेश में लगभग 1,000 मामले दर्ज हैं. सिंह ने कहा, ‘योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों की पीड़ा नहीं दिखती. इन सबका करारा जवाब दिल्ली के जंतर-मंतर पर दिया जाएगा.’

18 जुलाई को केंद्र सरकार ने चार सहकारी समितियों – सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में छोटे निवेशकों के लिए सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (सीआरसीएस) पोर्टल (mocrefund.crcs.gov.in) की स्थापना की.

इन्हें बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत क्रमश: लखनऊ, भोपाल, हैदराबाद और कोलकाता में मार्च 2010 से जनवरी 2014 तक पंजीकृत किया गया था.

निवेशकों को पहले कुछ वर्षों के लिए मूल राशि पर लगभग 7% -11% ब्याज का वादा किया गया रिटर्न प्राप्त हुआ. 2017-2018 के बाद से रिटर्न मिलना बंद हो गया.

रिपोर्ट के अनुसार, अभय देव शुक्ला ने पहले कहा था कि इस तरह के पोर्टल के पीछे का असली इरादा रॉय को उनके खिलाफ कई कानूनी मामलों से ‘बचने का रास्ता’ देना है. उन्होंने निवेश के मूल्य की परवाह किए बिना रिफंड की सीमा 10,000 रुपये तय करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया था.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘उनकी (रॉय की) पत्नी को छोड़कर, परिवार का कोई भी सदस्य भारत में नहीं है. हमें अपना पैसा कैसे वापस मिलेगा? केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया पोर्टल केवल लोगों को गुमराह करने के लिए था. 99.99% निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिला है. दावों को तुच्छ आधार पर खारिज किया जा रहा है.’

शुक्ला के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 85 लाख, बिहार में 55 लाख, झारखंड में चार लाख, राजस्थान में 18 लाख, ओडिशा में 20 लाख, पश्चिम बंगाल में 14 लाख, गुजरात और असम में आठ-आठ लाख, छत्तीसगढ़ में 6 लाख, हरियाणा और दिल्ली में पांच-पांच लाख, आंध्र प्रदेश में 4 लाख और तेलंगाना और महाराष्ट्र में तीन-तीन लाख निवेशक हैं.

उन्होंने कहा कि अकेले मध्य प्रदेश में लगभग 1.5 करोड़ सहारा निवेशक हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जुलाई में पोर्टल के लॉन्च के दौरान वादा किया था कि पहले चरण में 1.7 करोड़ निवेशकों को फायदा होगा और 10,000 रुपये तक के दावों का निपटान पहले किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि पैसा 45 दिनों के भीतर निवेशकों के आधार से जुड़े बैंक खातों में वापस कर दिया जाएगा.

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