त्रिपुरा के किसान देशव्यापी प्रदर्शन में शामिल होंगे: संयुक्त किसान मोर्चा राज्य प्रमुख

26 नवंबर से शुरू हो रहे किसानों के नए राष्ट्रव्यापी विरोध का उद्देश्य कृषि ऋण माफ़ करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करना, किसानों की उपज एकत्र करना और उसे राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित करना, विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवज़ा प्रदान करना जैसी मांगों पर ज़ोर देना है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

26 नवंबर से शुरू हो रहे किसानों के नए राष्ट्रव्यापी विरोध का उद्देश्य कृषि ऋण माफ़ करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करना, किसानों की उपज एकत्र करना और उसे राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित करना, विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवज़ा प्रदान करना जैसी मांगों पर ज़ोर देना है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स की त्रिपुरा इकाई किसानों की लंबित मांगों को लेकर तीन दिवसीय देशव्यापी आंदोलन के तहत 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन करेगी.

बीते बुधवार (22 नवंबर) को मोर्चा के राज्य संयोजक पबित्र कर ने 23 उपखंडों में विरोध प्रदर्शन और राजभवन मार्च की घोषणा की.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘त्रिपुरा देशव्यापी आंदोलन में भाग लेगा. हम 26 नवंबर को सभी उपखंडों में विरोध प्रदर्शन करेंगे. 28 नवंबर को हम अगरतला में रवींद्र शतवार्षिकी भवन के सामने इकट्ठा होंगे, राजभवन तक मार्च करेंगे और राज्यपाल को अपना 21 सूत्री मांग पत्र सौंपेंगे.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्ला ने कहा था कि केंद्र सरकार पर किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के लिए किसान 26 से 28 नवंबर तक देश भर की राजधानी शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे.

मालूम हो कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों की संख्या किसानों ने 26 नवंबर 2020 से दिल्ली में लगभग एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया था. बाद में सरकार को उन्हें निरस्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

किसानों के नए राष्ट्रव्यापी विरोध का उद्देश्य कृषि ऋण माफ़ करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करना, किसानों की उपज एकत्र करना और उसे राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित करना, विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवज़ा प्रदान करना जैसी मांगों पर ज़ोर देना है.

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि भाजपा शासन में किसान संकट में हैं. उन्हें अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है और उनमें से कई कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहे हैं.

पबित्र कर ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन को नियमित करने और मनरेगा के तहत अकुशल श्रम कार्य के प्रावधान सहित त्रिपुरा के किसानों की कई मांगों को राष्ट्रव्यापी आंदोलन की मांगों में जोड़ा जाएगा.

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