कश्मीर में बिजली संकट: लोगों को 16 घंटे तक कटौती का सामना करना पड़ रहा है

कश्मीर में बिजली उत्पादन 1800 मेगावॉट की मांग के मुक़ाबले 50-100 मेगावॉट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. ये स्थिति ऐसे समय है, जब घाटी में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है. जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने कहा कि अगर निर्वाचित सरकार होती तो ऐसा संकट नहीं होता, ज़िम्मेदारी तय हो जाती. वहीं, पीडीपी ने इसे लेकर प्रदर्शन किया है.

जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिपीडिया/KennyOMG)

कश्मीर में बिजली उत्पादन 1800 मेगावॉट की मांग के मुक़ाबले 50-100 मेगावॉट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. ये स्थिति ऐसे समय है, जब घाटी में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है. जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने कहा कि अगर निर्वाचित सरकार होती तो ऐसा संकट नहीं होता, ज़िम्मेदारी तय हो जाती. वहीं, पीडीपी ने इसे लेकर प्रदर्शन किया है.

जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के कमाच गांव का एक घर. (फोटो: जहांगीर अली)

नई दिल्ली: कश्मीर अपने सबसे खराब बिजली संकट से जूझ रहा है, जहां बिजली उत्पादन 1800 मेगावॉट की मांग के मुकाबले 50-100 मेगावॉट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है.

नतीजतन घाटी, जहां 70 लाख से अधिक लोग रहते हैं, को 12-16 घंटे लंबी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है – जो पिछले दो दशकों में सबसे लंबी कटौती है. ये कटौती ऐसे समय में हुई है, जब घाटी में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर को दिन में 16 घंटे बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए 1800 मेगावॉट बिजली की जरूरत है. 24 घंटे आपूर्ति के लिए 2200 से 2300 मेगावॉट की आवश्यकता होती है.

पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) इस सर्दी में प्रति दिन केवल 50-100 मेगावॉट ही उत्पादन कर पाया है, जबकि पहले यह 200-250 मेगावॉट था. इस कमी को पूरा करने के लिए उत्तरी ग्रिड से बिजली खरीदी गई और पिछली सरकारों द्वारा बिजली कटौती को छह से चार घंटे तक कम कर दिया गया था.

पीडीडी के एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि इस साल का उत्पादन कश्मीर में लंबे समय तक सूखे के साथ-साथ नवंबर में ठंडे तापमान के कारण प्रभावित हुआ है, जिससे झेलम जैसी नदियों में अपशिष्ट जल का बहाव धीमा हो गया है.

अखबार में बताया गया है कि बुजुर्गों पर प्रभाव डालने के अलावा बिजली कटौती क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर रही है, जिनकी संख्या सर्दियों के दौरान बढ़ जाती है.

श्रीनगर के लाल बाजार में एक शोरूम के मालिक इम्तियाज खान ने बताया, ‘मेरे पिता, जो 70 वर्ष के हैं, सीओपीडी के मरीज हैं. हमें एक जनरेटर खरीदना पड़ा, ताकि उनकी ऑक्सीजन मशीन बिना किसी रुकावट के चले. मुझे नहीं लगता कि सभी परिवार जनरेटर का खर्च उठा सकते हैं. लंबे समय तक बिजली कटौती ऐसे मरीजों के लिए मौत की घंटी है.’

साल के अंत में परीक्षा देने वाले छात्रों को भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

वर्तमान में सरकार 1150 मेगावॉट बिजली खरीद रही है, लेकिन फिर भी यह 650 मेगावॉट कम है.

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने द हिंदू से कहा, ‘हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी. अधिकारियों ने पानी के बहाव में गिरावट के बारे में चेतावनी क्यों नहीं दी और उत्तरी ग्रिड से खरीद का प्रस्ताव क्यों नहीं तैयार किया. यह संकट रातोरात नहीं आया. हम सभी को लंबे समय तक सूखे का सामना करना पड़ा. अगर निर्वाचित सरकार होती तो ऐसा संकट नहीं होता और जिम्मेदारी तय हो जाती.’

बुखारी ने कहा, ‘यह सामूहिक सजा है. उपराज्यपाल को दिल्ली जाना चाहिए और केंद्र से मदद मांगनी चाहिए.’

बताया जा रहा है कि उपराज्यपाल प्रशासन ने उत्तरी ग्रिड से बिजली खरीदने के लिए एक समिति गठित की है, क्योंकि अस्पतालों को बिजली कटौती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. हालांकि, वर्तमान में उत्तरी ग्रिड में प्रति यूनिट लागत 42 रुपये है, जबकि जम्मू-कश्मीर में उपभोक्ताओं से 3-4 रुपये वसूले जाते हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कई नेताओं ने भी बिजली संकट को लेकर श्रीनगर में पार्टी मुख्यालय पर सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया.

बिजली कटौती के खिलाफ जनता के आक्रोश के जवाब में कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा, ‘पहले घोषित बिजली शेड्यूल का पालन नहीं किया जा रहा है, क्योंकि सर्दी जल्दी शुरू होने के कारण मांग अचानक बढ़ गई है. हम बिजली की स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्य सचिव ने बिजली खरीदने के लिए एक समिति का गठन किया है.’

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