उत्तर प्रदेश: शहीद के अंतिम संस्कार में देरी से पहुंचे मंत्री, डेढ़ घंटे इंतज़ार करते रहे परिजन

जम्मू कश्मीर में राजौरी ज़िले में 22 और 23 नवंबर को आतंकियों साथ हुई मुठभेड़ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के रहने पैराट्रूपर सचिन लौर शहीद हो गए थे. इससे पहले इसी मुठभेड़ में शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर 50 लाख का चेक देने पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की शहीद की मां के मना करने के बाद उनके साथ फोटो खिंचाने की आलोचना हुई थी.

शहीद पैराट्रूपर सचिन लौर. (फोटो साभार: ट्विटर)

जम्मू कश्मीर में राजौरी ज़िले में 22 और 23 नवंबर को आतंकियों साथ हुई मुठभेड़ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के रहने पैराट्रूपर सचिन लौर शहीद हो गए थे. इससे पहले इसी मुठभेड़ में शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर 50 लाख का चेक देने पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की शहीद की मां के मना करने के बाद उनके साथ फोटो खिंचाने की आलोचना हुई थी.

शहीद पैराट्रूपर सचिन लौर. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में आगरा के रहने वाले शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर जाकर उनकी रोती हुईं मां की इच्छा के विरुद्ध उन्हें चेक देते हुए राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और विधायक डॉ. जीएस धर्मेश के फोटो खिंचाने की घटना के बाद इसी तरह की एक और घटना अलीगढ़ जिले से सामने आई है.

कैप्टन शुभम गुप्ता की तरह जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ शहीद हुए पैराट्रूपर सचिन लौर के अंतिम संस्कार में राज्य के गन्ना विकास मंत्री और अलीगढ़ जिले के प्रभारी चौधरी लक्ष्मी नारायण के डेढ़ घंटे की देरी से पहुंचने की खबरें आ रही हैं.

पत्रिका की​ रिपोर्ट के अनुसार, शहीद हुए सचिन लौर का पार्थिव शरीर जिले के नगरिया गौरौला गांव में बीते 24 नवंबर को पहुंचा था. इस दौरान अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ जुटी हुई थी. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए गांव के श्मशान घाट पर ले जाया गया. इस बीच गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के पहुंचने की सूचना आई और उनके देरी से पहुंचने के कारण पहुंचने तक शहीद की अंत्येष्टि करीब डेढ़ घंटे तक रुकी रही.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री के गांव पहुंचने के बाद रात करीब 9:30 बजे शहीद का अंतिम संस्कार हो पाया.

इससे पहले बीते शुक्रवार (24 नवंबर) को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और विधायक डॉ. जीएस धर्मेश शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर 50 लाख रुपये का चेक देने पहुंचे थे. इस दौरान वहां फोटो सेशन शुरू हो जाने पर शहीद कैप्टन की मां ने कहती रहीं कि, ‘मेरी प्रदर्शनी मत लगाओ भाई… मेरे बेटे शुभम को बुला दो.’

हालांकि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री एवं अन्य जनप्रतिनिधि संवेदनहीनता का परिचय देते हुए 50 लाख के चेक के साथ फोटो खिंचाने में लगे रहे.

नेतागण शहीद कैप्टन गुप्ता की मां को चेक थमा रहे थे, लेकिन बेटा खोने के गम में उन्होंने चेक को हाथ तक नहीं लगाया और केवल रोती-बिलखती रहीं. फिर भी मंत्री, विधायक एवं अन्य नेताओं का हाथों में चेक थामे फोटो खिंचाना जारी रहा.

मालूम हो ​कि जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में दारमसल के बाजीमल इलाके में 22 और 23 नवंबर को 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में भारतीय सेना ने अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष कमांडर सहित दो आतंकवादियों को मार गिराया था.

इस दौरान भारतीय सेना के दो कैप्टन सहित पांच जवान शहीद हो गए थे.

आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वालों में कर्नाटक के मैंगलोर क्षेत्र के कैप्टन एमवी प्रांजल (63 आरआर), उत्तर प्रदेश के आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता (9 पैरा), अजोटे (पुंछ, जम्मू-कश्मीर) के हवलदार अब्दुल माजिद (पैरा), उत्तराखंड में नैनीताल के हल्ली पाडली इलाके के लांस नायक संजय बिस्ट और अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के पैराट्रूपर सचिन लौर शामिल थे.