सीएए के नियम मार्च 2024 तक बना दिए जाएंगे: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री

गृह मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा कि सीएए के नियम 30 मार्च तक तैयार कर लिए जाएंगे. बंगाल का मतुआ समुदाय इस क़ानून की मांग करता रहा है. 2021 में विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोविड टीकाकरण समाप्त होने के बाद सीएए लागू होने की घोषणा भी की थी.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा पश्चिम बंगाल के ठाकुरबाड़ी में मतुआ समुदाय के कार्यक्रम में. (फोटो साभार: एक्स)

गृह मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा कि सीएए के नियम 30 मार्च तक तैयार कर लिए जाएंगे. बंगाल का मतुआ समुदाय इस क़ानून की मांग करता रहा है. 2021 में विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोविड टीकाकरण समाप्त होने के बाद सीएए लागू होने की घोषणा भी की थी.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा पश्चिम बंगाल के ठाकुरबाड़ी में मतुआ समुदाय के कार्यक्रम में. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय राज्यमंत्री (गृह) अजय कुमार मिश्रा ने रविवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में दलित मतुआ समुदाय के एक उत्सव में भाग लेने के दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियम केंद्र द्वारा 30 मार्च 2024 तक तैयार किए जाएंगे. ज्ञात हो कि मतुआ समुदाय इसकी मांग करता रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मिश्रा ने वार्षिक रास उत्सव के लिए एकत्र हुई एक बड़ी भीड़ से कहा, ‘मैं आश्वस्त कर रहा हूं कि मतुआ समुदाय के सदस्य अपनी नागरिकता नहीं खोएंगे. वे सभी सुरक्षित हैं. मेरे पास जो नवीनतम जानकारी है उसके अनुसार सीएए के लिए कानून 30 मार्च तक तैयार कर लिए जाएंगे.’

केंद्र ने पहले कहा था कि वह सीएए के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में है.

गौरतलब है कि ठाकुरनगर में 2021 के विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि देश भर में कोविड-19 टीकाकरण समाप्त होने के बाद केंद्र सीएए लागू करेगा. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तब से इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा.

2020 में संसद द्वारा पारित सीएए 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करता है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का कहना है कि सीएए असंवैधानिक है क्योंकि यह एक धर्मनिरपेक्ष देश में नागरिकता को धर्म से जोड़ता है.

बता दें कि मतुआ दलित नामशूद्र समुदाय का हिस्सा हैं जो धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 1947 में भारत के विभाजन और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से पलायन कर गए थे.

बांग्लादेश सीमा के करीब स्थित ठाकुरनगर शहर अखिल भारतीय मतुआ महासंघ का मुख्यालय है, जिसके अध्यक्ष भाजपा नेता और केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर हैं.

रविवार दोपहर जब मिश्रा ने घोषणा की तो ठाकुर मंच पर मौजूद थे. 2019 से ठाकुर बोनगांव लोकसभा सीट से सांसद हैं, जो पहले उनकी रिश्तेदार और टीएमसी नेता ममता बाला ठाकुर ने जीती थी.

सीएए को लागू करना मतुआओं की प्रमुख मांग रही है. शांतनु ठाकुर ने कई बार यह मांग उठाई है.

मतुआ और अन्य दलित समुदायों के समर्थन ने भाजपा को 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनावों में कई सीटें जीतने में मदद की थी.

2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान शांतनु ठाकुर को राज्य मंत्री बनाया गया था. इसे मतुआ लोगों को खुश रखने के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के एक कदम के रूप में देखा गया था. ठाकुर 2021 विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश गए थे. मोदी ने बांग्लादेश में ढाका के पास ओरकांडी में मतुआ मंदिर में पूजा की और अपने भाषण में ठाकुर की प्रशंसा की, जिस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

मिश्रा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी नेताओं ने कहा कि भाजपा 2024 के संसदीय चुनावों के मद्देनज़र एक बार फिर पश्चिम बंगाल में नागरिकता का मुद्दा उठा रही है. 

भाजपा ने 2019 में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीतीं, लेकिन उसके दो सांसद- बाबुल सुप्रियो और अर्जुन सिंह पिछले दो वर्षों में टीएमसी में शामिल हो चुके हैं. हालांकि, सिंह ने अभी तक भाजपा और लोकसभा से इस्तीफा नहीं दिया है. वहीं, सुप्रियो ने जो आसनसोल सीट खाली की थी, वह अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने टीएमसी के टिकट पर उपचुनाव में जीती थी.

टीएमसी के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने कहा, ‘सीएए भाजपा के लिए एक कांटा है. 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने असम में सीएए का उल्लेख तक नहीं किया, लेकिन वोट हासिल करने की उम्मीद में इसे बंगाल में उठाया. दूसरी ओर, गुजरात में कुछ जिलों में सीएए लागू करने का प्रयास किया जा रहा है. बंगाल के मतुआ लोगों को यह चाल समझ में आ गई है.’

सेन ने आगे कहा, ‘ममता बनर्जी ने कई बार कहा है कि बंगाल को सीएए की जरूरत नहीं है क्योंकि जो लोग वोट डाल रहे हैं, संपत्ति के मालिक हैं और दशकों से नौकरी कर रहे हैं वे पहले से ही नागरिक हैं. उन्हें केंद्र से नए नागरिकता प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है.’