आयरिश लेखक पॉल लिंच को उनकी किताब ‘प्रोफेट सॉन्ग’ के लिए बुकर पुरस्कार मिला

'फिक्शन' श्रेणी में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार पाने वाला पॉल लिंच का उपन्यास 'प्रोफेट सॉन्ग' आयरलैंड में तानाशाही राज के बीच अपने परिवार की रक्षा के लिए एक महिला के संघर्ष के बारे में है.

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पॉल लिंच और उनकी किताब. (फोटो साभार: ट्विटर/@paullynchwriter)

‘फिक्शन’ श्रेणी में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार पाने वाला पॉल लिंच का उपन्यास ‘प्रोफेट सॉन्ग’ आयरलैंड में तानाशाही राज के बीच अपने परिवार की रक्षा के लिए एक महिला के संघर्ष के बारे में है.

पॉल लिंच और उनकी किताब. (फोटो साभार: ट्विटर/@paullynchwriter)

आयरिश लेखक पॉल लिंच को उनके पांचवें उपन्यास ‘प्रोफेट सॉन्ग’ के लिए ‘फिक्शन’ श्रेणी में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है.

यह काल्पनिक उपन्यास आयरलैंड में खड़े हुए तानाशाही राज के बीच अपने परिवार की रक्षा के लिए एक महिला के संघर्ष के बारे में है. किताब में ऐसी स्थिति के बीच देश में हुआ एक गृहयुद्ध दर्ज है, जिसके बाद ढेरों परिवारों को देश से भागने पर मजबूर होना पड़ता है.

46 वर्षीय पॉल लिंच को यह उपन्यास लिखने में चार साल लगे. उनके अनुसार, सीरिया में बरसों लंबे चले गृह युद्ध और ‘पश्चिम की उदासीनता’ ने उन्हें इस बारे में सोचने पर मजबूर किया.

लिंच ने बुकर वेबसाइट को बताया, ‘मैं आधुनिक समय की अराजकता को देखने की कोशिश कर रहा था. पश्चिमी लोकतंत्रों में अशांति, सीरिया का संकट- पूरे राष्ट्र का तबाह हो जाना, शरणार्थी संकट का बढ़ता पैमाना और पश्चिम की उदासीनता. … मैं पाठक को इस हद तक गहराई में ले जाना चाहता था कि किताब के आखिर तक, उन्हें न केवल इस बारे में मालूम चले, बल्कि वे खुद इस समस्या को महसूस कर सकें.

बुकर पुरस्कार की निर्णायक समिति की अध्यक्षता करने वाले कनाडाई लेखक एसआई एडुग्यान ने कहा कि यह किताब ‘भावनात्मक कथा कहने, साहस और बहादुरी की जीत है’ जिसमें लिंच ने ‘भाषा के साथ ऐसे चमत्कार किए हैं जो आश्चर्यजनक हैं.’

लिंच को इस पुरस्कार के मिलने से कुछ दिन पहले आयरलैंड की राजधानी डबलिन में एक प्राइमरी स्कूल के बाहर चाकू से हुए हमले के बाद धुर दक्षिणपंथी हिंसा भड़की थी.

एडुग्यान ने कहा कि विजेता चुनने के लिए हुई चर्चा के दौरान हाल की घटनाओं का जिक्र हुआ था, लेकिन किताब की जीत की वजह यह नहीं थी. उन्होंने जोड़ा कि लिंच की किताब ‘हमारे समय की सामाजिक और राजनीतिक चिंताओं को दर्शाती है’ लेकिन ‘इसमें समय से परे विषयों को भी छुआ गया है.’

एडुग्यान ने बताया कि विजेता का चयन सर्वसम्मति से नहीं हुआ, लेकिन छह घंटे तक चली बैठक ‘मैत्रीपूर्ण’ थी.

लिंच को पुरस्कार पिछले साल के विजेता श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका ने दिया, जिन्हें उनके देश में गृह युद्ध के आघात के बारे में लिखे उपन्यास ‘द सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए यह पुरस्कार मिला था.

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