बीते 18 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब सरकार ने 92 के उत्पादकों को निर्देश दिया है, जो अपने माल के लिए ग़ैर-प्रमाणित संगठनों से हलाल प्रमाणीकरण प्राप्त कर रहे थे, ताकि वे यूपी के भीतर अपने उत्पादों को वापस ले सकें या उन्हें दोबारा पैक करें.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने खुदरा विक्रेताओं और डिपार्टमेंट स्टोर को अपनी गोदामों से किसी भी हलाल-सर्टिफिकेट खाद्य पदार्थ को वापस लेने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इसने राज्य के 92 उत्पादकों को भी निर्देश दिया है, जो अपने माल के लिए गैर-प्रमाणित संगठनों से हलाल प्रमाणीकरण प्राप्त कर रहे थे, ताकि वे यूपी के भीतर अपने उत्पादों को वापस ले सकें या उन्हें दोबारा पैक करें.
बीते 18 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने कहा था कि हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. हालांकि, निर्यात के लिए निर्मित उत्पाद प्रतिबंधों के अधीन नहीं होंगे.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद इसने हलाल-प्रमाणित उत्पादों की तलाश में राज्य के विभिन्न जिलों और 97 स्थानों पर लगभग 500 प्रतिष्ठानों की जांच की और अब तक लगभग 2,500 किलोग्राम हलाल-प्रमाणित उत्पाद जब्त किए.
सरकार ने उत्पादों के हलाल प्रमाणीकरण में कथित अनियमितताओं के लिए चार कंपनियों के खिलाफ राजधानी लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले को यूपी पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को स्थानांतरित कर दिया है.
एफआईआर भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के एक पदाधिकारी की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा) के तहत दर्ज गई थी.
उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ कंपनियों ने मौद्रिक लाभ के लिए एक निश्चित समुदाय के लोगों के बीच बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ उत्पादों को हलाल के रूप में प्रमाणित किया, जो जालसाजी और धोखाधड़ी के बराबर है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन आयुक्त अनीता सिंह ने बताया, ‘अभी तक भारत में केवल तीन संगठन हैं, जिनमें एक लखनऊ भी शामिल है, जो राष्ट्रीय प्रमाणन निकाय प्रमाणन बोर्ड (एनएबीसीबी) के साथ पंजीकृत हैं, जो मांस और मांस उत्पादों को निर्यात के लिए हलाल प्रमाणीकरण देने के लिए अधिकृत हैं. इसके अलावा भारत भर में 700-800 संगठन हैं, जो हलाल प्रमाणीकरण जारी कर रहे हैं. हमने ऐसे सभी उत्पादों पर तब तक प्रतिबंध लगा दिया है, जब तक ये कंपनियां एनएबीसीबी के साथ पंजीकृत नहीं हो जातीं.’
उन्होंने कहा कि रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और स्पेंसर जैसी श्रृंखलाओं ने हलाल-प्रमाणित उत्पादों को अपनी गोदामों से हटाने के लिए एक महीने का समय मांगा था, लेकिन उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है.
खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक कई हलाल प्रमाणित खाद्य पदार्थों को जब्त किया है, जिनमें चीनी, तेल, बेकरी आइटम, सॉस, चावल आदि जैसे उत्पाद शामिल हैं. इनमें से कई उत्पाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों और गुड़गांव में उत्पादित किए गए हैं.
मालूम हो कि मुस्लिम संगठनों ने हलाल प्रतिबंध की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय और इस्लाम के खिलाफ नफरत पर आधारित है. यह नागरिकों के आस्था द्वारा अनुमत भोजन खाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. संगठनों ने कहा था कि वे इसका कानूनी उपाय तलाशेंगे.