तमिलनाडु: कोर्ट ने ईडी द्वारा पांच कलेक्टरों को अवैध खनन के मामले में भेजे समन रद्द किए

ईडी ने रेत खनन में कथित अनियमितताओं के संबंध में तमिलनाडु के ज़िला कलेक्टरों को जारी समन के ख़िलाफ़ राज्य सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख़ किया था. इस पर अदालत ने कहा है कि प्रथमदृष्टया, भेजे गए समन ईडी के अधिकारक्षेत्र में नहीं आते हैं.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फ्लिकर)

ईडी ने रेत खनन में कथित अनियमितताओं के संबंध में तमिलनाडु के ज़िला कलेक्टरों को जारी समन के ख़िलाफ़ राज्य सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख़ किया था. इस पर अदालत ने कहा है कि प्रथमदृष्टया, भेजे गए समन ईडी के अधिकारक्षेत्र में नहीं आते हैं.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फ्लिकर)

नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 28 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को जारी किए गए समन पर अस्थायी रोक लगा दी और कहा कि एजेंसी की जांच ‘कुछ मिल सकने की संभावनाओं’ का हिस्सा लगती है.

बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस एसएस सुंदर और सुंदर मोहन की पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया, ईडी के पास ‘राज्य के किसी भी जिला कलेक्टर को समन जारी करने का कोई अधिकारक्षेत्र नहीं है.’ एजेंसी ने अरियालुर, करूर, वेल्लोर, तंजावुर और तिरुचि जिलों के कलेक्टरों को समन भेजे थे.

यह आदेश तमिलनाडु सरकार द्वारा कथित अवैध रेत खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी के समन को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया. अदालत ने समन पर रोक लगा दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि कथित अवैध रेत खनन की ईडी की जांच वह नहीं रोकती.

बार एंड बेंच के मुताबिक अदालत ने कहा, ‘प्रथमदृष्टया, भेजे गए समन प्रतिवादी (ईडी) के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं और वे केवल राज्य अधिकरणों द्वारा अब तक दर्ज नहीं की गई किसी आपराधिक गतिविधि को पहचानने की संभावना की जांच का प्रयास हैं.’

ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एआरएल सुंदरेसन द्वारा इस टिप्पणी पर आपत्ति जताए जाने के बाद, अदालत ने इसे दर्ज किया और कहा कि वह अगले महीने योग्यता के आधार पर मामले की सुनवाई करेगी.

गौरतलब है कि ईडी ने रेत खनन में कथित अनियमितताओं के संबंध में तमिलनाडु के 10 ज़िला कलेक्टरों को समन जारी किया था, जिसके ख़िलाफ़ मद्रास हाईकोर्ट का रुख़ करते हुए राज्य सरकार ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत ईडी की यह कार्रवाई उन मामलों में दख़ल है जो राज्य के अधिकारक्षेत्र में आते हैं.

राज्य सरकार ने भाजपाशासित राज्यों में इसी तरह के अपराधों में ईडी द्वारा जांच न किए जाने पर भी सवाल उठाए थे और मध्य प्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों में कथित अवैध खनन के मामलों का हवाला दिया था. तमिलनाडु सरकार ने ईडी की जांच की प्रकृति पर कहा था कि मामले में उन लोगों को भी शामिल किया जा रहा है, जिनका इससे कोई संबंध नहीं है.

मामले की सुनवाई में अदालत ने कहा कि समन से पता चलता है कि ईडी ने जिला कलेक्टरों को जिले में रेत खनन स्थलों की सूची सौंपने के लिए उसके समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा था. यह दिखाता है कि पूछताछ ‘आपराधिक आय के संबंध में नहीं बल्कि यह पता लगाने के लिए है कि क्या राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कोई अपराध किया गया था.’

उच्च न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत, ईडी तब तक किसी अपराध पर मुकदमा नहीं चला सकता जब तक कि अधिनियम के तहत परिभाषित ‘आपराधिक कार्यवाही’ मौजूद न हो.

आदेश में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पीएमएलए के तहत तीन चीजें आवश्यक होनी चाहिए जिनमें अपराध का होना जो कि अनुसूचित अपराध होता है, अपराध की आय का सृजन, और ऐसी आय की लॉन्ड्रिंग शामिल है. वर्तमान मामले में, जांच अनुसूचित अपराध की पहचान करने वाली प्रतीत होती है. समन जारी करने का उद्देश्य एक अनुसूचित अपराध को उजागर करना है और फिर यह अनुमान लगाना है कि इसमें अवैध धन शामिल है जिसे अपराध की आय के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.’

द हिंदू के अनुसार, ईडी सितंबर से पूरे तमिलनाडु में रेत खदानों का निरीक्षण कर रहा है और इन आरोपों की जांच कर रहा है कि नदी के तल से रेत की खुदाई की गई और ऑनलाइन बिक्री तंत्र को दरकिनार कर अवैध रूप से बेचा गया और सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ.