बिहार में शिक्षकों को सरकारी नीतियों की आलोचना न करने के निर्देश समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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बिहार के राज्य शिक्षा विभाग ने एक निर्देश में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सोशल मीडिया, अख़बार या टीवी चैनलों के ज़रिये राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना और विरोध करने के खिलाफ चेतावनी दी है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, निर्देश में इसे राज्य के शैक्षणिक माहौल में सुधार के लिए बाधा बताया है. विभाग ने कहा है कि अगर ऐसा किया जाता है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और शिक्षक या कर्मचारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. आदेश में शिक्षकों को किसी भी संघ की स्थापना करने या उसका सदस्य बनने और किसी भी हड़ताल या प्रदर्शन में भाग लेने से भी रोका गया है. इसे लेकर कहा गया है कि शिक्षकों या गैर-शिक्षण कर्मचारियों के किसी भी संघ को शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता नहीं दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को फटकार लगाई. लाइव लॉ के मुताबिक, बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को लंबित रखने का कोई कारण नहीं बताया गया है. राज्यपाल की शक्ति का इस्तेमाल विधायिका की कानून बनाने की प्रक्रिया को रोकने के लिए नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई होने से एक दिन पहले आरिफ मोहम्मद खान ने मंगलवार को आठ लंबित विधेयकों में से सात को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा था. ये विधेयक लगभग तीन सालों से लंबित थे. उल्लेखनीय है कि पिनाराई विजयन सरकार ने लंबित विधेयकों के मुद्दे पर इस महीने दो बार राज्यपाल के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कथित तौर पर ‘इस्लाम का अपमान’ और ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), श्रीनगर के एक छात्र के खिलाफ केस दर्ज किया है. द हिंदू के अनुसार, छात्र द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई ‘आपत्तिजनक पोस्ट’ को लेकर घाटी में प्रदर्शन हुए हैं. एक पुलिस प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि पुलिस ने एनआईटी, श्रीनगर के एक छात्र द्वारा एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ संवेदनशील सामग्री अपलोड करने’ की घटना का संज्ञान लिया था, जिसे लेकर आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 153 और 153ए (किसी धर्म के संस्थापक/पैगंबर का अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह एफआईआर मंगलवार शाम को एनआईटी परिसर में सैकड़ों छात्रों के पहुंचकर विरोध दर्ज कराने के बाद दर्ज की गई थी. 29 नवंबर को और ज्यादा विरोध प्रदर्शनहुए जहां श्रीनगर के अमर सिंह डिग्री कॉलेज के सैकड़ों छात्रों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और  इस्लाम समर्थक नारे लगाते हुए आरोपी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. क्षेत्र में बढ़ते विरोध के बीच पुलिस ने स्थानीय लोगों से अफवाहें या झूठी जानकारी फैलाने से बचने की अपील भी की है.

गुजरात हाईकोर्ट ने अज़ान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अदालत ने कहा कि अज़ान से ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है क्योंकि यह 10 मिनट से कम समय तक चलती है. गांधीनगर के एक डॉक्टर धर्मेंद्र प्रजापति ने अपने अस्पताल के पास एक मस्जिद से दिन में पांच बार अजान देने पर आपत्ति जता याचिका दायर की थी. उन्होंने दलील दी कि इससे लोगों, खासकर मरीजों को परेशानी होती है. इस पर मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की पीठ ने कहा कि वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि लाउडस्पीकर से अज़ान पढ़ने वाली इंसानी आवाज ध्वनि प्रदूषण पैदा करने की हद वाले डेसिबल तक कैसे पहुंच सकती है, जिससे जनता के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.

साल 2022 में भारतीय रेलवे ने इससे पिछले वर्ष की तुलना में ट्रेन दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में ट्रेन दुर्घटनाओं में नौ लोगों की मौत हुई और 45 घायल हुए, वहीं 2020-21 में किसी की जान जाने या घायल होने की सूचना नहीं मिली थी. 2020-21 में हुई 21 दुर्घटनाओं के मुकाबले 2021-22 में 35 ट्रेन दुर्घटना हुईं. इनमें से 26 पटरी से उतरने की घटनाएं (2020-21 में 16), दो टक्कर (2020-21 में एक) और आग लगने की चार घटनाएं (2020-21 में तीन) थीं. अखबार के मुताबिक, इसी साल रेलवे ने यात्रियों की मौत या चोट के लिए भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 124 के तहत मुआवजे के रूप में 85.88 करोड़ रुपये का भुगतान किया- जो कि 2020-21 में भुगतान किए गए 104.38 करोड़ रुपये से कम है.

यूजीसी ने महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों को आरएसएस के नेता की जन्मशती मनाने का निर्देश दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, एक पत्र में यूजीसी ने पूरे महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों से छात्रों को संघ नेता और एबीवीपी के संस्थापक सदस्य दत्ताजी डिडोलकर के जन्मशती वर्ष पर होने वाले समारोहों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा है. शैक्षणिक संस्थानों के लिए यूजीसी का यह निर्देश केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि डिडोलकर को याद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्य भी थे. शिवसेना (यूबीटी) की युवा शाखा ने यूजीसी के पत्र पर आपत्ति जताते हुए इसे वापस लेने का आग्रह किया है. युवा सेना ने कहा कि वे जन्मशती मनाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह काम राजनीतिक दल और आरएसएस को अपने फंड से करना चाहिए. इसे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों पर नहीं थोपा जाना चाहिए.