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गुजरात के खेड़ा जिले में कथित तौर पर मिथाइल एल्कोहल युक्त मिलावटी आयुर्वेदिक सीरप के सेवन के बाद पिछले दो दिनों में कम से कम पांच लोगों की मौत होने का मामला सामने आया है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह आयुर्वेदिक सीरप जिले के बिलोदरा गांव में एक दुकानदार द्वारा लगभग 50 लोगों को बेचा गया था. दुकानदार को गिरफ्तार कर लिया गया है. खेड़ा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश गढ़िया ने कहा कि एक ग्रामीण के खून के नमूने की रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि सीरप बेचने से पहले उसमें मिथाइल एल्कोहल मिलाया गया था. उन्होंने बताया कि सीरप की पहचान ‘कालमेघसव – आसव अरिष्ट’ के रूप में की गई, जिसमें 12 प्रतिशत की एल्कोहल सामग्री होने की अनुमति थी. गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेष पटेल ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, आयुर्वेदिक सीरप में रासायनिक मिलावट के संकेत मिले हैं. सीरप में राज्य के बाहर से आने वाला कोई पदार्थ मिलाया गया है. मंत्री ने कहा कि घटना की चल रही जांच का उद्देश्य उस हानिकारक रसायन की पहचान करना है, जिसने आयुर्वेदिक दवाओं को दूषित किया है. उन्होंने कहा कि अधिक गहन जांच के लिए नमूने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गए हैं.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन ने गुरुवार को कहा कि सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने वाली कोई भी सामग्री पोस्ट करना केंद्रशासित प्रदेश में एक आपराधिक अपराध होगा. एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि ‘आतंकवादियों, अलगाववादियों या राष्ट्र-विरोधी तत्वों’ द्वारा ऐसे संदेश या वीडियो पोस्ट करना अपराध होगा. उनके अनुसार, सीआरपीसी की धारा 144 के तहत हमने किसी भी प्रकार की सामग्री – संदेश, वीडियो, ऑडियो – को सोशल मीडिया पोस्ट करने पर एक कानून लाने का फैसला किया है, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काएगा और किसी को आतंकित या धमकाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसी सामग्री को फॉरवर्ड करने और साझा करने वालों को भी कानूनी परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने लोगों से ऐसी सामग्री की सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन में देने का आग्रह किया. डीजीपी ने कहा कि पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल ऐसी सामग्री बनाते और पोस्ट करते हैं जो ‘स्थानीय स्तर पर कुछ तत्वों द्वारा परेशानी पैदा करने और शांति को नुकसान पहुंचाने के लिए साझा की जाती है’.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर गोपीनाथ रवींद्रन को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) के रूप में फिर से नियुक्त करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया है. द वीक की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि मुख्यमंत्री ने रवींद्रन की पुनर्नियुक्ति की मांग के लिए उनका इस्तेमाल किया है. राज्यपाल का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को कन्नूर विश्वविद्यालय के वीसी के रूप में रवींद्रन को फिर से नियुक्त करने के केरल सरकार के फैसले को रद्द करने के बाद आया है. केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने पिछले साल 23 फरवरी को विश्वविद्यालय के वीसी के रूप में रवींद्रन की फिर से नियुक्ति को बरकरार रखने वाले एकल-न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह कानून के अनुसार किया गया था और यह ‘पद पर कब्जा करने वाला’ नहीं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों को कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित ‘रंग से न रंगे जाने’ के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मिलने वाले फंड को रोके जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने के लिए एक पत्र लिखा है. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में राज्य सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया है कि स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतों के रंग पर केंद्र के नियमों और शर्तों का पालन नहीं करने के कारण केंद्र ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना (एनएचएस) के तहत 828 करोड़ रुपये की धनराशि रोक दी है. जहां केंद्र ने निर्दिष्ट किया है कि सभी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, जिनका नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर रखा गया है, खाकी रंग की सीमा के साथ धात्विक पीले रंग के होने चाहिए, पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य केंद्रों को नीले और सफेद रंग में रंगा गया है और उन्हें सुस्वास्थ्य केंद्र नाम दिया गया है. मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि फंड रोकने से गरीब लोगों को उनके लाभ से वंचित होना पड़ेगा. उन्होंने कहा है, ‘मैं आपसे ईमानदारी से अनुरोध करती हूं कि आप पश्चिम बंगाल के लिए एनएचएम फंड को तत्काल जारी करने और स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को विशिष्ट रंग में रंगने की शर्तों को हटाने के लिए हस्तक्षेप करें, ताकि गरीब लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सामना न करना पड़े.’
साप्ताहिक मेडिकल जर्नल ‘द बीएमजे’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सभी स्रोतों से बाहरी वायु प्रदूषण के कारण भारत में प्रति वर्ष 21 लाख 80 हजार मौतें होती हैं, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, शोध में पाया गया कि उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में प्रति वर्ष 51 लाख अतिरिक्त मौतें होती हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह 2019 में सभी स्रोतों से बाहरी वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में कुल अनुमानित 83 लाख मौतों का 61 प्रतिशत है, जिसे जीवाश्म ईंधन को स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा से बदलने से संभावित रूप से टाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन से संबंधित मौतों के ये नए अनुमान पहले बताए गए अधिकांश आंकड़ों से ज्यादा हैं, जो बताते हैं कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से मृत्यु दर पर पहले की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ सकता है.