शिकायत के अनुसार, पश्चिम बंगाल विधानसभा के बाहर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी विधायक राष्ट्रगान गा रहे थे, जब भाजपा विधायक टीएमसी के ख़िलाफ़ नारे लगाते रहे. इसे लेकर ‘राष्ट्रगान का अपमान करने’ और ‘शांति भंग करने के लिए उकसाने’ के आरोप में भाजपा नेताओं पर केस मामला दर्ज हुआ है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा के बाहर टीएमसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर ‘राष्ट्रगान का अपमान करने’ और ‘शांति भंग करने के लिए उकसाने’ के आरोप में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और 11 अन्य भाजपा विधायकों पर बुधवार (29 नवंबर) को मामला दर्ज किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला बुधवार को कोलकाता के हेयर पुलिस स्टेशन में पश्चिम बंगाल विधानसभा सचिव सुकुमार रे की शिकायत के बाद भाजपा नेताओं पर राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान)/34 (सामान्य इरादों को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘आरोप है कि भाजपा विधायकों ने राष्ट्रगान के दौरान शांति भंग करने के लिए उकसाया.’
शिकायत के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी विधायक राष्ट्रगान गा रहे थे, लेकिन भाजपा विधायक टीएमसी के खिलाफ नारे लगाते रहे.
हालांकि, भाजपा ने इस आरोप से इनकार किया है. एक भाजपा नेता ने कहा, ‘हममें से कोई भी यह नहीं सुन सका कि वह क्या गा रही थी, तो राष्ट्रगान के अपमान का सवाल ही कहां उठता है?’
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दावा किया कि यह घटना बंगाल का वाजिब बकाया रोकने के केंद्र के फैसले के विरोध में पार्टी द्वारा आयोजित प्रदर्शन के दौरान हुई.
टीएमसी नेताओं ने कहा कि पार्टी ने स्पीकर को पत्र लिखकर 28, 29 और 30 नवंबर को राज्य विधानसभा के बाहर प्रदर्शन की अनुमति मांगी है. सत्तारूढ़ दल ने आरोप लगाया कि जब बनर्जी ने सभी विधायकों को राष्ट्रगान के लिए खड़े होने के लिए कहा, तो भाजपा विधायक चिल्लाने लगे, नारे लगाने लगे.
गुरुवार को कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में टीएमसी नेता तापस रॉय ने कहा, ‘हमारे विरोध के दौरान जब मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से राष्ट्रगान के लिए खड़े होने की अपील की, तो हमने देखा कि भाजपा नेताओं ने कैसे व्यवहार किया और राष्ट्रगान का अपमान किया. राष्ट्रगान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 के तहत, राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्तियों को या तो तीन साल की जेल, जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है.’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने ‘आपत्तिजनक व्यवहार’ में शामिल होने के लिए भाजपा विधायकों की आलोचना की. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वे बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे थे जो एक ‘फ्लॉप शो’ साबित हुई.
रॉय ने कहा, ‘चूंकि अमित शाह की रैली पूरी तरह फ्लॉप शो थी, इसलिए बंगाल भाजपा नौटंकी में लग गई. अमित शाह ने 20 मिनट का भाषण दिया और बंगाल से चले गए. इसके बाद, भाजपा नेताओं ने न केवल असभ्य तरीके से व्यवहार किया, बल्कि राष्ट्रगान का भी अपमान किया.’
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भ्रष्ट व्यक्ति बताते हुए घोष ने कहा, ‘शुभेंदु अधिकारी दूसरों पर उंगली उठा रहे थे और पागलों की तरह चिल्ला रहे थे लेकिन वास्तव में वो चोर और भ्रष्ट हैं. नारदा मामले में सीबीआई की एफआईआर में उनका नाम शामिल था और वह शारदा चिटफंड मामले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं. शुभेंदु अधिकारी दूसरों के बारे में कैसे बात कर रहे हैं जबकि भाजपा ने ही उन्हें ‘चोर’ कहा था.’
पार्टी ने कहा कि उसके नेताओं ने बुधवार के सत्र के दौरान ‘अस्थिर स्थिति को संभालने में अनुकरणीय धैर्य’ दिखाया. टीएमसी ने कहा, ‘भाजपा के उकसावे से गंभीर स्थिति पैदा हो सकती थी. विधानसभा में ऐसी स्थिति हमने पहले कभी नहीं देखी. भाजपा द्वारा राज्य में लाई जा रही संस्कृति बंगाल के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे के खिलाफ है.’
अपनी पार्टी के विधायकों के खिलाफ टीएमसी द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक शंकर घोष ने कहा, ‘टीएमसी विधायिका में उनकी जगह छीनकर और नेता प्रतिपक्ष पर व्यक्तिगत हमले करके विपक्ष की आवाज का गला घोंट रही है.’