भाजपा को पिछले साल चुनावी बॉन्ड के अलावा 719 करोड़ रुपये का चंदा मिला: रिपोर्ट

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है. इसमें वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिली है.

(फोटो: द वायर)

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है. इसमें वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिली है.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में हजारों दानकर्ताओं से 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, घोषित राशि में वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड योजना के तहत प्राप्त हुई थी, जिसके बारे में जानकारी देने से छूट दी गई है.

रिपोर्ट में चेक, बैंक हस्तांतरण, ऑनलाइन लेनदेन और यूपीआई भुगतान के रूप में 20,000 रुपये और उससे अधिक के सभी तरह से मिले चंदे का विवरण शामिल है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में करीब 35 फीसदी चंदा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आया, जिससे भाजपा को कुल 256.25 करोड़ रुपये मिले. एन्जिगार्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट और ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट से क्रमशः 8 लाख रुपये और 10 लाख रुपये मिले.

इसमें कहा गया है कि 2021-22 में व्यक्तियों, ट्रस्टों, कंपनियों और संघों से पार्टी का मिला कुल चंदा 614.52 करोड़ रुपये था.

पार्टी को दान देने वालों की सूची में कुछ पार्टी नेताओं के नाम भी हैं, जिनमें असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हैं.

अन्य दानकर्ताओं में छोटे व्यवसाय, निजी स्कूल, शिक्षा और धर्मार्थ ट्रस्ट, खनन कंपनियां, निर्माण कंपनियां, अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियां, डिस्टिलरी और रेस्तरां भी शामिल हैं. सूची में दर्ज छोटे व्यवसायों रूप में पौधों की नर्सरी, शराब की दुकानें, आटा चक्की और हार्डवेयर स्टोर के नाम भी शामिल हैं.

चुनाव नियमों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति या संस्थान 2,000 रुपये या इससे अधिक का चंदा किसी पार्टी को देता है तो राजनीतिक दल को दानकर्ता के बारे में पूरी जानकारी देनी पड़ती है, जिसमें दानकर्ता का नाम, पैन कार्ड और पता शामिल है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड ने इस बाधा को समाप्त कर दिया है. अब कोई भी एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक के चुनावी बॉन्ड के जरिये पार्टियों को चंदा दे सकता है और उसकी पहचान बिल्कुल गोपनीय रहेगी.

इस माध्यम से चंदा लेने पर राजनीतिक दलों को सिर्फ ये बताना होता है कि चुनावी बॉन्ड के जरिये उन्हें कितना चंदा प्राप्त हुआ. इसलिए चुनावी बॉन्ड को पारदर्शिता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा माना जा रहा है.

साल 2021-22 में भाजपा ने अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,033.70 करोड़ रुपये और अन्य योगदान के माध्यम से 614.52 करोड़ रुपये की घोषणा की थी.

चुनाव आयोग ने गुरुवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की योगदान रिपोर्ट भी प्रकाशित की.  पार्टी ने 6.02 करोड़ रुपये के चंदे की घोषणा की.

राष्ट्रीय पार्टियों में आम आदमी पार्टी ने 2022-23 के अपनी रिपोर्ट में 37 करोड़ रुपये और बसपा ने शून्य दान की घोषणा की है. चुनाव आयोग ने अभी तक कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है.