राज्यसभा सचिवालय द्वारा अधिसूचनाओं की एक श्रृंखला में सांसदों को कई दिशानिर्देश दिए गए हैं. इनमें से एक कहता है कि किसी भी विदेशी सरकार या इकाई से मिले निमंत्रण विदेश मंत्रालय के ज़रिये भेजे जाएं. साथ ही, सांसद निजी विदेश यात्राओं के दौरान विदेशी आतिथ्य स्वीकारने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति लें.
नई दिल्ली: राज्यसभा सचिवालय के नए आदेश के अनुसार, सांसदों को निजी यात्राओं के दौरान विदेशी मेहमाननवाज़ी स्वीकार करते समय सख्त दिशानिर्देशों का पालन करना होगा और केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी.
एनडीटीवी के अनुसार, गुरुवार को राज्यसभा सचिवालय द्वारा अधिसूचनाओं की एक श्रृंखला जारी की गई है. इन नियमों में सांसदों के लिए एक आचार संहिताभी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि वे ऐसे तोहफे नहीं ले सकते, जिनसे उनके आधिकारिक कर्तव्यों के ईमानदार और निष्पक्ष निर्वहन में हस्तक्षेप हो सकता हो.
ये दिशानिर्देश ऐसे समय में आए हैं जब लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने ‘कैश फॉर क्वेरी’ विवाद को लेकर टीएमसी सांसद मोहुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की है. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा पर संसद में सवाल करने के लिए दुबई के कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से ‘रिश्वत’ लेने का आरोप लगाया गया है.
विदेश और गृह मंत्रालय को सूचित करना होगा
नए नियमों में कहा गया है कि किसी भी विदेशी स्रोत, यानी किसी भी देश की सरकार या किसी विदेशी इकाई से सभी निमंत्रण विदेश मंत्रालय (एमईए) के माध्यम से भेजे जाएं. यदि ऐसा कोई निमंत्रण सीधे भी प्राप्त होता है, तो सांसदों को इसे विदेश मंत्रालय के ध्यान में लाना जरूरी है और इसके लिए मंत्रालय की आवश्यक राजनीतिक मंजूरी भी ली जानी चाहिए.
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 6 के तहत जाती एक नई अधिसूचना के अनुसार, ‘संसद सदस्यों को अपनी निजी विदेश यात्राओं या अपनी व्यक्तिगत क्षमता में की जाने वाली विदेश यात्राओं के दौरान किसी भी विदेशी आतिथ्य को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है.’
इसमें कहा गया है कि सांसदों को यह भी सलाह दी जाती है कि विदेशी मेहमाननवाज़ी स्वीकार करने के लिए उनके आवेदन, यात्रा की प्रस्तावित तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले गृह मंत्रालय के पास पहुंच जाने चाहिए.
कहा गया है, ‘आतिथ्य स्वीकार करने से पहले संसद सदस्यों को आतिथ्य देने वाले संगठन/संस्था की विश्वसनीयता को लेकर संतुष्ट होना चाहिए.’
एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है, ‘सांसदों से अनुरोध है कि वे अपनी विदेश यात्रा की जानकारी और इसका उद्देश्य बताते हुए प्रस्तावित तारीख से कम से कम 3 सप्ताह पहले महासचिव को भेजें ताकि विदेश मंत्रालय और संबंधित भारतीय मिशन/पोस्ट को इसके बारे में सूचित किया जा सके. सदस्यों से यह भी अनुरोध किया जाता है कि वे अपने यात्रा कार्यक्रम को अंतिम रूप देते ही सम्मेलन एवं प्रोटोकॉल अनुभाग के प्रभारी संयुक्त सचिव को ई-मेल करें.’
‘सांसद ऐसा कुछ न करें जिससे साख ख़राब हो’
एक अन्य हालिया अधिसूचना में सांसदों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता को दोहराया गया है, जो कहती है कि सांसदों को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे संसद की बदनामी हो और उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो. संहिता में दोहराया गया कि उन्हें लोगों की सामान्य भलाई के लिए सांसद के तौर पर अपनी स्थिति का इस्तेमाल करना चाहिए.
कहा गया है, ‘राज्यसभा के सदस्यों को उन पर जताए गए जनता के विश्वास को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करना चाहिए और लोगों की भलाई के लिए लगन से काम करना चाहिए. उन्हें संविधान, कानून, संसदीय संस्थानों और उससे भी ऊपर आम जनता का सम्मान बरक़रार रखना चाहिए.
आगे कहा गया है, ‘संसद सदस्यों को ऐसा कोई तोहफा नहीं लेना चाहिए जो उनके आधिकारिक कर्तव्यों के ईमानदार और निष्पक्ष निर्वहन में दखल दे सकता हो. हालांकि, वे साधारण उपहार या कम दाम वाले स्मृति चिह्न और पारंपरिक आतिथ्य स्वीकार सकते हैं. अगर इस दौरान सदस्यों को लगता है कि उनके व्यक्तिगत हितों और काम के बीच कोई टकराव है, तो उन्हें इसे ऐसे हल करना चाहिए कि उनके निजी हित उनके सार्वजनिक कार्यालय के कर्तव्य से पीछे रहें.
संहिता में यह भी कहा गया है कि सांसदों को हमेशा यह देखना चाहिए कि उनके और उनके करीबी परिजनों के निजी वित्तीय हित सार्वजनिक हित के साथ न टकराएं और यदि कभी भी ऐसा हो, तो उन्हें इस तरह हल करने का प्रयास करें कि जनहित खतरे में न पड़े.
विदेश दौरों के दौरान दिए जाने वाले किसी भी विदेशी आतिथ्य को स्वीकार करने के लिए सांसदों को निमंत्रण सचिव, गृह मंत्रालय (विदेशी प्रभाग (एफसीआरए) को भी भेजा जाना चाहिए.
विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी और गृह मंत्रालय से एफसीआरए अनुमति प्राप्त होने पर सांसद राज्यसभा सभापति को अन्य बातों के अलावा, यात्रा के मकसद और आतिथ्य के बारे में सूचित करें.
‘गोपनीय जानकारी का खुलासा न करें सांसद’
आचार संहिता में यह भी कहा गया है कि सांसदों को सदन में उनके द्वारा दिए या न दिए गए वोट, विधेयक पेश करने, प्रस्ताव पेश करने या न करने, प्रश्न पूछने या न पूछने या सदन या संसदीय समिति के विचार-विमर्श में भाग लेने के लिए कभी भी किसी शुल्क, पारिश्रमिक या लाभ की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, और यदि ऐसा हो तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए.
दिशानिर्देशों में इस बातपर जोर दिया गया है कि यदि सदस्यों के पास सांसद या संसदीय समितियों के सदस्य होने के कारण कोई गोपनीय जानकारी है, तो उन्हें अपने व्यक्तिगत हितों के लिए ऐसी जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए.
इसमें जोड़ा गया है, ‘सदस्यों को उन्हें उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. सदस्यों को किसी भी धर्म के प्रति अनादर नहीं रखना चाहिए और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए. सदस्यों से सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, गरिमा, शालीनता और मूल्यों के उच्च मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है.
सदन में न लगाएं जय हिंद या वंदे मातरम का नारा, न करें सभापति के निर्णय की आलोचना
एक अन्य अधिसूचना में राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि सदन की कार्यवाही की मर्यादा और गंभीरता के लिए आवश्यक है कि सदन में कोई ‘धन्यवाद’, ‘जय हिंद’, ‘वंदे मातरम’ या कोई अन्य नारा नहीं लगाया जाना चाहिए.
कहा गया है, ‘सभापति द्वारा दिए गए निर्णयों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सदन के अंदर या बाहर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. राज्यसभा सचिवालय/लोकसभा सचिवालय और सभापति, राज्यसभा/लोकसभा अध्यक्ष के कामों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर सदन में नहीं दिया जाएगा. किसी बहस के दौरान किसी भी सदन के अधिकारियों का संदर्भ देना अनुचित है.
आदेश में कहा गया है कि सदन के पटल पर हुआ प्रदर्शन ‘संसदीय शिष्टाचार’ के अनुसार नहीं रहा है, जिसका पालन करना आवश्यक है.
देनदारियों की जानकारी सभापति को दें राज्यसभा सांसद
एक अन्य अधिसूचना में राज्यसभा के सदस्य (संपत्ति और देनदारियों की घोषणा) नियम, 2004 के अनुसार, राज्यसभा के सभी निर्वाचित सांसदों को उस तारीख, जब वे सदन में शपथ लेते हैं, से नब्बे दिनों के भीतर अपनी संपत्ति और देनदारियों के बारे में राज्यसभा के सभापति को जानकारी पेश करने को कहा गया. सदस्यों को भारत के साथ-साथ विदेश में उनकी संपत्ति और देनदारियों के बारे में जानकारी देनी होगी.
एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है कि हालांकि सांसद और उनके जीवनसाथी राजनयिक पासपोर्ट पाने के हकदार हैं और इसका इस्तेमाल निजी यात्रा (पर्यटन या दोस्तों/रिश्तेदारों से मिलने के लिए) के लिए कर सकते हैं, लेकिन निजी काम के लिए विदेश यात्रा करते समय इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.