तेलंगाना विधानसभा चुनाव: बीआरएस ने हार स्वीकारी, कांग्रेस अध्यक्ष ने मतदाताओं को शुक्रिया कहा

निर्वाचन आयोग के अनुसार, शाम साढ़े सात बजे तक कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 56 सीटें जीत चुकी है और 08 पर आगे बनी हुई है. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 32 सीटें जीत चुकी है और 07 सीटों पर आगे चल रही है.

(फोटो साभार: फेसबुक/@INCKarnataka)

निर्वाचन आयोग के अनुसार, शाम साढ़े सात बजे तक कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 56 सीटें जीत चुकी है और 08 पर आगे बनी हुई है. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 32 सीटें जीत चुकी है और 07 सीटों पर आगे चल रही है.

(फोटो साभार: फेसबुक/@INCKarnataka)

नई दिल्ली: हालिया विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों में तेलंगाना में 30 नवंबर को हुए मतदान को लेकर मतगणना जारी है.

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट बताती है कि रविवार को शाम साढ़े सात बजे तक कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 56 सीटें जीत चुकी है और 08 पर आगे बनी हुई है. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 32 सीटें जीत चुकी है और 07 सीटों पर आगे चल रही है.

भाजपा तीसरे स्थान पर है, जहां इसे अब तक सात सीटों पर जीत मिली है और एक सीट पर आगे है. एआईएमआईएम को अब तक तीन सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और चार पर बढ़त बनाए हुए है. भाकपा एक सीट पर जीती है.

राज्य की कुल 129 विधानसभा सीटों पर 71.34 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. निवर्तमान विधानसभा में बीआरएस के पास 99, कांग्रेस के पास 7, एआईएमआईएम के पास 7 और भाजपा के पास 5 सीटें हैं.

तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद से करीब 10 वर्षों से सत्ता में काबिज बीआरएस को फिर से उठ खड़ी हुई कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी है. वहीं, भाजपा के प्रचार ने शुरुआत में तो गति पकड़ी लेकिन फिर फीका पड़ गया.

अधिकांश चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों और एग्ज़िट पोलों में बीआरएस और कांग्रेस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें कांग्रेस को बीआरएस की तुलना में थोड़ी बढ़त मिलती बताई गई थी. ऐसा भी बताया जा रहा था कि भाजपा बीआरएस-विरोधी वोटों में सेंध लगाकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है और किंगमेकर बनकर उभर सकती है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को हैदराबाद के पुराने शहर में अपना आधार बनाए रखने की उम्मीद है.

लगभग तीन महीने पहले अगस्त में अपने उम्मीदवारों की घोषणा करके बीआरएस प्रचार अभियान में उतरने वाली पहली पार्टी थी. तीसरी बार जीत हासिल करने के प्रति आश्वस्त पार्टी ने सात सीटों को छोड़कर अपने लगभग सभी मौजूदा विधायकों को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है. इस चुनाव में पार्टी का फोकस अपनी कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ राज्य द्वारा बिजली और सिंचाई क्षेत्रों में देखी गई ‘सफलताओं’ इर्द-गिर्द रहा था.

हालांकि, पार्टी को उन लोगों की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है जो कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहे, जिनमें बेरोजगार युवा और निराश सरकारी कर्मचारी शामिल हैं.

राज्य में प्रशासन पर मुख्यमंत्री केसीआर के परिवार की कथित पकड़ और कथित भ्रष्टाचार को लेकर भी इसकी आलोचना की गई. कई बीआरएस विधायकों पर भी उनके निर्वाचन क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का आरोप लगा.

बीआरएस को टक्कर देने वाली कांग्रेस को छह महीने पहले खारिज कर दिया गया था, हालांकि, इसके उभरकर सामने आने में कई कारकों का योगदान रहा, जैसे- बीआरएस विधायकों के खिलाफ निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर कथित सत्ता विरोधी लहर; कर्नाटक की जीत से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हुआ; तेलंगाना इकाई प्रमुख के पद से बंदी संजय को हटाने के बाद भाजपा की गिरावट; और यह धारणा कि बीआरएस और एआईएमआईएम भाजपा के साथ मिले हुए हैं.

उधर, पिछले छह महीनों में भाजपा के सितारे काफी गर्दिश में चले गए.कई उपचुनावों में जीत के साथ इसके द्वारा बनाए माहौल और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के चुनाव में इसके शानदार प्रदर्शन ने इस धारणा को जन्म दिया था कि वह मौजूदा बीआरएस के लिए प्रमुख चुनौती है. हालांकि, यह माहौल जल्द ही ठंडा पड़ गया. विभिन्न सर्वेक्षणों से संकेत मिला था कि पार्टी तीसरे स्थान पर रह सकती है.

 

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