विवादास्पद अधिकारी राकेश अस्थाना को सेवानिवृत्ति के बाद एनएचआरसी ‘मॉनिटर’ की भूमिका मिली

सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद को लेकर चर्चा में रहे दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को केंद्र ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सात 'विशेष मॉनिटरों' में से एक के रूप में चुना है. वे आयोग में आतंकवाद विरोधी, सांप्रदायिक दंगों और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा जैसे क्षेत्रों पर नज़र रखेंगे.

राकेश अस्थाना. (फोटो साभार: यूट्यूब)

सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद को लेकर चर्चा में रहे दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को केंद्र ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सात ‘विशेष मॉनिटरों’ में से एक के रूप में चुना है. वे आयोग में आतंकवाद विरोधी, सांप्रदायिक दंगों और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा जैसे क्षेत्रों पर नज़र रखेंगे.

राकेश अस्थाना. (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली: अपने समय में विवादास्पद शख्स रहे दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यभार के लिए चुना है.

2018 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष निदेशक के रूप में अस्थाना, जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ हुए विवाद में शामिल थे. वर्मा और अस्थाना दोनों पर सीबीआई ने रिश्वतखोरी और जबरन वसूली का आरोप लगाया था. अक्टूबर 2018 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अस्थाना को छुट्टी पर जाने को कहा था. बाद में जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने वर्मा को निदेशक पद से हटा दिया था.

तब तक कई ख़बरों में बताया गया था कि मोदी सरकार में शीर्ष अधिकारियों के साथ निकटता के कारण अस्थाना को हमेशा सरकार में बड़े पद मिले थे.

सीबीआई में रहते हुए अस्थाना करोड़ों रुपये के चारा घोटाले की जांच के कारण भी चर्चा में रहे थे, जिसमें मोदी के कट्टर विरोधी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव आरोपी थे.

जुलाई 2021 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी अस्थाना को सेवानिवृत्त होने से चार दिन पहले ‘सार्वजनिक हित’ में दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में चुना था. उनके नियुक्ति को चुनौती देते हुए सिविल सोसाइटी वकालत समूह कॉमन कॉज़ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की.

इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि यह मामला निरर्थक हो गया क्योंकि वह जुलाई 2022 में पद से सेवानिवृत्त हो गए थे.

22 नवंबर को केंद्र सरकार अस्थाना को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सात ‘विशेष मॉनिटरों’ में से एक के रूप में वापस लाई है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्थाना एनएचआरसी के आतंकवाद, सांप्रदायिक दंगों और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा जैसे क्षेत्रों की निगरानी करेंगे.

22 नवंबर के आदेश में ‘विशेष मॉनिटर’ के रूप में जिनके नाम शामिल हैं उनमें आईपीएस अधिकारी मुकेश चंद्र, अमिताभ अग्निहोत्री, संजय अग्रवाल, आरके सामा, मनोहर अगानी और ज्योत्सना सिटलिंग भी शामिल हैं.

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जहां मुकेश चंद्रा एनएचआरसी में साइबर अपराधों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे, वहीं अमिताभ अग्निहोत्री जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और मानवाधिकार संबंधी मुद्दों की निगरानी करेंगे.

प्रारंभिक शिक्षा की मॉनिटरिंग के लिए संजय अग्रवाल को प्रभारी बनाया गया है. वहीं आरके सामा आयोग में पानी, स्वच्छता संबंधी के लिए ‘विशेष मॉनिटर’ होंगे, मनोहर अगानी सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य देखभाल, एचआईवी-एड्स और नकली दवाओं के मामले की देखरेख करेंगे. ज्योत्सना सिटलिंग आजीविका, रोजगार और कौशल की निगरानी करेंगी.