विधानसभा चुनाव: राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी सभी सीटें हारी, नोटा से भी कम वोट

आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में 66, राजस्थान में 85 और छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर सीट पर उसे हार मिली. पार्टी तीनों राज्यों में से किसी में भी 1% वोट हासिल करने में विफल रही, जो नोटा  विकल्प से भी कम वोट हैं.

अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ArvindKejriwal)

आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में 66, राजस्थान में 85 और छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर सीट पर उसे हार मिली. पार्टी तीनों राज्यों में से किसी में भी 1% वोट हासिल करने में विफल रही, जो नोटा  विकल्प से भी कम वोट हैं.

अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ArvindKejriwal)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार की प्रतिक्रिया में आम आदमी पार्टी (आप) के एक नेता ने रविवार (3 दिसंबर) को उत्तर भारत में ‘सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी’ होने का दावा किया.

आप नेता जैस्मीन शाह ने एक्स पर कहा, ‘आज के नतीजों के बाद @AamAadmiParty दो राज्य सरकारों – पंजाब और दिल्ली के साथ उत्तर भारत में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है.’

हालांकि, यह दावा करते समय शाह ने यह नहीं बताया कि इन विधानसभा चुनावों में आप का अपना प्रदर्शन और भी निराशाजनक था. पार्टी इन तीन राज्यों में से किसी में भी एक भी सीट नहीं जीत पाई और उसे नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प से भी कम वोट मिले.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) रविवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में 205 निर्वाचन क्षेत्रों में उमीदवार उतारे थे, जिनमें से कोई भी नहीं जीता. पार्टी तीनों राज्यों में से किसी में भी 1% वोट हासिल करने में विफल रही.

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में 66, राजस्थान में 85 और छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर सीट पर उसे हार मिली. मध्य प्रदेश में पार्टी को केवल 0.53% वोट मिले, जो नोटा (0.98%) से भी कम है, जबकि छत्तीसगढ़ में उसे 0.93% वोट मिले. राजस्थान में पार्टी को कुल वोटों का सिर्फ 0.38% वोट मिले.

हालांकि, नतीजे पार्टी के लिए चिंता का विषय होने चाहिए क्योंकि इससे पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा होगा. इससे पहले पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में दो सीटें और गुजरात में पांच सीटें जीतीं, हालांकि कर्नाटक और उत्तराखंड में उसे कोई सीट नहीं मिली थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद आप ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ‘हम तीन राज्यों में जीत के लिए भाजपा को बधाई देते हैं. हमें पूरी उम्मीद है कि यह अपने वादे पर खरा उतरेगा और ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना आवास योजना’ के तहत घर उपलब्ध कराएगा. हमें यह भी उम्मीद है कि भाजपा वादे के मुताबिक 450 रुपये में रसोई गैस उपलब्ध कराएगी. हम मांग करते हैं कि पूरे देश के लिए सस्ती एलपीजी उपलब्ध कराई जानी चाहिए और इसे तीन राज्यों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए.’

आप ने कहा, ‘अगर गठबंधन कायम रहता है और आगे बढ़ता है, तो कांग्रेस को 2024 में चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या में समझौता करना होगा.’

तीन राज्यों में मिले बहुत कम वोट शेयर का जिक्र किए बिना पार्टी ने कहा कि वह अपने ‘प्रारंभिक चरण’ में है और ‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा संदेश सभी तक पहुंचे’ इन राज्यों में चुनाव लड़ रही है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, आप ने कहा, ‘कर्नाटक चुनाव में भाजपा को 31 सीटों पर अपनी जमानत गंवानी पड़ी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश में प्रचार किया, लेकिन भाजपा सभी 173 सीटें हार गई और उसे नोटा से भी कम वोट मिले. क्या इससे गुजरात में भाजपा के वोट शेयर पर असर पड़ा?’