लेखिका नयनतारा सहगल ने कहा, फिल्म पद्मावती का विरोध हिंदुत्व से प्रेरित है, न कि हिंसा की मनाही करने वाले हिंदूवाद से.
नई दिल्ली: जानी मानी अभिनेत्री शबाना आज़मी ने शनिवार को कहा कि देश आज अति राष्ट्रवाद का गवाह बन रहा है, यद्यपि ये परिकल्पना नई नहीं है लेकिन लोगों को इसके प्रति सजग होने की ज़रूरत है. दूसरी तरफ़, लेखिका नयनतारा सहगल ने कहा कि फिल्म पद्मावती का विरोध हिंदुत्व से प्रेरित है, न कि हिंसा की मनाही करने वाले हिंदूवाद से.
अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति के बीच के अंतर को समझना समय की मांग है. आज़मी ने कहा, राष्ट्रभक्ति खुद को किसी भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन से जोड़ती है और इसके साथ ही उनके जीवनस्तर में बेहतरी का भी ध्यान रखती है. इसलिए आप बेहद राष्ट्रभक्त हो सकते हैं और इसके साथ ही साथ आप समाज के कुछ खास मुद्दों को लेकर आलोचनात्मक रुख भी रख सकते हैं. ऐसे में किसी भी तरह से यह आपको गैरराष्ट्रभक्त नहीं बनाता.
दिल्ली में टाइम्स लिटरेचर फेस्ट में अपने गीतकार पति जावेद अख्तर के साथ एक परिचर्चा में शबाना ने कहा, लेकिन अब हम जो देख रहे हैं, देश में वह अति राष्ट्रवाद है. और यह ऐसी चीज है जिसके बारे में सतर्क होना चाहिए. यह हमेशा से रही है. और संस्कृति और कला पर हमेशा हमला होता रहा है क्योंकि ये जिसका प्रतिनिधित्व करते हैं उससे देश की छवि परिभाषित होती है.
कला, संस्कृति और साहित्य को फलने-फूलने देना चाहिए
लेखिका नयनतारा सहगल ने शनिवार को कहा कि फिल्म पद्मावती का विरोध हिंदुत्व से प्रेरित है, न कि हिंसा की मनाही करने वाले हिंदूवाद से. वे टाइम्स लिटफेस्ट में बोल रही थीं. 90 वर्षीय लेखिका ने कहा कि लोगों को दूसरे लोगों की भावनाओं के बारे में भूल जाना चाहिए तथा कला, संस्कृति और साहित्य को फलने-फूलने देना चाहिए.
नयनतारा ने कहा कि यदि उन्होंने लोगों ने लोगों की भावनाओं के आहत होने की चिंता की होती तो विधवाओं को जलाने और सती प्रथा का कभी खात्मा न हुआ होता.
उन्होंने कहा, निर्माताओं और पद्मावती की अभिनेत्री को हिंसा की धमकी दी गई है. यह हिंदुत्व है, न कि हिंदूवाद. हिंदूवाद की पहली शिक्षा अहिंसा है. लेखिका ने दावा किया कि हिंदुत्व जहां हिंसा की बात करता है, वहीं हिंदूवाद ठीक इसके उलट शिक्षा देता है.
उन्होंने कहा, यदि भावनाएं गलत हों तो हमें भावनाओं को आहत करना चाहिए. हम एक अरब से अधिक लोग हैं और हमारी एक अरब से अधिक भावनाएं हो सकती हैं… इसलिए कुछ भावना का हमेशा दूसरी के साथ संघर्ष रहता है.
दादरी में गोमांस रखने के शक में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा की गई हत्या और गोरक्षकों द्वारा पहलू खान की हत्या किए जाने जैसी हिंसा की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वे असहिष्णुता से परे चले गए.
उन्होंने कहा, ये हत्याएं हैं. खामोशी कोई विकल्प नहीं है. लेखिका ने कहा, …क्योंकि उन्होंने हमें न बोलने का आदेश दिया है, इसलिए हमने अपने लिए खुले हर आयोजन में बोलने का फैसला किया है.
नयनतारा उन 40 लेखकों में शामिल थीं जिन्होंने नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और एमएम कलबुर्गी जैसे तर्कवादियों की हत्या के विरोध में दिसंबर 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे.