यूपी की जेल में मुख्तार अंसारी की जान को ख़तरे के दावे के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे परिजन

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद गैंगस्टर और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी ने उन्हें स्थानांतरित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख़ किया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने पिता की जान को ख़तरा बताया है.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद गैंगस्टर और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी ने उन्हें स्थानांतरित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख़ किया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने पिता की जान को ख़तरा बताया है.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जेल में बंद उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार बांदा जेल में उनकी हत्या करने की योजना बना रही है, जहां वह वर्तमान में बंद हैं.

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक रिट याचिका में अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी ने बांदा जेल से ट्रांसफर के रूप में शीर्ष अदालत से अपने पिता के लिए सुरक्षा की मांग की है. उमर ने उत्तर प्रदेश में मुख्तार को जान का खतरा बताया है.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार के पूर्व विधायक रहे मुख्तार लंबे समय से आदित्यनाथ सरकार के निशाने पर हैं, जिसने 2017 में सत्ता में आने के बाद उनके, उनके परिवार और समर्थकों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन को लगा दिया.

राज्य सरकार ने मुख्तार को ‘गैंगस्टर’ और आईएस191 गिरोह का प्रमुख घोषित किया और उनके, उनके बेटों (वर्तमान विधायक अब्बास अंसारी समेत) उनके भाई और पूर्व सांसद अफजल अंसारी और अन्य सहयोगियों के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए.

सरकार ने कड़े गैंगस्टर अधिनियम के तहत अंसारी परिवार की करोड़ों की संपत्ति को भी जब्त, ध्वस्त और ‘अवैध कब्जे’ से मुक्त करने का दावा किया है और कथित मुठभेड़ में पूर्व विधायक के करीबी माने जाने वाले कई लोगों को मार गिराया है.

अंसारी के बेटे का कहना है, ‘हत्या’ की साजिश की ‘विश्वसनीय जानकारी’ उपलब्ध

याचिकाकर्ता उमर अंसारी ने लाइव टेलीविजन पर पूर्व लोकसभा सांसद और दागी नेता अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की हत्या का जिक्र करते हुए अपने पिता की सलामती के लिए चिंता व्यक्त की.

अपनी याचिका में मुख्तार के बेटे उमर ने आदित्यनाथ सरकार पर अंसारी के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण रुख’ अपनाने और जेल में रहने के दौरान उन्हें खत्म करने के लिए ‘बड़ी साजिश’ रचने का आरोप लगाया.उन्होंने दावा किया है कि अंसारी की जान को खतरे की आशंका मुख्तार को मिली ‘विश्वसनीय जानकारी’ पर आधारित है और बांदा जेल में उसकी हत्या करने के लिए राज्य सरकार द्वारा साजिश रची जा रही है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या- जिसमें मुख्तार को इस साल की शुरुआत में संबंधित मामले में दोषी ठहराया गया था और 10 साल की सजा सुनाई गई थी- में आरोपी कई लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल ने समान परिस्थितियों में मार डाला था.

उमर ने कहा, ‘भले ही मुख्तार और अन्य आरोपियों को कृष्णानंद राय की हत्या में बरी कर दिया गया हो, फिर भी उन्हें अपराधी के रूप में देखा जाता है और राज्य के भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक मंचों से बार-बार उनके खिलाफ प्रतिशोध लेने की शपथ ली है.’

उन्होंने आगे कहा कि राय की हत्या के आरोपियों में से चार की पहले ही हत्या कर दी गई है. जहां एक आरोपी फिरदौस को 2006 में एसटीएफ ने मार गिराया था, वहीं प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की 2018 में एक अन्य दोषी गैंगस्टर सुनील राठी द्वारा बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या से एक सप्ताह से अधिक समय पहले बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने उसी साल 29 जून को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि यूपी पुलिस कुछ नेताओं और अधिकारियों के साथ मिलकर उन्हें जेल के बाहर ‘फर्जी मुठभेड़’ में खत्म करने की साजिश रच रही है. सिंह ने यह भी दावा किया था कि झांसी जेल में रहने के दौरान उनके पति को जहर देने की कोशिश की गई थी.

मुख्तार के एक अन्य सहयोगी राकेश पांडे को अगस्त 2020 में एक कथित ‘मुठभेड़’ में पुलिस ने गोली मार दी थी. पांडे के परिवार ने पुलिस पर उन्हें लखनऊ में घर से उठाने और फिर उनकी हत्या करने का आरोप लगाया था.

जून 2023 में, मुख्तार के कथित सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ में एक अदालत कक्ष के अंदर तब गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब उन्हें अदालत में पेश किया जा रहा था. जीवा पर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का भी आरोप लगा था.

अपनी याचिका में मुख्तार के बेटे ने राज्य सरकार पर मेराज नामक एक व्यक्ति की हत्या को दबाने का भी आरोप लगाया, जो मकोका मामले में मुख्तार के साथ सह-आरोपी था. इस केस में दोनों को बरी कर दिया गया था. मई 2021 में चित्रकूट जेल के एक कैदी अंशु दीक्षित ने कथित तौर पर जेल के अंदर मुकीम काला और मेराज की तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी थी. आधिकारिक बयान के मुताबिक, उच्च सुरक्षा वाले बैरक में बंद दीक्षित को बाद में पुलिस ने गोली मार दी थी क्योंकि उसने कथित तौर पर पांच अन्य कैदियों को बंधक बना लिया था और उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी.

गौरतलब है कि जब समाजवादी पार्टी यूपी में सत्ता में थी, तब विपक्षी दल के रूप में भाजपा ने आरोप लगाया था कि पश्चिमी यूपी के कैराना में हिंदुओं को मुकीम काला के कथित गिरोह द्वरा डर और धमकी के कारण अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

2021 में मुकीम काला की मां ने उसके लिए सुरक्षा की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, तब काला सहारनपुर जेल में बंद था. उन्होंने आरोप लगाया था कि 2017 में एक कथित मुठभेड़ में उनके छोटे बेटे वसीम के मारे जाने के बाद पुलिस उनके द्वारा पुलिस के खिलाफ दायर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डालकर मुकीम को परेशान कर रही थी.

मार्च 2021 में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार की प्रतिक्रिया में उनके बेटे का कोई उत्पीड़न नहीं दिखाया गया, लेकिन सरकार को यह देखने का निर्देश दिया कि काला को कोई नुकसान न पहुंचे और जेल मैनुअल का पालन हो.

‘हत्याओं’ की राजनीति

अपनी याचिका में उमर अंसारी ने कहा, ‘पुलिस के भीतर विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन लोगों को याचिकाकर्ता के पिता की हत्या करने के लिए नियुक्त किया गया है, उन्हें पुलिस द्वारा किसी मामूली अपराध में गिरफ्तार किया जाएगा या अपराध में रिमांड पर लिया जाएगा, अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और फिर न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा. फिर उन्हें बांदा जेल ले जाया जाएगा जहां याचिकाकर्ता के पिता वर्तमान में बंद हैं. इसके बाद इन भाड़े के हत्यारों को जेल के अंदर हथियारों तक पहुंच प्रदान की जाएगी और सुरक्षा प्रणालियों में चूक और जेल अधिकारियों की मिलीभगत से एक अवसर प्रदान किया जाएगा. ऑपरेशन का मानक तरीका हमले को कैदियों के बीच लड़ाई का रंग देना है ताकि पूरी घटना को ‘गैंगवॉर’ का झूठा आवरण पहनाया जा सके.’

मुख्तार पर 60 से अधिक आपराधिक मामले हैं और भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन्हें छह मामलों में दोषी ठहराया गया है. इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या के लिए जून में वाराणसी अदालत द्वारा उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा और 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के सिलसिले में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता के अपहरण के लिए उन्हें 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)