कैश फॉर किडनी मामला: अपोलो अस्पताल के ख़िलाफ़ जांच के आदेश

एक अंतरराष्ट्रीय अख़बार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 'म्यांमार के युवा ग्रामीणों को दिल्ली के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में ले जाया जा रहा है और उनकी किडनी बर्मा के अमीरों को डोनेट करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं.'

/
(फोटो साभार: फेसबुक)

एक अंतरराष्ट्रीय अख़बार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ‘म्यांमार के युवा ग्रामीणों को दिल्ली के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में ले जाया जा रहा है और उनकी किडनी बर्मा के अमीरों को डोनेट करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं.’

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के खिलाफ पैसे लेकर किडनी बेचने (Cash for Kidney) के घोटाले के आरोपों की जांच शुरू कर दी है.

द हिंदू के मुताबिक, इस संबंध में जानकारी देते हुए मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीटीओ) तत्काल मामले की जांच शुरू करेगा.

जांच के आदेश ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ की रिपोर्ट सामने आने के बाद दिए गए हैं. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि यह निजी अस्पताल समूह एक ऐसे अवैध धंधे (रैकेट) में शामिल है जहां म्यांमार के लोगों को पैसों का लालच देकर अपने अंग बेचने का लोभ दिया जा रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया भर में केंद्र चलाने वाली अरबों डॉलर की यह  कंपनी दावा करती है कि वह प्रति वर्ष 1,200 से अधिक प्रत्यारोपण करती है, जहां ब्रिटेन समेत दुनियाभर से अमीर मरीज ऑपरेशन के लिए आते हैं.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ‘म्यांमार के युवा ग्रामीणों को दिल्ली के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में ले जाया जा रहा है और अपनी किडनी बर्मा के अमीरों को डोनेट करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं. ‘

इस बीच, इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईएमसीएल) ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने बयान में कहा है कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आईएमसीएल के खिलाफ लगाए गए आरोप बिल्कुल झूठे, गलत जानकारी वाले और भ्रामक हैं.

आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘संबंधित पत्रकार के साथ सभी तथ्य विस्तार से साझा किए गए हैं.’

बयान में कहा गया है कि आईएमसीएल प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के लिए हर कानूनी और नैतिक आवश्यकता का अनुपालन करता है. जिसमें सरकार द्वारा निर्धारित सभी दिशानिर्देशों के साथ-साथ हमारी स्वयं की व्यापक आंतरिक प्रक्रियाएं भी शामिल हैं.

इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि आईएमसीएल हर दानदाता से अपने देश के उपयुक्त मंत्रालय द्वारा नोटरीकृत फॉर्म 21 भी मांगता है.

बयान में कहा गया है, ‘यह फॉर्म विदेशी सरकार का प्रमाणीकरण होता है कि डोनर और प्राप्तकर्ता वास्तव में एक-दूसरे से संबंध रखते हैं. आईएमसीएल में सरकार द्वारा नियुक्त प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति इस प्रमाणीकरण सहित प्रत्येक मामले के दस्तावेजों की समीक्षा करती है और डोनर और प्राप्तकर्ता का साक्षात्कार लेती है. यह आगे उक्त देश के संबंधित दूतावास के साथ दस्तावेजों को फिर से सत्यापित करती है. रोगियों और डोनर्स को आनुवंशिक परीक्षण समेत कई मेडिकल परीक्षणों से गुजरना पड़ता है.’