संवेदनशील मामलों में बेंच बदले जाने को लेकर वरिष्ठ वकील के सीजेआई को पत्र समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को एक खुला पत्र लिखने हुए मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर सवाल उठाए हैं. द हिंदू के अनुसार, उन्होंने कहा है कि संवेदनशील मामलों सहित, कई केसों को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई करने वाली बेंचों से ‘हटाया’ जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के नियमों की स्पष्ट अवहेलना करते हुए अन्य बेंचों के समक्ष सूचीबद्ध किया जा रहा है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो मामले पहले से ही किसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध थे या उसके द्वारा नोटिस जारी किए गए थे, उन्हें अचानक दूसरी बेंच में भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि किसी बेंच के मुख्य जज के किसी और पीठ की अगुवाई करने पर कुछ मामलों को उनके पास रहने देने के बजाय सहयोगी न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया गया. ज्ञात हो कि सीजेआई मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं जो मामलों को बेंच को निर्दिष्ट करते हैं.

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर संबंधी दो विधेयक पारित हो गए और इस दौरान पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर विपक्ष ने वॉकआउट किया. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, शाह ने बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर बहस के दौरान  कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नेहरू की उनके कार्यकाल के दौरान की गई ‘दो गलतियों की वजह से कश्मीर में वर्षों तक पीड़ा झेली.’ पारित हुए दो बिल में से एक जम्‍मू-कश्‍मीर आरक्षण-संशोधन विधेयक है, के तहत अनुस‍ूचित जाति, जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को पेशेवर संस्‍थानों में नौकरी और एडमिशन में आरक्षण देने का प्रावधान है. दूसरा विधेयक जम्‍मू-कश्‍मीर पुर्नगठन विधेयक-2019 में संशोधन के बारे में है, जिसमें सूबे की विधानसभा सीटों की कुल संख्या को बदलने के ले 1950 के अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. नए विधेयक में सीटों की कुल संख्‍या बढ़ाकर 90 करते हुए अनुसूचित जातियों के लिए 7 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटें देने का प्रस्‍ताव है.

केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में जनसंख्या के आधार पर ओबीसी वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि ओबीसी को संविधान के अनुच्छेद 243 डी के तहत एक तिहाई आरक्षण दिया जाता है. हालांकि, 21 राज्य सरकारों ने आरक्षण को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. स्थानीय निकाय चुनावों में जनसंख्या के अनुसार ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग उठी है पर हमारे सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है. पाटिल ने कहा, इसी कोटे के तहत ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति को समायोजित करने का प्रावधान है. हालांकि, राज्य सरकारों को ओबीसी वर्गों को आरक्षण देने का अधिकार है.

सरकारी डेटा में सामने आया है कि साल 2019-21 के बीच 35,000 से अधिक छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2019 में छात्रों की आत्महत्या से मौत की 10,335 घटनाएं दर्ज की गईं, 2020 व 2021 में यह आंकड़ा क्रमशः 12,526 और 13,089 दर्ज किया गया.  देश में अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों द्वारा की गई आत्महत्याओं की संख्या पर लोकसभा में जनता दल (यू) के सदस्य आलोक कुमार सुमन के एक सवाल का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री अब्बैया नारायणस्वामी ने कहा कि इस बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है.

देश में पिछले पांच वर्षों में सीवर, सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान 443 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. रिपोर्ट के अनुसार, टीएमसी सांसद अपरूपा पोद्दार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया कि इस साल 20 नवंबर तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 49 मौतें दर्ज की गईं. सबसे ज़्यादा मौतें राजस्थान में हुईं, उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा. उन्होंने जोड़ा कि 2018 में जहां 76 मौतें हुईं, वहीं 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 मौतें दर्ज की गईं.