पिछले पांच वर्षों में सीएपीएफ के 46,000 कर्मियों ने समय-पूर्व सेवानिवृत्ति ली: केंद्र

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि 2019 और 2023 के बीच पांच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स के 46,930 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का विकल्प चुना. इनमें सबसे अधिक संख्या (21,860) बीएसएफ कर्मियों की थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@BSF_Kashmir)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि 2019 और 2023 के बीच पांच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स के 46,930 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का विकल्प चुना. इनमें सबसे अधिक संख्या (21,860) बीएसएफ कर्मियों की थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@BSF_Kashmir)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान छह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के 46,000 से अधिक कर्मियों ने समय से पहले सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का विकल्प चुना.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि इन बलों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामले साल-दर-साल अलग-अलग होते हैं और इस संबंध में कोई प्रवृत्ति नहीं देखी गई है.

राय ने कहा, ‘समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मियों में से अधिकतम- 21,000 से अधिक पुरुष और महिलाएं- सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से थे, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा करता है.’

मंत्री द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पांच सीएपीएफ और असम राइफल्स के 46,930 कर्मियों ने 2019 और 2023 के बीच स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) ली, जिसमें सबसे अधिक 21,860 बीएसएफ से थे.

बीएसएफ को अन्य आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों के अलावा मुख्य रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारतीय सीमाओं की रक्षा करने का काम सौंपा गया है, इसकी ताकत लगभग 2.65 लाख है.

इसके बाद देश के सबसे बड़े सीएपीएफ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 12,893 कर्मियों ने वीआरएस का विकल्प चुना.

लगभग 3.25 लाख कर्मियों के साथ सीआरपीएफ को नक्सल विरोधी अभियानों, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों और पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों के तीन मुख्य क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

इसी दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के 3,012, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 2,281 और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के 1,738 के अलावा असम राइफल्स के कुल 5,146 कर्मियों ने वीआरएस लिया.

असम राइफल्स भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा करती है, सीआईएसएफ को नागरिक हवाई अड्डों, परमाणु और एयरोस्पेस सुविधाओं जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने का काम सौंपा गया है, एसएसबी नेपाल और भूटान के साथ खुले भारतीय मोर्चों की देखभाल करती है और आईटीबीपी 3,488 किलोमीटर की चीन सीमा के वास्तविक नियंत्रण रेखा को संभालती है.

राय ने कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रमुख कारण- जैसा कि इन बलों ने संकेत दिया है, व्यक्तिगत और घरेलू कारण हैं, जिनमें बच्चों/पारिवारिक मुद्दे, स्वयं या परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, सामाजिक/पारिवारिक दायित्व और प्रतिबद्धताएं और बेहतर करिअर के अवसरों की तलाश शामिल है.

राय ने कहा कि सरकार इन संख्या को कम करने के लिए कई कदम उठाती है, जिसमें अत्यधिक कठिन और दुर्गम क्षेत्रों में तैनात इकाइयों को सामान्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करना और सेवानिवृत्ति के अंतिम दो वर्षों के दौरान कर्मियों को उनके गृह नगर के पास पोस्टिंग देना शामिल है.