नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी लोकसभा द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पारित करने के बाद आई, जिसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान किया गया है.
नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के विस्थापित निवासियों के लिए विधानसभा में सीट आरक्षित करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि यह फैसला निर्वाचित सरकार पर छोड़ देना चाहिए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल्ला की टिप्पणी लोकसभा द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पारित करने के बाद आई, जिसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान है.
अब्दुल्ला ने कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, ‘इससे पहले हम पीओके को वापस हासिल करने के बारे में सुनते थे. अब, क्या यह केवल आरक्षण पर ही रुक गया है? जहां तक आरक्षण का सवाल है, हमने 1947 से अपनी विधानसभा में पीओके के लिए सीट आरक्षित की हैं. उन्हें अपना काम करने दें, फिर सीट भरें.’
उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण के जरिये वह करने की कोशिश कर रही है जो वह चुनाव के जरिये नहीं कर सकती.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘वे आरक्षण के माध्यम से विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. हम आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, हम आरक्षण का समर्थन करते हैं. हमने पहले भी महिलाओं और अन्य लोगों को आरक्षण दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन सीटें आरक्षित करना निर्वाचित सरकार पर छोड़ दिया जाना चाहिए, न कि उन लोगों पर जो निर्वाचित हुए बिना भारत सरकार द्वारा नामित होकर आए हैं.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) को आरक्षित सीटें भरने का अधिकार देना पूरी तरह से गलत है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस टिप्पणी पर कि जो लोग छुट्टियों के लिए लंदन जाते हैं, उन्हें जम्मू-कश्मीर में बदलाव नहीं दिखता, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में बेहतरी के लिए कोई बदलाव नहीं देखा गया है.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में भाजपा कार्यालय के बाहर नाचने वाले कुछ लोगों के अलावा मैंने किसी को नहीं देखा है जिसे बदलाव दिखा हो, खासकर कोई सुधार. हम बदलाव देख रहे हैं लेकिन जो बदलाव हैं वह हमारी बर्बादी का है. इससे नुकसान हुआ है जम्मू-कश्मीर के लिए और कोई लाभ नहीं है.’
उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोगों को भी कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.
उन्होंने अपनी पार्टी और कांग्रेस के लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद चुनावों में जीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘शायद वे छुट्टियां मनाने के लिए लंदन भी जाते हैं, क्योंकि करगिल के लोगों ने हाल ही में यह साबित कर दिया है कि उन्हें कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘लेह के लोग भी गुस्से में हैं.’
बाद में केंद्रीय मंत्री द्वारा 2026 तक जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने की उम्मीद जताने के बारे में बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम लंबे समय से ऐसे बयान सुन रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी हम एलजी से सुनते हैं, कभी-कभी पुलिस महानिदेशक से. लेकिन अभी तक आतंकवाद का अंत होता नहीं दिख रहा है. हमें याद है कि राजौरी में क्या हुआ था.’
उन्होंने कहा, ‘उससे पहले कोकेरनाग में जो मुठभेड़ हुई थी, उसमें सेना के तीन जवान और एक पुलिस अधिकारी मारे गए थे. नागरिकों की लक्षित हत्याएं हो रही हैं. ऐसा नहीं लगता (कि उग्रवाद खत्म हो रहा है).’
उन्होंने कहा, ‘बलों के बाद अगर किसी को निशाना बनाया गया है, तो वह हम हैं, नेशनल कॉन्फ्रेंस. हम निश्चित रूप से चाहेंगे कि अमित शाह के शब्द सच हों और बंदूक (हिंसा) बंद हो. लेकिन ऐसा नहीं लगता है.’