खालिस्तान अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के मामले में अमेरिकी अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता और भारत सरकार के कर्मचारी को आरोपी बताया है.
नई दिल्ली: भारत सरकार के एक अधिकारी के आदेश पर एक सिख अमेरिकी की हत्या की साजिश रचने के लिए अमेरिका में संघीय अभियोजकों द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता ने अमेरिका में अपने प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाले प्राग अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की है.
इस संबंध में बुधवार को चेक न्यायिक अधिकारियों ने द वायर को जानकारी दी है.
29 नवंबर को अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने ऐलान किया था कि उन्होंने न्यूयॉर्क में एक सिख कार्यकर्ता की हत्या की विफल साजिश में ‘पैसों के लिए हत्या’ और ‘साजिश’ रचने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि इसके पीछे एक अनाम मगर ‘पहचाना जा चुका भारत सरकार का कर्मचारी था’, जिसने गुप्ता को एक ‘हत्यारे’ (हिटमैन) को भाड़े पे रखने की ज़िम्मेदारी दी थी. जिस व्यक्ति को गुप्ता ने ‘हिटमैन’ समझकर काम पर रखा था, वह वास्तव में एक अमेरिका का सीक्रेट कानून प्रवर्तन अधिकारी था.
अदालती दस्तावेजों में भी लक्ष्य का नाम नहीं बताया गया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में उसकी पहचान गुरपतवंत सिंह पन्नू के रूप में की गई, जो भारत में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस के जनरल काउंसलर थे. पन्नू एक अमेरिकी नागरिक हैं, जिनके पास कनाडाई नागरिकता भी है.
गुप्ता को अमेरिकी अधिकारियों के अनुरोध पर प्राग में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब 30 जून 2023 को भारत से वहां पहुंचे थे. चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर सेप्का ने द वायर को बताया कि प्राग की म्युनिसिपल अदालत ने अमेरिका के प्रत्यर्पण आदेश की स्वीकार्यता पर 23 नवंबर को एक आदेश जारी किया था. ‘हालांकि, अदालत का निर्णय अभी तक कानूनी रूप से लागू नहीं हुआ है.’
आदेश को लागू करने में देरी का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘गुप्ता ने प्रत्यर्पण की स्वीकार्यता पर प्राग में म्युनिसिपल अदालत के फैसले के खिलाफ शिकायत दर्ज की है.’
द वायर गुप्ता के वकील से संपर्क नहीं कर सका.
मैनहट्टन अभियोग में यह भी कहा गया है कि गुप्ता के साथ कथित तौर पर साजिश में शामिल व्यक्ति – भारत सरकार का अज्ञात अधिकारी – जून में एक कनाडाई सिख अलगाववाद हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल था.
जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर माह में भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था तो भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और 41 कनाडाई राजनयिकों वापस बुला लिया था और कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया, जो हाल ही में फिर शुरू हो हुई हैं.
अमेरिकी अभियोजकों के अनुसार, ड्रग्स और हथियारों के तस्कर के रूप में नामजद गुप्ता को इस साल मई में अज्ञात भारतीय सरकारी अधिकारी (सीसी-1) द्वारा काम पर लगाया गया था. गुप्ता को कथित तौर पर इसके एवज में गुजरात में उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले को खत्म करने का आश्वासन दिया गया था.
सीसी-1 के कहने पर गुप्ता ने एक ‘आपराधिक सहयोगी’ से संपर्क किया जो वास्तव में अमेरिकी ड्रग प्रवर्तन एजेंसी का मुखबिर था. आरोपों के अनुसार ‘सहयोगी’ ने उसे एक ‘हिटमैन’ मिलवाया, जो डीईए और फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआई) द्वारा नियुक्त एक गुप्त अधिकारी था.
अभियोग में कहा गया है कि गुप्ता ने 30 जून को भारत से चेक गणराज्य की यात्रा की थी. इसमें कहा गया है, ‘वहां पहुंचने पर गुप्ता को पीड़ित की हत्या की साजिश में उनकी भागीदारी के संबंध में अमेरिका के अनुरोध पर चेक कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था.’ 15 पन्नों के दस्तावेज़ में गुप्ता के चेक गणराज्य में रहने के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है.
गुप्ता के विरुद्ध कार्यवाही
चेक न्याय मंत्रालय के अनुसार, गुप्ता को ‘अमेरिका के सक्षम प्राधिकारी के अनुरोध पर अस्थायी हिरासत में’ लिया गया था.
इसके बाद अगस्त 2023 में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया गया था. प्रवक्ता ने कहा, ‘भाड़े पर हत्या की साजिश रचने के अपराध के लिए गुप्ता के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया था.’
इसके बाद अनुरोध राज्य अभियोजक को भेज दिया गया था, जिसने फिर मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की.
द वायर के सवालों के जवाब में प्राग के म्युनिसिपल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर कार्यालय के प्रवक्ता एलेश सिंबला ने पुष्टि की कि आपराधिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग अधिनियम के अनुसार, एक ‘प्रारंभिक जांच’ की गई थी.
उन्होंने कहा, ‘प्रारंभिक जांच’ का उद्देश्य अपराध या निर्दोष होने के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए तथ्यों की जांच और मूल्यांकन करना नहीं है, बल्कि केवल यह सत्यापित करना है कि क्या मामले में कोई कानूनी बाधाएं हैं जो किसी व्यक्ति के विदेशी सरकार को प्रत्यर्पित करने में बाधा बनेंगी.’
सिंबला ने द वायर द्वारा भेजे गए लिखित प्रश्नों का जवाब दिया था, जिनका द वायर ने अंग्रेजी में मशीनी अनुवाद किया है. सिंबला ने कहा है कि ‘प्रारंभिक जांच के बाद कानून के मुताबिक 4 अक्टूबर 2023 को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने प्राग में म्युनिसिपल अदालत में प्रत्यर्पण को स्वीकार्य घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया.’
अभियोजक की याचिका दायर होने के सात सप्ताह बाद म्युनिसिपल अदालत का फैसला आया. उन्होंने कहा, ‘अदालत ने 23 नवंबर 2023 को खुली अदालत में आवेदन पर फैसला सुनाया.’
प्राग अदालत के आदेश के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद अमेरिकी अभियोजकों ने न्यूयॉर्क में एक नया विस्तृत और बिना सीलबंद अभियोग दायर किया जिसमें घोषणा की गई कि निखिल गुप्ता को चेक अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया है. अभियोग दायर होने से कुछ घंटे पहले भारत ने घोषणा की कि एक उच्च स्तरीय जांच समिति 18 नवंबर से अमेरिका द्वारा दी गई जानकारी की जांच कर रही है.
प्रत्यर्पण प्रक्रिया के उच्च न्यायालय में जाने पर सिंबला ने कहा, ‘यदि प्रत्यर्पण की स्वीकार्यता पर अदालत का निर्णय लागू होता है तो अदालत के पीठासीन न्यायाधीश मामले को न्याय मंत्रालय को भेज देंगे, क्योंकि न्याय मंत्री के पास अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग को लागू करने संबंधी शक्तियां हैं.’
न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि आम तौर पर मंत्री अदालत के आदेश से बंधे हैं.
इस बीच, गुजरात पुलिस ने गुप्ता के खिलाफ राज्य में कोई मामला दर्ज होने की जानकारी से इनकार किया है. इसी तरह, ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार की नारकोटिक्स ट्रैफिकर्स रजिस्ट्री में भी उसका कोई उल्लेख नहीं है.
पन्नू हत्या की साजिश की खबरें पहली बार तब सामने आईं जब फाइनेंशियल टाइम्स ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अमेरिकी जांचकर्ताओं ने एक सिख-अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश को विफल कर दिया था और भारत के समक्ष चिंता व्यक्त की थी कि इस कार्य में उसकी सरकार की भागीदारी है. उस समय अखबार ने बताया था कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्यों साजिश को रद्द क्यों कर दिया गया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)