अडानी के ख़िलाफ़ अभियान चलाने के चलते महुआ मोइत्रा को निशाना बनाया गया: विपक्ष

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर लगाए गए 'कैश फॉर क्वेरी' के आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर उन्हें सदन से निष्काषित कर दिया गया है, जिसकी 'इंडिया' गठबंधन के नेताओं ने एक स्वर में आलोचना की है.

शुक्रवार को संसद के बाहर विपक्षी नेताओं के साथ महुआ मोइत्रा. (वीडियोग्रैब साभार: फेसबुक/@MahuaMoitraOfficial)

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर लगाए गए ‘कैश फॉर क्वेरी’ के आरोपों को लेकर लोकसभा की एथिक्स कमेटी की सिफ़ारिश पर उन्हें सदन से निष्काषित कर दिया गया है, जिसकी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने एक स्वर में आलोचना की है.

शुक्रवार को संसद के बाहर विपक्षी नेताओं के साथ महुआ मोइत्रा. (वीडियोग्रैब साभार: फेसबुक/@MahuaMoitraOfficial)

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा के निष्कासन ने ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने एक स्वर में आलोचना की है. विपक्षी नेताओं ने उद्योगपति गौतम अदानी के खिलाफ महुआ के निरंतर अभियान के कारण सरकार पर उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाया है.

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, जिनकी कांग्रेस के खिलाफ हालिया टिप्पणी ने कई लोगों को ‘इंडिया’ गठबंधन के भविष्य को लेकर आशंकित कर दिया था, मोइत्रा के समर्थन में आवाज उठाने वाले सबसे पहले लोगों में से एक रहे.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘सत्ताधारी दल विपक्ष के लोगों की सदस्यता लेने के लिए किसी सलाहकार को रख ले, जिससे मंत्रीगण व सत्ता पक्ष के सासंदों और विधायकों का समय षड्यंत्रकारियों गतिविधियों में न लगकर लोकहित के कार्यों में लगे.’

द हिंदू के मुताबिक, कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा गौतम अडानी की आलोचना करने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करती है और खासकर तब जब वह व्यक्ति एक मजबूत महिला हो.

एथिक्स पैनल की रिपोर्ट में विरोधाभासों की ओर इशारा करते हुए श्रीनेत ने तर्क दिया, ‘पहली पंक्ति में एथिक्स कमेटी कहती है कि मोइत्रा दोषी हैं और उन्हें निष्कासित किया जाना चाहिए और अगली ही पंक्ति में इसका कहना है कि केंद्रीय जांच निकायों को आगे की जांच करनी चाहिए. अगर कमेटी उनके अपराध के प्रति आश्वस्त थी, तो उन्हें आगे की जांच की क्या जरूरत थी?’

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इसी तरह की खामी की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘जिसने आरोप लगाया वह दुबई में बैठा है और उससे व्यक्तिगत रूप से बात किए बिना उसके लिखित हलफनामे पर फैसला सुनाया गया है. यह न्याय की स्वाभाविक प्रक्रिया को कमज़ोर करता है.’

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला बताया. उन्होंने कहा, ‘न्याय की कुछ पूर्वापेक्षाएं होती हैं और संचालन का तरीका होता है. कम से कम आप उन्हें सुनते तो.’

उन्होंने कहा, ‘आपने आज ये संदेश दे दिया है कि गांधी के हत्यारे गोडसे को देशभक्त बताने वाला संसद में बैठेगा, अल्पसंख्यकों के खिलाफ गाली और अपशब्द इस्तेमाल करने वाले संसद में बैठेंगे, महिला पहलवानों की शिकायतें जिनके वर्णन में मैं नहीं जाना चाहता वो संसद में बैठेंगे, लेकिन महुआ मोइत्रा नहीं बैठेंगी. उनका दोष बस ये है कि एक बड़े महापुरुष पर सवाल पूछने की उन्होंने कोशिश की.’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि यह मामला भाजपा की प्रतिशोधी प्रवृत्ति को दर्शाता है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘उन्होंने एथिक्स कमेटी (नैतिकता समिति) की सारी नैतिकता लूट ली. निजी मामले निजी होते हैं. उन्हें राजनीतिक मामलों में घसीटना अनैतिक है. भाजपा सत्तावादी है.’

झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद मोहुआ मांझी ने फैसले को अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि समिति मोइत्रा के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश करने में सक्षम नहीं थी.