पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के एक आरोपी मोहन नायक एन. इस मामले में ज़मानत पाने वाले पहले आरोपी हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट ने जिन आधारों पर नायक को जमानत दी उनमें से एक मुक़दमे में देरी का था.
नई दिल्ली: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में 11वें नंबर के आरोपी मोहन नायक एन. को कर्नाटक हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है.
एनडीटीवी के मुताबिक नायक पर आरोप था कि ‘उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर मृतक गौरी लंकेश की हत्या की साजिश रची थी और इस साजिश को अंजाम देने के लिए उसने रामनगर में एक सुनसान जगह पर किराए का घर लिया था और उक्त मकान में आरोपी नंबर 2 और 3, जो वर्तमान मामले में वास्तविक हमलावर हैं, को आश्रय दिया था.’
वह इस मामले में जमानत पाने वाले पहले आरोपी हैं. जमानत जस्टिस एस. विश्वजीत शेट्टी की एकल न्यायाधीश पीठ ने दी. जिन आधारों पर नायक को जमानत दी गई उनमें से एक मुकदमे में देरी का था.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘वर्तमान मामले में आरोपपत्र के 527 गवाहों में से केवल 90 गवाहों से ही पूछताछ की गई है. इस अदालत ने 11 फरवरी 2019 को ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया था. हालांकि, वर्तमान मामले में 30 अक्टूबर 2021 को आरोप तय किए गए थे लेकिन पिछले दो वर्षों से अधिक समय में केवल 90 गवाहों से पूछताछ की गई है. 400 से अधिक गवाह हैं जिनसे मामले में पूछताछ की जानी बाकी है.’
फैसले में आगे कहा गया है, ‘भले ही यह मान लिया जाए कि आरोप पत्र में उल्लिखित सभी गवाहों से मामले में पूछताछ नहीं की जा सकती है, तब भी इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पिछले दो वर्षों से अधिक समय में केवल 90 गवाहों से पूछताछ की गई है, यह माना जा सकता है कि मामले की सुनवाई जल्द पूरी नहीं हो सकती.’
नायक 18 जुलाई 2018 से हिरासत में थे.
सुनवाई में देरी पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से हिरासत में है. हालांकि सीओसीए की धारा 22(4) उन आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के मामले में कुछ कठोरता प्रदान करती है जिनके खिलाफ सीओसीए के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन यह मुकदमे में अनुचित देरी होने पर आरोपी को जमानत पर रिहा करने की इस अदालत की शक्तियों को बाधित नहीं कर सकता है और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि ट्रायल जल्द ही पूरा नहीं हो सकता है.’
जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि मुकदमे में देरी के लिए आरोपी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है.
नायक पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 120बी, 118, 203, 35; भारतीय शस्त्र अधिनियम-1959 की धारा 25(1) और 27(1); और कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम-2000 (सीओसीए) की धारा 3(1)(i), 3(2), 3(3) और 3(4) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
हाईकोर्ट के समक्ष उनकी पिछली जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
वर्तमान याचिका में नायक के वकील ने तर्क दिया था कि ‘अपराध में याचिकाकर्ता की भूमिका के बारे में बात करने वाले आरोपपत्र के 23 गवाहों में से आज तक ट्रायल कोर्ट के समक्ष केवल एक गवाह से पूछताछ की गई है. अन्य 22 गवाहों से अब तक पूछताछ की जानी बाकी है.’
बता दें कि गौरी की 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु में उनके आवास के बाहर बाइक सवारों ने हत्या कर दी थी. पुलिस ने मामले के सिलसिले में कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया और दावा किया कि गौरी की हत्या कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी और महाराष्ट्र में गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से जुड़ी थी.