महुआ मोइत्रा के निष्कासन का विरोध करने के बाद बसपा ने सांसद दानिश अली को पार्टी से निकाला

बसपा ने लोकसभा सांसद दानिश अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए निलंबित किया है. अली ने कहा कि उन्होंने किसी प्रकार का पार्टी विरोधी काम नहीं किया. चंद पूंजीपतियों द्वारा जनता की संपत्तियों की लूट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, यदि ऐसा करना जुर्म है, तो वे इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हैं.

बसपा सांसद दानिश अली. (फोटो साभार: फेसबुक)

बसपा ने लोकसभा सांसद दानिश अली को पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए निलंबित किया है. अली ने कहा कि उन्होंने किसी प्रकार का पार्टी विरोधी काम नहीं किया. चंद पूंजीपतियों द्वारा जनता की संपत्तियों की लूट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, यदि ऐसा करना जुर्म है, तो वे इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हैं.

बसपा सांसद दानिश अली. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने लोकसभा सांसद दानिश अली को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में शामिल होने का आरोप लगाकर पार्टी से निलंबित कर दिया है.

उनके निलंबन का विस्तृत कारण अभी भी सामने नहीं आया है.

यह कदम संसदीय आचार समिति (एथिक्स कमेटी) की सिफारिशों के बाद संसद से निष्कासित की गईं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा को दानिश अली द्वारा अपना समर्थन देने के ठीक एक दिन बाद उठाया गया है.

एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए बसपा ने कहा, ‘आपको अनेकों बार मौखिक रूप से कहा गया कि आप पार्टी की नीतियों, विचारधारा एवं अनुशासन के विरुद्ध जाकर कोई बयानबाजी व कृत्य आदि न करें, परंतु इसके बाद भी आप लगातार पार्टी के विरुद्ध जाकर कृत्य/कार्य करते आ रहे हैं.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘2018 तक आप एचडी देवगौड़ा के जनता दल (सेकुलर) के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे थे. उस समय, बसपा और जेडीएस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था. कर्नाटक चुनाव के बाद देवगौड़ा के अनुरोध पर आपको अमरोहा से बसपा प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया गया था.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘टिकट दिए जाने के पूर्व देवगौड़ा जी ने यह आश्वासन दिया था कि आप बहुजन समाज पार्टी की सभी नीतियों व निर्देशों का सदैव पालन करेंगे और पार्टी के हित में ही कार्य करेंगे. इस आश्वासन को आपने भी उनके समक्ष दोहराया था.’

बसपा की ओर से जारी बयान में आगे दर्ज है, ‘आप अपने दिए आश्वासनों को भूल कर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. अत: अब पार्टी के हित में आपको बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.’

शुक्रवार (8 दिसंबर) के अली ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ संसद के बाहर अकेले विरोध प्रदर्शन किया था. उन्होंने अपने गले में एक तख्ती टांग रखी थी, जिस पर लिखा था, ‘पीड़ित को अपराधी मत बनाओ.’

अली ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था, ‘मैंने यह (पोस्टर) इसलिए लगाया है क्योंकि समिति ने अपनी सिफारिश में मेरा भी जिक्र किया है… क्योंकि मैं उन्हें न्याय दिलाना चाहता हूं. उन्हें मौका नहीं दिया गया…’

अली ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा था, ‘एक तरफ, पूरी दुनिया ने देखा कि रमेश बिधूड़ी (भाजपा के लोकसभा सांसद) ने कैसा बर्ताव किया… क्या तब संसद में सम्मान या मर्यादा की कोई भावना नहीं थी? अब क्यों? यह क्या है?’

शनिवार को उनके निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए अली ने बसपा सुप्रीमो मायावती के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

उन्होंने कहा, ‘मैं बहन मायावती जी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूंगा कि उन्होंने मुझे बसपा का टिकट देकर लोकसभा का सदस्य बनने में मदद की. बहन जी ने मुझे बसपा संसदीय दल का नेता भी बनाया. मुझे सदैव उनका असीम स्नेह और समर्थन मिला. उनका आज का फ़ैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने अपनी पूरी मेहनत और लगन से बसपा को मज़बूत करने का प्रयास किया है और कभी भी किसी प्रकार का पार्टी विरोधी काम नहीं किया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस बात की गवाह मेरे अमरोहा क्षेत्र की जनता है. मैंने भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध ज़रूर किया है और करता रहूंगा. चंद पूंजीपतियों द्वारा जनता की संपत्तियों की लूट के ख़िलाफ़ भी मैंने आवाज़ उठाई है और उठाता रहूंगा, क्योंकि यही सच्ची जन सेवा है. यदि ऐसा करना जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है, और मैं इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हूं. मैं अमरोहा की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपकी सेवा में हमेशा हाज़िर रहूंगा.’

इस बीच, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अली के निलंबन पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लखनऊ में कहा, ‘पत्र (अली निलंबन पत्र) तब प्रसारित हुआ जब मैं इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए रास्ते में था. क्या ऐसा हो सकता है कि उन्होंने (बसपा ने) सोचा हो कि वह (अली) सपा में जा रहे हैं.’

अली बीते दिनों तब खबरों में आए थे जब दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद बिधूड़ी ने लोकसभा में बेहद अभद्र भाषा में अली को अपशब्द कहे थे. अली ने कार्रवाई के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी संपर्क किया था.