चार साल के स्वैच्छिक निर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि उन्हें उस समय पाकिस्तान की सेना का नेतृत्व करने वाले (दिवंगत) जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने सत्ता से बाहर कर दिया था, क्योंकि उन्होंने करगिल युद्ध का विरोध करने के साथ भारत और अन्य प्रमुख पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखने का सुझाव दिया था.
नई दिल्ली: चार साल के स्वैच्छिक निर्वासन से पाकिस्तान लौटने के एक महीने से अधिक समय बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि (दिवंगत) जनरल परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में भारत के खिलाफ योजनाबद्ध करगिल युद्ध का विरोध करने के कारण उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था.
बीते शनिवार (9 दिसंबर) को पाकिस्तान के तीन बार के प्रधानमंत्री रहे शरीफ ने सवाल किया कि उन्हें समय से पहले प्रधानमंत्री के पद से क्यों हटा दिया गया था.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया जाना चाहिए कि 1993 और 1999 में मुझे सत्ता से क्यों बेदखल कर दिया गया था, जब मैंने करगिल योजना का विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए तो मुझे (जनरल परवेज़ मुशर्रफ द्वारा) बाहर कर दिया गया था और बाद में मैंने जो कहा वह सही साबित हुआ था.’
भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 में तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के करगिल में संघर्ष की शुरुआत हुई थी. उस समय पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कुछ आतंकी जम्मू कश्मीर में दाखिल हो गए थे. लगभग तीन महीने बाद जुलाई 1999 में दोनों देशों के बीच युद्ध खत्म हो सका था.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का नेतृत्व करने वाले शरीफ आगामी चुनावों के लिए अपनी पार्टी के टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने देश के प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार काम किया और फिर भी उन्हें नहीं पता कि उन्हें पद से क्यों हटा दिया गया.
उन्होंने पूछा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि मुझे हर बार क्यों (सत्ता से) बाहर कर दिया गया.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान दो भारतीय प्रधानमंत्रियों ने पाकिस्तान का दौरा किया. (नरेंद्र) मोदी साहब और (अटल बिहारी) वाजपेयी साहब लाहौर आए थे.’
रिपोर्ट्स में शरीफ के हवाले से कहा गया है, ‘हमें भारत, अफगानिस्तान और ईरान के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने होंगे. हमें चीन के साथ और अधिक मजबूत संबंध बनाने की जरूरत है.’
पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था पर अफसोस जताते हुए उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान खान पर हमला बोलते हुए कहा, ‘इमरान खान की सरकार (2008-2022) के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई.’
जेल में बंद इमरान खान पर निशाना साधते हुए शरीफ ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि एक अनुभवहीन व्यक्ति को देश की बागडोर क्यों सौंपी गई थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शरीफ ने 2017 में उनकी सरकार गिराकर पाकिस्तान को बर्बाद करने के लिए पूर्व सैन्य जनरलों और न्यायाधीशों की जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, ‘जो लोग इस देश को इस स्तर पर लाए, उन्हें जवाबदेह बनाया जाना चाहिए, क्योंकि देशभक्त लोग अपने देश के साथ ऐसा नहीं कर सकते. अपने देश के साथ ऐसा मत करो. हम लग्जरी कारों में घूमने के लिए सत्ता में नहीं आना चाहते, बल्कि हम उन लोगों की जवाबदेही चाहते हैं, जिन्होंने इस देश को बर्बाद किया और हमारे खिलाफ झूठे मामले बनाए.’
वर्ष 2006 में जनरल मुशर्रफ ने अपनी किताब ‘इन द लाइन ऑफ फायर: अ मेमॉयर’ में करगिल पर शरीफ के साथ इस असहमति का जिक्र करते हुए कहा था, ‘करगिल प्रकरण ने (दोनों के बीच) सबसे बड़ा विभाजन पैदा किया. हम दोनों कश्मीर को राजनीतिक और सैन्य रूप से दुनिया के रडार पर मजबूती से रखना चाहते थे. हालांकि, जब बाहरी राजनीतिक दबाव ने शरीफ को युद्धविराम के लिए सहमत होने के लिए मजबूर किया, तो वह टूट गए. राष्ट्रीय एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल करने के बजाय, उन्होंने (शरीफ ने) सेना को दोषी ठहराया और खुद को पाक साफ दिखाने की कोशिश की.’
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