पिछले पांच वर्षों में ड्यूटी के दौरान 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई: रेल मंत्रालय

रेल मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 44 मौतें मध्य रेलवे में हुईं, इसके बाद उत्तर रेलवे में 40 और उत्तर मध्य रेलवे में 31 मौतें हुई हैं. कम आवाज़, तेज़ गति और पटरियों पर मोड़ के कारण ट्रैक मेन और अन्य कर्मचारी विशेष रूप से तेज़ रफ़्तार ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/N.E. Railway)

रेल मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 44 मौतें मध्य रेलवे में हुईं, इसके बाद उत्तर रेलवे में 40 और उत्तर मध्य रेलवे में 31 मौतें हुई हैं. कम आवाज़, तेज़ गति और पटरियों पर मोड़ के कारण ट्रैक मेन और अन्य कर्मचारी विशेष रूप से तेज़ रफ़्तार ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/N.E. Railway)

नई दिल्ली: रेल मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में रेलवे ट्रैक पर रखरखाव के काम के दौरान हुईं दुर्घटनाओं में 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 44 मौतें मध्य रेलवे में हुईं, इसके बाद उत्तर रेलवे में 40 मौतें और उत्तर मध्य रेलवे में 31 मौतें हुईं. पूर्व मध्य रेलवे में 30 मौतें दर्ज की गईं. इसके बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और उत्तर पश्चिम रेलवे में 24-24 मौतें तथा दक्षिणी रेलवे ने 20 मौतें दर्ज की हैं.

पश्चिम मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे और पूर्वी तट रेलवे प्रत्येक में 19 मौतें हुई हैं. इसके अलावा पूर्वी रेलवे में 23, दक्षिण मध्य रेलवे में 18, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 16, दक्षिण पूर्व रेलवे में 15, उत्तर पूर्व रेलवे में 13, दक्षिण पश्चिम रेलवे में 6 मौतें दर्ज की गई हैं.

कम आवाज, तेज गति और पटरियों पर मोड़ के कारण ट्रैक मेन और चाभी वाले लोग विशेष रूप से तेज रफ्तार ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं.

भारतीय रेलवे ने ट्रैक मेंटेनर्स के लिए बहुत हाई फ्रिक्वेंसी (वीएचएफ) आधारित अप्रोचिंग ट्रेन वार्निंग सिस्टम (RAKSHAK/रक्षक) के प्रावधान के लिए 12 जोनल रेलवे के लिए 91.61 करोड़ रुपये तक की मंजूरी दी है.

रक्षक एक वॉकी टॉकी जैसा उपकरण है, जो ट्रैक पर मौजूद कर्मचारियों को आने वाली ट्रेनों के बारे में पहले से सचेत कर सकता है.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रक्षक प्रणाली पहाड़ी इलाकों, सुरंगों और तीखे मोड़ों पर प्रभावी नहीं है. रक्षक प्रणाली की उपरोक्त सीमाओं को ध्यान में रखते हुए इसे अभी तक भारतीय रेलवे के 55 डिवीजनों पर उपलब्ध नहीं कराया गया है.’

वैष्णव ने कहा कि कार्यस्थल पर कार्यरत कर्मचारियों को आने वाली ट्रेन के बारे में चेतावनी देने के लिए सभी टीमों को रिमोट कंट्रोल हूटर और सीटी उपलब्ध कराई गई है. साथ ही जहां आवश्यक हो, वहां आने वाली ट्रेन पर नजर रखने के लिए निगरानी कर्मियों को भी तैनात किया जाता है.