केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि पंजाब, हरियाणा, एनसीआर-उत्तर प्रदेश, एनसीआर-राजस्थान और दिल्ली में 15 सितंबर से 29 अक्टूबर की अवधि के दौरान 2022 की पराली जलाने की 13,964 घटनाओं की संख्या से कम होकर 2023 में 6,391 हो गई. 2021 में इन क्षेत्रों में इस अवधि में कुल मिलाकर पराली जलाने की 11,461 घटनाएं हुई थीं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि हाल के 45 दिवसीय धान की कटाई के मौसम के दौरान इसकी खेती प्रमुखता से करने वाले राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 54.2 प्रतिशत की कमी आई है.
धान की पराली जलाना गेहूं की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए धान की कटाई के बाद बचे हुए पौधों के अवशेषों को जलाने की प्रथा है. केंद्र सरकार के आंकड़ों का अनुमान है कि वायु प्रदूषण स्तर का 38 प्रतिशत योगदान पराली जलाने से होता है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा मंगलवार (12 दिसंबर) को संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, एनसीआर-उत्तर प्रदेश, एनसीआर-राजस्थान और दिल्ली में 15 सितंबर से 29 अक्टूबर की अवधि के दौरान पराली जलाने की घटनाओं की संख्या 13,964 (2022 में) से कम होकर 6,391 (2023 में) हो गई. 2021 में इन क्षेत्रों में इसी अवधि में पराली जलाने की कुल मिलाकर 11,461 घटनाएं हुई थीं.
पंजाब और हरियाणा में 2022 में क्रमश: 12,112 और 1,813 घटनाएं दर्ज की गईं. इस वर्ष 15 सितंबर से 29 अक्टूबर की अवधि में ये आंकड़े घटकर 5,254 और 1,094 हो गए.
कृषि मंत्री ने सदन को बताया कि आग पर नजर रखने के लिए एक उपग्रह रिमोट सेंसिंग प्रणाली मौजूद है. इस प्रणाली को कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस लैबोरेटरी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है.
10 जून, 2021 को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग वैधानिक निर्देशों के माध्यम से फसल अवशेष जलाने पर नियंत्रण/उन्मूलन के लिए एक रूपरेखा लेकर आया, जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को राज्य-विशिष्ट कार्रवाई योग्य योजनाएं विकसित करने का आदेश दिया गया.
मंत्री ने कहा कि योजनाओं में धान के पुआल के प्रबंधन का उचित कार्यान्वयन, प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन और पराली जलाने पर रोक शामिल है.
इस बीच मंगलवार को सुबह 7 बजे दर्ज किए गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 326 के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही.
वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक, 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 तथा 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 तथा 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.
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