संसद की सुरक्षा पर बनी समिति 5 साल से भंग, विपक्षी सांसदों ने बार-बार चिंता जताने की बात कही

संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मद्देनज़र विपक्षी सांसदों ने कहा है कि उनके अनुरोध के बावजूद 17वीं लोकसभा के दौरान संसद परिसर में सुरक्षा पर संयुक्त संसदीय समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया था. साथ ही, उन्होंने कहा है कि संसद की सुरक्षा में निजी सुरक्षा गार्डों की बढ़ती उपस्थिति के ख़िलाफ़ भी वह शिकायत करते रहे हैं.

संसद परिसर में तैनात सुरक्षा बल. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मद्देनज़र विपक्षी सांसदों ने कहा है कि उनके अनुरोध के बावजूद 17वीं लोकसभा के दौरान संसद परिसर में सुरक्षा पर संयुक्त संसदीय समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया था. साथ ही, उन्होंने कहा है कि संसद की सुरक्षा में निजी सुरक्षा गार्डों की बढ़ती उपस्थिति के ख़िलाफ़ भी वह शिकायत करते रहे हैं.

संसद की सुरक्षा में हुई चूक के बाद का एक दृश्य. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: बीते सितंबर माह में महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए विशेष सत्र बुलाए जाने के साथ ही नए संसद भवन से कामकाज शुरू हुआ था, तब से ही कई विपक्षी सदस्य नए संसद भवन की सुरक्षी व्यवस्था पर चिंता जताते रहे हैं.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर विशेष सत्र के दौरान दर्शक दीर्घा से हुई राजनीतिक नारेबाजी की घटनाओं की गहन जांच की मांग की थी.

बुधवार को हुई सुरक्षा में चूक के मद्देनजर विपक्षी सांसदों ने कहा है कि उनके अनुरोध के बावजूद 17वीं लोकसभा के दौरान संसद परिसर में सुरक्षा पर संयुक्त संसदीय समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया था.

द हिंदू की रिपोर्ट बताती है कि सांसद दर्शक दीर्घा के पास प्रदान करने में कथित ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह’ और संसद परिसर में संसद तथा अन्य केंद्रीय पुलिस बलों के समर्पित सुरक्षा कर्मचारियों की जगह निजी सुरक्षा गार्डों की बढ़ती उपस्थिति के खिलाफ भी शिकायत करते रहे हैं.

16वीं लोकसभा के दौरान संयुक्त समिति के सदस्य रहे तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने कहा, ‘अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समिति का नेतृत्व करती थीं. मुझे नहीं पता कि यह समिति अब काम कर रही है या नहीं.’

डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, जो पुरानी समिति के सदस्य थे, ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा सभापति को समिति का गठन नहीं होने के बारे में अवगत कराया था.

उन्होंने कहा, ‘समिति लोकसभा अध्यक्ष के अधीन कार्य करती है. यदि यह क्रियाशील होती, तो हम निजी सुरक्षाकर्मियों की उपस्थिति और संसदीय सुरक्षा में उनकी भूमिका को उठाते. समिति का तुरंत पुनर्गठन किया जाना चाहिए और बुधवार की सुरक्षा चूक जैसे मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए.’

उन्होंने साथ ही कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर संसद में बयान देने के लिए भी तैयार नहीं है. शिवा ने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है.’ सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए विपक्ष ने बुधवार दोपहर राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया था.

नई संसद में आगंतुकों के लिए पांच स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है. रेल भवन के पास रिसेप्शन के माध्यम से प्रवेश प्रतिबंधित है. रिसेप्शन पर पहुंचने से पहले, रेल भवन के पास रायसीना रोड़ पर सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा आगंतुकों की जांच की जाती है. रिसेप्शन में प्रवेश करने से पहले आगंतुकों के सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, वॉलेट और बैग को एक क्लॉक रूम में जमा करना होता है.

रिसेप्शन पर सिक्योरिटी द्वारा आगंतुकों की जांच की जाती है और पास को फिर से सत्यापित करने के बाद नए भवन के प्रवेश द्वार के पास एक बार फिर से उनकी जांच की जाती है.

लोकसभा और राज्यसभा की दर्शक दीर्घाओं के लिए आगंतुकों को दो अलग-अलग द्वारों से भेजा जाता है. प्रत्येक गेट पर संसद के सुरक्षाकर्मियों और अन्य सुरक्षाकर्मियों द्वारा आगंतुकों की जांच की जाती है. अंत में दर्शक दीर्घा के द्वार पर भी आगंतुकों की जांच और सत्यापन किया जाता है.

विपक्षी सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि विजिटर्स पास आवंटित करने में राजनीतिक पूर्वाग्रह होता था.

कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने कहा, ‘विपक्षी सांसदों के लिए संसदीय सुरक्षा की पास जारी करने वाली इकाई दर्शक दीर्घा में एक घंटे के स्लॉट के लिए दो या तीन से अधिक लोगों के लिए पास जारी नहीं करेगी. लेकिन भाजपा सांसद जितनी चाहे उतनी संख्या में लोग ला सकते हैं. मैंने और अन्य सांसदों ने अध्यक्ष ओम बिड़ला के समक्ष यह मुद्दा उठाया था. उन्होंने हस्तक्षेप करने का वादा किया था, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ.’

इससे पहले सांसदों ने नारेबाजी के मुद्दे पर राज्यसभा के सभापति धनखड़ को पत्र लिखा था.

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने पत्र में कहा था, ‘घटना की पूरी तरह से जांच किया जाना जरूरी है कि राज्यसभा के भीतर सुरक्षा और मर्यादा का उल्लंघन कैसे संभव हुआ. व्यवधान के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को उसके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. जो भी सांसद इस घटना को बढ़ावा देने में शामिल पाया जाए, उसे भी उचित परिणाम भुगतने चाहिए.’

मालूम हो कि बीते 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में तब गंभीर चूक देखी गई, जब दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से लोकसभा हॉल में कूद गए और धुएं के कनस्तर (Gas Canisters) खोल दिए थे, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो गई. मनोरंजन डी. और सागर शर्मा नामक व्यक्तियों ने सत्तारूढ़ भाजपा मैसुरु सांसद प्रताप सिम्हा से अपना प्रवेश पास प्राप्त किया था.

इन दोनों आरोपियों के अलावा संसद के बाहर परिसर में रंगीन धुएं का कनस्टर खोलने और नारेबाज़ी करने की आरोपी नीलम आजाद और अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया गया है.

इस मामले में विशाल शर्मा उर्फ विक्की नामक 5वां आरोपी बाद में गुड़गांव स्थित आवास आवास से पकड़ा गया, वहीं ललित झा नामक एक अन्य आरोपी अभी फरार है. आरोप है कि ललित ही कथित तौर पर चारों आरोपियों को गुड़गांव में अपने दोस्त विक्की के घर ले गया था.